ओसियां (जोधपुर). भाई-बहन के अटूट प्रेम और रक्षा का पर्व रक्षाबंधन सोमवार श्रावण पूर्णिमा को जोधपुर के ओसियां क्षेत्र में हर्षोल्लास से मनाया गया. रक्षाबंधन के पर्व पर कस्बे सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में बहनों ने भाइयों की कलाई पर राखी बांध उनके दीघार्यु की कामना की. तो वहीं, भाइयों ने बहनों को उपहार भेंट कर उन्हें सुरक्षा का वचन दिया.
रक्षाबंधन का विधान
रक्षाबंधन के पर्व पर बहनें सर्वप्रथम घर की साफ- सफाई कर स्नान कर उपवास रह कर पूजा करती हैं. तत्पश्चात थाली में दीप, रोली, चंदन, दही और मिठाई सजाकर भाई को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी दीर्घायु जीवन की कामना करती है और भाई बदले में बहनों को सुरक्षा का वचन देते हुए उनको नकद राशि और वस्त्र उपहार स्वरूप भेंट करता है.
श्रावण पूर्णिमा को ही क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का पर्व
श्रावण पूर्णिमा अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न नामों से प्रचलित है. आज की तिथि जनधला पूर्णिमा, झूलन पूर्णिमा, कजरी पूर्णिमा, नारली पूर्णिमा आदि नामों से विख्यात है. संपूर्ण भारत में भाई-बहन के अटूट प्रेम के रूप में मनाए जाने वाले रक्षाबंधन का पर्व सावन पूर्णिमा को ही मनाया जाता है. इस पर्व को मनाने के पीछे धार्मिक और पौराणिक कथाएं प्रचलित है. धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार महिपाल का वध करने के लिए श्री कृष्ण की ओर से चलाए गए सुदर्शन चक्र से श्री कृष्ण की उंगली जख्मी हो गई थी, बहते रक्त को बांधने के लिए लोग इधर-उधर दौड़ने लगे. उसी समय द्रौपदी ने अपना आंचल फाड़कर श्रीकृष्ण की जख्मी अंगुली पर कपड़ा लपेटा, उसी समय से श्रीकृष्ण ने उन्हें रक्षा करने का वचन दिया था. तब से भाई अपने बहनों को रक्षा सूत्र बांधकर अपनी रक्षा करने और भाई को स्नेह प्यार और आशीर्वाद समर्पित करती है.
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बाजारों में छाई वीरानगी
कोराना संक्रमण के भय से इस बार बाजारों में वीरानगी छाई रही. रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर बड़े पैमाने पर बाजारों में भीड़ खरीदारों की पहुंचती थी, जिससे बाजारों में रौनक रहती थी, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के भय से लोग बाजार जाने से परहेज करते दिखे. दुकानें भी बहुत कम खुली रही. औपचारिकता पूरी करने के लिए बच्चों के परिजन बाजार पहुंचे.