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उम्मेद अस्पताल में नवजात बच्चों के लिए हियरिंग और विजन लॉस की स्क्रीनिंग शुरू, समय रहते हो जाएगा इलाज

उम्मेद अस्पताल प्रदेश का पहला ऐसा अस्पताल है, जहां नवजात बच्चों की हियरिंग और विजन लॉस की स्क्रीनिंग शुरू की गई है. इस स्क्रीनिंग से बच्चों में हियरिंग और विजन लॉस की समस्या का पता समय रहते लगने से उसका इलाज संभव हो पाएगा.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 18, 2024, 10:02 AM IST

हियरिंग और विजन लॉस की स्क्रीनिंग शुरू

जोधपुर. उम्मेद अस्पताल में नवजात बच्चों के हियरिंग और विजन लॉस की स्क्रीनिंग शुरू की गई है. इसकी शुरुआत फिलहाल नर्सरी में भर्ती होने वाले प्रीमेच्चौर गंभीर नवजात के लिए की गई है. धीरे-धीरे यहां जन्म लेने वाले सभी नवजात की स्क्रीनिंग करने की योजना है. उम्मेद अस्पताल नवजात की इस तरह स्क्रीनिंग करने वाला प्रदेश का पहला अस्पताल है. अधीक्षक डॉ. अफजल हकिम ने बताया कि हमने यह नवाचार किया है, जिसे आगे बढ़ाएंगे. हमारी नर्सरी में सभी तरह के मॉर्डन इक्विपमेंट हैं. खासकर समय से पहले जन्मे बच्चों में रेटीनोपैथी का खतरा रहता है, इसके अलावा हियरिंग लॉस होता है. विजन स्क्रीनिंग के लिए अस्पताल में रेटिनोस्कॉप और हियरिंग के लिए बेरा मशीन लगाई गई है.

सबसे ज्यादा परेशानी हियरिंग लॉस से : डॉक्टर्स का कहना है कि हियरिंग लॉस से सर्वाधिक बच्चों को परेशानी होती है. इसका समय पर पता चलने पर इसका उपचार हो सकता है. ईएनटी विशेषज्ञ बताते हैं कि जितनी जल्दी हियरिंग लॉस वाले बच्चों का उपचार होता है, तो उसमे सुधार होता है, क्योंकि हियरिंग लॉस के साथ-साथ बच्चों में बोलने की क्षमता भी प्रभावित होती है. सुनने की समस्या से बच्चों की भाषा सीखने की क्षमता भी प्रभावित होती है. सामान्यत: ऐसे बच्चों को सांकेतिक भाषा में ही बात करनी पड़ती है.

इसे भी पढ़ें-85 साल का हुआ उम्मेद अस्पताल, परिवारों की चार-चार पीढ़ियां जन्मी यहां

सभी के लिए शुरू करने के प्रयास : उम्मेदअस्पताल में प्रतिदिन 80 से 90 बच्चों का जन्म होता है. इनमें गंभीर को एनआईसीयू में रखा जाता है, जिनकी स्क्रीनिंग हो जाती है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन का प्रयास है कि यहां जन्म लेने वाले सभी बच्चों की स्क्रीनिंग हो, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन अतिरिक्त बेरा मशीन लेने और टेक्निशीयन भर्ती की प्रक्रिया जल्द शुरू करने जा रहा है.

  1. डबल्यूएचओ के अनुसार देश में हर साल 27 से 30 हजार बच्चे पूरी तरह से हियरिंग लॉस के साथ जन्म लेते हैं.
  2. दिल्ली एम्स में नवजात की होने वाली हिअरिंग स्क्रीनिंग में प्रत्येक हजार नवजात में से दो में हियरिंग लॉस पाया गया है.

