जोधपुर. प्रदेश में पिछले 12 दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं. उनके समर्थन में सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर भी हड़ताल पर चल रहे हैं. जिसके चलते चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है. अस्पतालों में मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा है. सरकार के तमाम दावों के बावजूद मरीज परेशान हैं. दूसरी ओर सरकार अभी निजी अस्पतालों से बात नहीं कर रही है. जिसके चलते आंदोलन लगातार तेज हो रहा है.
रजिस्ट्रार से मांगी रिपोर्टः बुधवार को राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीके व्यास ने राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल से उत्पन्न हालातों को देख स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए प्रकरण दर्ज किया है. आयोग ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव एवं राजस्थान मेडिकल कौंसिल, जयपुर के रजिस्ट्रार को आदेश दिया है, कि चिकित्सकों के इस आचरण पर राजस्थान मेडिकल एक्ट, 1952 एवं राजस्थान मेडिकल रूल्स 1957 के तहत क्या कार्यवाही की जा रही है. इस संबंध में सम्पूर्ण तथ्यात्मक रिपोर्ट आयोग के अवलोकनार्थ आगामी 10 अप्रैल को सुनवाई से पहले प्रस्तुत करें.
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जस्टिस व्यास ने चिकित्सकों से की अपीलः अपने आदेश में राज्य मानव अधिकार आयोग के जस्टिस व्यास ने राज्य के सभी चिकित्सकों से यह अपील की है कि मानवहित में सभी चिकित्सक तुरंत अपने कार्य पर उपस्थित होकर मानव जीवन की सुरक्षा करें. आयोग की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का कर्त्तव्य है कि वह नागरिकों के स्वास्थ्य सुधार के लिए कानून बनाकर अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाए. इस परिपेक्ष्य में राज्य सरकार ने विधिक प्रक्रिया अपनाकर राइट टू हेल्थ बिल पारित किया है. स्वीकृत रूप से कोई भी प्रावधान संविधान के प्रावधानों के विपरीत हो तो उसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है. चिकित्सकों की हड़ताल के कारण चिकित्सालयों और सम्पूर्ण राज्य में विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है. जिससे प्रदेश के गरीब लोगों को चिरंजीवी योजना के तहत मुफ्त मिलने वाली सुविधा भी प्राप्त नहीं हो रही है.
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चरमरा गई है प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्थाः आदेश में कहा गया है कि वर्तमान समय में राज्य सरकार ने जो राइट टू हेल्थ बिल पारित किया है, उसे न्यायालय में चुनौती देने के बजाय निजी चिकित्सालयों के चिकित्सक पिछले 12 दिनों से हड़ताल पर है. उनके समर्थन में राजकीय चिकित्सालयों के रेजिडेंट चिकित्सक भी हड़ताल पर चले गये हैं. जिससे प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है. आयोग द्वारा पारित आदेश में कहा गया है कि विभिन्न समाचार पत्रों एवं चैनलों के माध्यम से यह तथ्य आयोग के संज्ञान में आया है कि चिकित्सकों की हड़ताल के कारण अब राजकीय चिकित्सालयों में भी इलाजरत रोगियों की चिकित्सा सुविधा बाधित हो रही है. ऐसी परिस्थितियों में राज्य मानव अधिकार आयोग मूक दर्शक बनकर मानव अधिकारों का हनन होते हुए नहीं देख सकता. चिकित्सकों की हड़ताल के कारण न केवल प्रदेश के हर क्षेत्र में रोगी शारीरिक पीड़ा भोग रहे हैं बल्कि कई मरीजों की मृत्यु होने के समाचार मिल रहे है. ऐसे में आयोग को प्रसंज्ञान लेना पड़ा.
डॉक्टर्स ने निकाला मशाल जुलूसः दूसरी ओर RTH बिल के विरोध में जोधपुर में डॉक्टरों का आंदोलन लगातार जारी है. मेडिकल कॉलेज के बाहर कई दिनों से डॉक्टर क्रमिक अनशन कर रहे हैं. बुधवार शाम को डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज से जलजोग चौराहा होते हुए मशाल मार्च निकाला. इस दौरान उन्होंने राइट टू हेल्थ बिल वापस लेने की मांग की है.