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हाईकोर्ट ने कहा- मेडिकल कॉलेजों में स्वीकृत पदों और कार्यरत शिक्षकों की जानकारी दे राज्य सरकार - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मेडिकल कॉलेजों में स्वीकृत पदों और कार्यरत शिक्षकों की जानकारी मांगी है.

TEACHERS IN MEDICAL COLLEGES,  COURT HAS SOUGHT INFORMATION
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 6, 2025, 9:15 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी के मुद्दे को लेकर राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों के कितने पद स्वीकृत हैं और उनमें कितनी संख्या में शिक्षक पदस्थापित हैं. इसके साथ ही अदालत ने मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया से यह बताने को कहा है कि मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों के कार्यरत होने को लेकर उनके पास क्या मैकेनिज्म है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश महेन्द्र गौड़ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जनहित याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि प्रदेश में संचालित अधिकांश मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की कमी है. नेशनल मेडिकल कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज में एक विषय के लिए कम से कम एक शिक्षक तो होना ही चाहिए. शिक्षकों की कमी से एमबीबीएस पाठ्यक्रम का अध्ययन प्रभावित हो रहा है और बिना मार्गदर्शन कोर्स पूरा होने के बाद यह चिकित्सक किसी तरह मानव शरीर का इलाज करेंगे, यह समझ से परे है.

पढ़ेंः स्पीकर ओम बिरला की मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को सलाह- निजी अस्पताल से बेहतर बनाएं व्यवस्था

याचिका में कहा गया कि मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए होने वाले निरीक्षण के समय दूसरी मेडिकल कॉलेज से शिक्षकों को संबंधित कॉलेज में पदस्थापित कर लिया जाता है और निरीक्षण पूरा होने के बाद शिक्षक को वापस भेज दिया जाता है. याचिका में कहा गया कि नेशनल मेडिकल कमीशन की वेबसाइट पर चिकित्सा शिक्षकों का डेटा प्रदर्शित होना चाहिए. इससे यह स्पष्ट हो सके की किसी मेडिकल कॉलेज में कितने पद स्वीकृत हैं और इनमें से कितने पद खाली चल रहे हैं. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार से मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों के स्वीकृत पदों और कार्यरत शिक्षकों की जानकारी मांगते हुए एमसीआई से भी इस संबंध में बनाए गए मैकेनिज्म की जानकारी पेश करने को कहा है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी के मुद्दे को लेकर राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों के कितने पद स्वीकृत हैं और उनमें कितनी संख्या में शिक्षक पदस्थापित हैं. इसके साथ ही अदालत ने मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया से यह बताने को कहा है कि मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों के कार्यरत होने को लेकर उनके पास क्या मैकेनिज्म है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश महेन्द्र गौड़ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जनहित याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि प्रदेश में संचालित अधिकांश मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की कमी है. नेशनल मेडिकल कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज में एक विषय के लिए कम से कम एक शिक्षक तो होना ही चाहिए. शिक्षकों की कमी से एमबीबीएस पाठ्यक्रम का अध्ययन प्रभावित हो रहा है और बिना मार्गदर्शन कोर्स पूरा होने के बाद यह चिकित्सक किसी तरह मानव शरीर का इलाज करेंगे, यह समझ से परे है.

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याचिका में कहा गया कि मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए होने वाले निरीक्षण के समय दूसरी मेडिकल कॉलेज से शिक्षकों को संबंधित कॉलेज में पदस्थापित कर लिया जाता है और निरीक्षण पूरा होने के बाद शिक्षक को वापस भेज दिया जाता है. याचिका में कहा गया कि नेशनल मेडिकल कमीशन की वेबसाइट पर चिकित्सा शिक्षकों का डेटा प्रदर्शित होना चाहिए. इससे यह स्पष्ट हो सके की किसी मेडिकल कॉलेज में कितने पद स्वीकृत हैं और इनमें से कितने पद खाली चल रहे हैं. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार से मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों के स्वीकृत पदों और कार्यरत शिक्षकों की जानकारी मांगते हुए एमसीआई से भी इस संबंध में बनाए गए मैकेनिज्म की जानकारी पेश करने को कहा है.

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