भोपालगढ़ (जोधपुर). वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से लोग दहशत में हैं. लोगों में असुरक्षा की भावना घर कर गई है. लोग लाइफ स्टाइल पर या अनावश्यक पैसा खर्च करने से बच रहे हैं. यही वजह है कि बाजारों में भी रौनक कम ही नजर आ रही है. इस मंदी का असर टेलरों के व्यवसाय पर भी पड़ रहा है.
1 हजार श्रमिक करते हैं टेलरिंग का काम
भोपालगढ में 300 के करीब छोटे-बड़े दर्जी हैं, जिनके यहां करीब 1 हजार श्रमिक काम करते हैं. यानी टेलर के व्यवसाय से 1 हजार लोगों के घर चलता है, लेकिन कोरोना ने उनके घर की खुशियां पर ग्रहण लगा दिया है. कोरोना संक्रमण के कारण ग्राहकों ने तो टेलरों की दुकान से मानो मुंह ही मोड़ लिया है.
भोपालगढ में महिला टेलर ललिता करीब 20 सालों से काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि रेडीमेड कपड़ों के व्यवसाय ने पहले ही कारोबार की कमर तोड़ कर रख दी थी. केवल 20 फीसदी लोग ही कपड़े सिलवाने आते थे, लेकिन कोरोना की वजह से वह भी नहीं आ रहे हैं. ललिता ने कहा कि 10 दिन में कभी इक्का-दुक्का ग्राहक आते हैं. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो गया है. लॉकडाउन खुलने के बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं. उधारी लेकर काम चलाना पड़ रहा है.
पहले के ऑर्डर भी हो रहे कैंसिल
टेलर की दुकान पर काम करने वाले श्रमिक सीताराम बताते हैं कि जिन लोगों ने कपड़े सिलने को दिए हुए थे, वे भी उसे लेने के लिए दुकान नहीं आ रहे हैं, ना ही पेमेंट कर रहे हैं. दुकान खोलकर बैठे तो हैं, लेकिन काम नहीं है. चयनित परिवार की सूची में नाम है, इसलिए राशन मिल जाता है जिससे जैसे-तैसे गुजारा कर ले रहे हैं. भोपालगढ़ में छोटे ही नहीं बड़े टेलर कारोबारियों की हालत भी यही है. टेलर मानकराम विश्नोई बताते हैं कि लॉकडाउन में व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है. अनलॉक होने के 10 दिन तक शादियों की वजह से कुछ राहत मिली है, लेकिन अब फिर धंधा मंदा पड़ गया है.
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ना काम बचा है और ना पैसा
दर्जी का काम करने वाले विश्नोई ने कहा कि हालात ये हैं कि स्टाफ को देने के लिए काम नहीं है और ना ही पैसे हैं.. एक अन्य टेलर भाकर ने बताया कि मार्केट खुलने के बाद भी कोरोना की दहशत से लोग कपड़े सिलवाने नहीं आ रहे हैं. इस कारण व्यवसाय 20 फीसदी ही रह गया है. घर चलाने के लिए पुरानी सेविंग ही काम आ रहीं हैं. वर्तमान में भोपालगढ़ के सभी टेलर और उनसे जुड़े श्रमिक कारोबार में मंदी की वजह से परेशान हैं. सभी को इंतजार बस इस बात का है कि कब कोरोना संकट के बादल छंटेंगे और टेलरों की किस्मत पर पड़े ताले फिर खुलेंगे.