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जोजरी रिवर फ्रंट परियोजना: केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की टीम ने किया दौरा, नदी के पुनरुद्धार के लिए पेश किया प्लान - Team of Ministry of Jal Shakti visited Jodhpur

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की टीम ने सोमवार को जोधपुर का दौरा किया. इस दौरान जोजरी नदी के पुनरुद्धार को लेकर चर्चा की (Plan of Jojri River Front project) गई. जिला प्रशासन टीम की ओर से दिए गए प्लान की समीक्षा कर अपने सुझावों के साथ वापस मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगा. इसके बाद आगे की योजना बनाई जाएगी.

Team of Ministry of Jal Shakti visited Jodhpur, gave suggestions for Jojri River Front project
जोजरी रिवर फ्रंट परियोजना: केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की टीम ने किया दौरा, जिला प्रशासन से जाने हालात
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Published : Jan 9, 2023, 11:33 PM IST

जोधपुर. शहर के पास से गुजर रही जोजरी नदी के पुनरुद्धार के प्रयास एक बार फिर से शुरू हो गए हैं. इस नदी की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की एक टीम ने सोमवार को जोधपुर का दौरा (Team of Ministry of Jal Shakti visited Jodhpur) किया. टीम ने जिला कलक्टर से वार्ता की और इस नदी के पुनरुद्धार के लिए अपना प्लान पेश किया. जिला प्रशासन इस प्लान के सभी पहलुओं की समीक्षा कर अपने सुझावों के साथ वापस मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. इसके बाद आगे की योजना बनाई जाएगी.

गौरतलब है कि जोजरी नदी को अहमदाबाद की साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर विकसित किया जाना है. केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जोजरी नदी को क्लीन गंगा परियोजना में शामिल करवा दिया था. टीम ने पाया कि वर्तमान में औद्योगिक और नगरपालिका क्षेत्र का अपशिष्ट जल सीधे नदी में डाला जा रहा है. यह नदी वर्तमान में बहुत खराब स्थिति में है. टीम ने जोजरी में प्रदूषण कम करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों की जांच की और इसके लिए वर्तमान में बने संसाधनों की भी समीक्षा की और प्रदूषण कम करने के लिए किए जा सकने वाले संभावित उपायों पर भी चर्चा की.

पढ़ें: एक नाला जो ₹13,00 करोड़ पीकर भी नहीं बन पाया नदी

गंदे पानी के उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं: टीम ने पाया कि जोजरी ने जितना मल जल और औद्योगिक अपशिष्ट डाला जा रहा है. उसकी तुलना में ट्रीटमेंट प्लांट्स की केपेसिटी काफी कम है. यह नदी एक प्रकार से नाले में तब्दील हो चुकी है. टीम के अनुसार वर्ष 2035 तक नदी में 200 एमएलडी गंदा पानी डाले जाने का अनुमान है. इसकी तुलना में यहां वर्तमान में 120 एमएलडी गंदा पानी ही उपचारित किया जा रहा है, जो कि अपर्याप्त है.

हालांकि 75 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन है. फिर भी जरूरत के हिसाब से यहां ट्रीटमेंट प्लांट कम है. इसी प्रकार उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पानी के ट्रीटमेंट के लिए जरूरत के मुताबिक सीईटी (कॉमन एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट) प्लांट्स नहीं है. वर्तमान में 35 एमएलडी अपशिष्ट पानी उद्योगों से निकल रहा है, जबकि मात्र 20 एमएलडी अपशिष्ट जल सीईटी प्लांट से साफ हो रहा है. टीम ने यह भी पाया कि शहर के सीवरेज लाइन जगह-जगह टूटी पड़ी है. उसमें मलबा जमा है.

पढ़ें: विश्व नदी दिवस : एक नाला जो 1300 करोड़ पीकर भी नहीं बन पाया नदी..द्रव्यवती प्रोजेक्ट पर सवाल

नदी के कायाकल्प का प्लान पेश किया: टीम ने जिला कलक्टर से मुलाकात की और नदी के कायाकल्प के लिए मंत्रालय द्वारा तैयार की गई प्रारंभिक अवधारणा योजना पर चर्चा की. इस योजना में शहरी और औद्योगिक दोनों प्रकार के प्रदूषण के समाधान का प्लान शामिल किया गया है. इसमें नई सीवर लाइन बिछाने और पुराने सीवर लाइन को ठीक करने जैसे उपाय शामिल हैं. टीम ने अपनी योजना जिला प्रशासन के समक्ष पेश की. अब जिला प्रशासन इसे संबंधित विभागों से चर्चा कर समीक्षा करेगा और अपने सुझावों के साथ इसे वापस भेजा जाएगा. इसके बाद विस्तृत योजना बनाई जाएगी.

