लूणी (जोधपुर). बाजरा राजस्थान का सबसे प्रमुख और प्रिय अन्न है. ऐसे में केंद्रीय शुष्क क्षेत्र काजरी में इन दिनों बाजरे की फसल पर अनुसंधान किया जा रहा है. इसके साथ ही बाजरे की हाइब्रिड प्रजातियों को तैयार कर उन पर शोध कार्य भी किए जा रहे है. जिसके माध्यम से कम समय और कम पानी में बाजरे को तैयार कर किसानों को दुगुना लाभ मिल सके.
काजरी निर्देशक डाक्टर ओपी यादव ने बताया कि काजरी में उन्नत बाजरे की फसल पर कई दिनों से शोध किया जा रहा है. इसके तहत 65 से 70 दिन में अधिक पौष्टिक और गुणवत्ता युक्त फसल पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है. काजरी के वैज्ञानिकों की टीम पूरी तरीके से बाजरे की देखभाल कर रही हैं. वहीं किसानों को इस बार उत्पादन बढ़ने की भी उम्मीद है.
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ओपी यादव ने बताया कि कोरोना महामारी के समय में व्यक्ति को ऐसा भोजन करना चाहिए. जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े. वहीं बाजरे में आयरन और जिंक की मात्रा अधिक होती है, जो सेहत के लिए काफी लाभदायक हैं.
शोध कर रहे प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेश कुमार कांकाणी ने बताया कि काजरी के बाजरा में इंप्रूवमेंट के लिए 5 चरणों में कार्य किया जा रहा है. इसके तहत बाजरे में लगने वाली जोगिया, पर्णहरित रोग से बचाते हुए उनकी फसल का निर्माण कैसे हो, इस पर कार्य किया जा रहा है.
इस दौरान उन्होंने कहा मात्र 4 से 65 दिन में उन्नत बाजरे की फसल कैसे पैदा हो इस पर कार्य किया जा रहा है. इसका उद्देश्य किसानों को कम समय और कम लागत में अच्छी फसल पैदा करना है.
बता दें कि प्रदेश में सामान्य बाजरे की तुलना में संकर और संकुल बाजरा किस्मों की पैदावार काफी अधिक है. जहां वर्षा की कमी हो या जहां वर्षा 250 से 300 मिलीलीटर के आसपास होती है. वहां भी संकल या संकुल बाजरा असिंचित फसल के रूप में बोया जा सकता है.