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साल की पहली संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए व्रत की महिमा, इस उपाए से दूर होंगे संकट - SANKASHTI CHATURTHI

पंचांग के अनुसार हर महीने दो चतुर्थी आती हैं. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है.

संकटहर चतुर्थी का महत्व
संकटहर चतुर्थी का महत्व (फोटो ईटीवी भारत बीकानेर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 17, 2025, 6:29 AM IST

बीकानेर. देवताओं में सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की आराधना की जाती है. वैसे तो बुधवार भगवान श्रीगणेश का वार है. लेकिन चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित है. हर महीने दो चतुर्थी आती हैं. एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. 17 जनवरी शुक्रवार को संकष्टी चतुर्थी है.

संकटहर चतुर्थी का महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणपति या गणेश को भगवान शिव और देवी पार्वती का पुत्र माना जाता है. उन्हें बाधाओं को दूर करने वाला और सफलता का अग्रदूत माना जाता है. किसी भी मांगलिक कार्य, नए कार्य की शुरुआत के लिए या कोई भी उद्यम शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेना एक अच्छा रिवाज माना जाता है.

पढ़ें: आज का राशिफल: बिजनेस में इस राशि के जातक कमाएंगे मोटा लाभ, रोमांस का मिलेगा चांस

संकटहर चतुर्थी का पौराणिक कथा : संकटहर चतुर्थी के पीछे की पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान गणेश की रचना की थी, क्योंकि उन्हें स्नान करते समय किसी अनुरक्षक की आवश्यकता महसूस हुई थी. उन्होंने चंदन के लेप से एक बालक का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंक दिए और उससे कहा कि वह किसी को भी अपने परिसर के अंदर न आने दे. जब भगवान शिव देवी से मिलने आए तो छोटे बालक ने उन्हें रोक दिया, बिना यह जाने कि वे खुद उसके पिता खुद भगवान शिव हैं. उनके बीच बहुत बड़ा युद्ध हुआ, जिसमें शिव ने गणेश का सिर काट दिया. जब पार्वती वापस लौटीं, तो अपने पुत्र की ये अवस्था हुआ देखकर उन्हें गहरा सदमा लगा और उन्होंने क्रोध से भयानक रूप धारण कर लिया. भगवान शिव ने अपनी गलती सुधारने के लिए, बालक के धड़ पर हाथी का सिर जोड़ दिया और उसे जीवित कर दिया. ऐसा माना जाता है कि यह घटना और गणेश को 'गणों के स्वामी' और 'बाधाओं को दूर करने वाले' के रूप में पुकारे जाने का सम्मान संकटहर चतुर्थी के दिन हुआ था.

संकटहर चतुर्थी का परिचय : 'संकट' शब्द का अर्थ है समस्याएं और 'हरा' का अर्थ है हटाना या कम करना. चतुर्थी अमावस्या या पूर्णिमा के बाद का चौथा दिन होता है. इसलिए संकटहर चतुर्थी विशेष रूप से किसी की समस्याओं को दूर करने के लिए होती है. इस दिन को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. यह हर महीने कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा के बाद चौथे चंद्र दिवस (चतुर्थी) को पड़ता है. यह एक शुभ दिन है जब बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा कठिनाइयों से छुटकारा पाने के लिए की जाती है.

बीकानेर. देवताओं में सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की आराधना की जाती है. वैसे तो बुधवार भगवान श्रीगणेश का वार है. लेकिन चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित है. हर महीने दो चतुर्थी आती हैं. एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. 17 जनवरी शुक्रवार को संकष्टी चतुर्थी है.

संकटहर चतुर्थी का महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणपति या गणेश को भगवान शिव और देवी पार्वती का पुत्र माना जाता है. उन्हें बाधाओं को दूर करने वाला और सफलता का अग्रदूत माना जाता है. किसी भी मांगलिक कार्य, नए कार्य की शुरुआत के लिए या कोई भी उद्यम शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेना एक अच्छा रिवाज माना जाता है.

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संकटहर चतुर्थी का पौराणिक कथा : संकटहर चतुर्थी के पीछे की पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान गणेश की रचना की थी, क्योंकि उन्हें स्नान करते समय किसी अनुरक्षक की आवश्यकता महसूस हुई थी. उन्होंने चंदन के लेप से एक बालक का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंक दिए और उससे कहा कि वह किसी को भी अपने परिसर के अंदर न आने दे. जब भगवान शिव देवी से मिलने आए तो छोटे बालक ने उन्हें रोक दिया, बिना यह जाने कि वे खुद उसके पिता खुद भगवान शिव हैं. उनके बीच बहुत बड़ा युद्ध हुआ, जिसमें शिव ने गणेश का सिर काट दिया. जब पार्वती वापस लौटीं, तो अपने पुत्र की ये अवस्था हुआ देखकर उन्हें गहरा सदमा लगा और उन्होंने क्रोध से भयानक रूप धारण कर लिया. भगवान शिव ने अपनी गलती सुधारने के लिए, बालक के धड़ पर हाथी का सिर जोड़ दिया और उसे जीवित कर दिया. ऐसा माना जाता है कि यह घटना और गणेश को 'गणों के स्वामी' और 'बाधाओं को दूर करने वाले' के रूप में पुकारे जाने का सम्मान संकटहर चतुर्थी के दिन हुआ था.

संकटहर चतुर्थी का परिचय : 'संकट' शब्द का अर्थ है समस्याएं और 'हरा' का अर्थ है हटाना या कम करना. चतुर्थी अमावस्या या पूर्णिमा के बाद का चौथा दिन होता है. इसलिए संकटहर चतुर्थी विशेष रूप से किसी की समस्याओं को दूर करने के लिए होती है. इस दिन को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. यह हर महीने कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा के बाद चौथे चंद्र दिवस (चतुर्थी) को पड़ता है. यह एक शुभ दिन है जब बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा कठिनाइयों से छुटकारा पाने के लिए की जाती है.

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