पढ़ें: SPECIAL : 1100 साल पुरानी प्रतिमाएं रिवरफ्रंट में दबी...UIT ने धरोहर पर बना दी दीवार

रिवर फ्रंट की तरह करेंगे विकास: टीम की इस योजना में बताया गया कि प्रत्येक सीईटीपी के बाहर आद्र्रभूमि का विकास किया जाएगा. इसके लिए नए सीईटी प्लांट्स लगाए जाएंगे. इन प्लांट्स से पानी उपचारित होगा और साफ पानी बाहर निकलेगा. इसकी मदद से नदी के किनारे हरियाली से आच्छादित स्थल विकसित किए जाएंगे, जो ग्रीन रिवर फ्रंट की तरह काम करेंगे. इससे शहर की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.

जोधपुर. शहर के पास से गुजर रही जोजरी नदी के पुनरुद्धार के प्रयास एक बार फिर से शुरू हो गए हैं. इस नदी की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की एक टीम ने सोमवार को जोधपुर का दौरा (Team of Ministry of Jal Shakti visited Jodhpur) किया. टीम ने जिला कलक्टर से वार्ता की और इस नदी के पुनरुद्धार के लिए अपना प्लान पेश किया. जिला प्रशासन इस प्लान के सभी पहलुओं की समीक्षा कर अपने सुझावों के साथ वापस मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. इसके बाद आगे की योजना बनाई जाएगी.

गौरतलब है कि जोजरी नदी को अहमदाबाद की साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर विकसित किया जाना है. केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जोजरी नदी को क्लीन गंगा परियोजना में शामिल करवा दिया था. टीम ने पाया कि वर्तमान में औद्योगिक और नगरपालिका क्षेत्र का अपशिष्ट जल सीधे नदी में डाला जा रहा है. यह नदी वर्तमान में बहुत खराब स्थिति में है. टीम ने जोजरी में प्रदूषण कम करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों की जांच की और इसके लिए वर्तमान में बने संसाधनों की भी समीक्षा की और प्रदूषण कम करने के लिए किए जा सकने वाले संभावित उपायों पर भी चर्चा की.

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गंदे पानी के उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं: टीम ने पाया कि जोजरी ने जितना मल जल और औद्योगिक अपशिष्ट डाला जा रहा है. उसकी तुलना में ट्रीटमेंट प्लांट्स की केपेसिटी काफी कम है. यह नदी एक प्रकार से नाले में तब्दील हो चुकी है. टीम के अनुसार वर्ष 2035 तक नदी में 200 एमएलडी गंदा पानी डाले जाने का अनुमान है. इसकी तुलना में यहां वर्तमान में 120 एमएलडी गंदा पानी ही उपचारित किया जा रहा है, जो कि अपर्याप्त है.

हालांकि 75 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन है. फिर भी जरूरत के हिसाब से यहां ट्रीटमेंट प्लांट कम है. इसी प्रकार उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पानी के ट्रीटमेंट के लिए जरूरत के मुताबिक सीईटी (कॉमन एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट) प्लांट्स नहीं है. वर्तमान में 35 एमएलडी अपशिष्ट पानी उद्योगों से निकल रहा है, जबकि मात्र 20 एमएलडी अपशिष्ट जल सीईटी प्लांट से साफ हो रहा है. टीम ने यह भी पाया कि शहर के सीवरेज लाइन जगह-जगह टूटी पड़ी है. उसमें मलबा जमा है.

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नदी के कायाकल्प का प्लान पेश किया: टीम ने जिला कलक्टर से मुलाकात की और नदी के कायाकल्प के लिए मंत्रालय द्वारा तैयार की गई प्रारंभिक अवधारणा योजना पर चर्चा की. इस योजना में शहरी और औद्योगिक दोनों प्रकार के प्रदूषण के समाधान का प्लान शामिल किया गया है. इसमें नई सीवर लाइन बिछाने और पुराने सीवर लाइन को ठीक करने जैसे उपाय शामिल हैं. टीम ने अपनी योजना जिला प्रशासन के समक्ष पेश की. अब जिला प्रशासन इसे संबंधित विभागों से चर्चा कर समीक्षा करेगा और अपने सुझावों के साथ इसे वापस भेजा जाएगा. इसके बाद विस्तृत योजना बनाई जाएगी.

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रिवर फ्रंट की तरह करेंगे विकास: टीम की इस योजना में बताया गया कि प्रत्येक सीईटीपी के बाहर आद्र्रभूमि का विकास किया जाएगा. इसके लिए नए सीईटी प्लांट्स लगाए जाएंगे. इन प्लांट्स से पानी उपचारित होगा और साफ पानी बाहर निकलेगा. इसकी मदद से नदी के किनारे हरियाली से आच्छादित स्थल विकसित किए जाएंगे, जो ग्रीन रिवर फ्रंट की तरह काम करेंगे. इससे शहर की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.

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