सरकार करवाती है नि:शुल्क सर्जरी : जन्मजात बहरे बच्चों की पांच से आठ वर्ष् तक की उम्र में अगर कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी होती है तो, उसके परिणाम बेहतर होते हैं. इस सर्जरी के बाद स्पीच थैरेपिस्ट की मदद से बच्चे सामान्य हो जाते हैं. प्रदेश में राज्य सरकार यह महंगी सर्जरी नि:शुल्क करवा रही है. 2018 से 2023 तक सरकार करीब एक हजार बच्चों की सर्जरी करवा चुकी है. एक सर्जरी का खर्च तीन से चार लाख आता है.

हियरिंग और विजन लॉस की स्क्रीनिंग शुरू

जोधपुर. उम्मेद अस्पताल में नवजात बच्चों के हियरिंग और विजन लॉस की स्क्रीनिंग शुरू की गई है. इसकी शुरुआत फिलहाल नर्सरी में भर्ती होने वाले प्रीमेच्चौर गंभीर नवजात के लिए की गई है. धीरे-धीरे यहां जन्म लेने वाले सभी नवजात की स्क्रीनिंग करने की योजना है. उम्मेद अस्पताल नवजात की इस तरह स्क्रीनिंग करने वाला प्रदेश का पहला अस्पताल है. अधीक्षक डॉ. अफजल हकिम ने बताया कि हमने यह नवाचार किया है, जिसे आगे बढ़ाएंगे. हमारी नर्सरी में सभी तरह के मॉर्डन इक्विपमेंट हैं. खासकर समय से पहले जन्मे बच्चों में रेटीनोपैथी का खतरा रहता है, इसके अलावा हियरिंग लॉस होता है. विजन स्क्रीनिंग के लिए अस्पताल में रेटिनोस्कॉप और हियरिंग के लिए बेरा मशीन लगाई गई है.

सबसे ज्यादा परेशानी हियरिंग लॉस से : डॉक्टर्स का कहना है कि हियरिंग लॉस से सर्वाधिक बच्चों को परेशानी होती है. इसका समय पर पता चलने पर इसका उपचार हो सकता है. ईएनटी विशेषज्ञ बताते हैं कि जितनी जल्दी हियरिंग लॉस वाले बच्चों का उपचार होता है, तो उसमे सुधार होता है, क्योंकि हियरिंग लॉस के साथ-साथ बच्चों में बोलने की क्षमता भी प्रभावित होती है. सुनने की समस्या से बच्चों की भाषा सीखने की क्षमता भी प्रभावित होती है. सामान्यत: ऐसे बच्चों को सांकेतिक भाषा में ही बात करनी पड़ती है.

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सभी के लिए शुरू करने के प्रयास : उम्मेदअस्पताल में प्रतिदिन 80 से 90 बच्चों का जन्म होता है. इनमें गंभीर को एनआईसीयू में रखा जाता है, जिनकी स्क्रीनिंग हो जाती है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन का प्रयास है कि यहां जन्म लेने वाले सभी बच्चों की स्क्रीनिंग हो, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन अतिरिक्त बेरा मशीन लेने और टेक्निशीयन भर्ती की प्रक्रिया जल्द शुरू करने जा रहा है.

  1. डबल्यूएचओ के अनुसार देश में हर साल 27 से 30 हजार बच्चे पूरी तरह से हियरिंग लॉस के साथ जन्म लेते हैं.
  2. दिल्ली एम्स में नवजात की होने वाली हिअरिंग स्क्रीनिंग में प्रत्येक हजार नवजात में से दो में हियरिंग लॉस पाया गया है.

सरकार करवाती है नि:शुल्क सर्जरी : जन्मजात बहरे बच्चों की पांच से आठ वर्ष् तक की उम्र में अगर कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी होती है तो, उसके परिणाम बेहतर होते हैं. इस सर्जरी के बाद स्पीच थैरेपिस्ट की मदद से बच्चे सामान्य हो जाते हैं. प्रदेश में राज्य सरकार यह महंगी सर्जरी नि:शुल्क करवा रही है. 2018 से 2023 तक सरकार करीब एक हजार बच्चों की सर्जरी करवा चुकी है. एक सर्जरी का खर्च तीन से चार लाख आता है.

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