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Rajasthan High Court : बीकानेर में वर्चुअल बेंच की स्थापना का विरोध, कल एक दिन का न्यायिक कार्य बहिष्कार - ETV Bharat Rajasthan News

Rajasthan High Court. बीकानेर में वर्चुअल बेंच का का विरोध शुरू हो गया है. सोमवार को एक दिन का न्यायिक कार्य बहिष्कार किया जाएगा. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
वर्चुअल बेंच की स्थापना का विरोध
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Published : Aug 20, 2023, 7:56 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन एवं राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन जोधपुर द्वारा हाल ही में बीकानेर जिले में हाईकोर्ट की एक वर्चुअल बेंच की स्थापना की खबर आने पर विरोध जताना शुरू कर दिया है. दोनों ही एसोसिएशन की ओर से बीकानेर में वर्चुअल बेंच की स्थापना के विरोध में राजस्थान हाईकोर्ट मुख्यपीठ जोधपुर व समस्त अधिनस्थ अदालतों में एक दिन के लिए न्यायिक कार्य बहिष्कार रखा है.

सोमवार को हाईकोर्ट जोधपुर व समस्त अधिनस्थ अदालतों में सभी अधिवक्तागण एक दिन के लिए फिजिकली एवं वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से न्यायिक कार्य नहीं करेंगे. लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि भंसाली व एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी ने बताया कि देश के विधि एवं कानून मंत्रालय द्वारा बीकानेर में हाईकोर्ट की वर्चुअल बैंच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री को प्रतिवेदन प्रेषित कर आग्रह किया गया है. उन्होने बताया कि राजस्थान के एकीकरण के समय यह तय किया गया था कि राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जोधपुर में रहेगी तथा जोधपुर न्यायिक राजधानी रहेगा और बीकानेर को शिक्षा विभाग दिया गया.

पढ़ें : Rajasthan High Court : छाती का मापदंड महिला की गरिमा का अपमान : जस्टिस मेहता

वर्ष 1977 में आपातकाल के दौरान कतिपय राजनीतिक कारणों से राजस्थान के एकीकृत हाईकोर्ट को खंडित करते हुए खंडपीठ जयपुर में स्थापित की गई. इस निर्णय का जोधपुर की जनता व अधिवक्ताओं ने जबदस्त विरोध किया जो विगत 46 वर्ष से सतत जारी है. पूर्व में भी वर्ष 2009,2012 एवं 2018 में भी उदयपुर में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की अनुचित मांग उठाई गई, लेकिन प्रदेश के और खासतौर पर मारवाड़ क्षेत्र की जनता के विरोध को देखते हुए तत्कालीन राज्य सरकारों ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया. प्रतिवेदन में ये भी उल्लेखित किया गया कि राजनीतिक कारणों से बीकानेर में हाईकोर्ट की वर्चुअल बैंच स्थापित करने की मांग को बिना वजह महत्व दिया जा रहा है.

हमेशा चुनाव से पूर्व इस तरह का माहौल बनाकर प्रदेश के अधिवक्ता वर्ग में संघर्ष बढाने का कुत्सित प्रयास किया जाता रहा है. राज्य में किसी भी अन्य स्थान पर हाईकोर्ट पीठ की स्थापना न सिर्फ प्रजातांत्रिक व्यवस्था को चोट पहुंचाने वाला निर्णय होगा, बल्कि संवैधानिक व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाएगा. केन्द्रीय विधि एवं कानून मंत्री को निवेदन किया गया कि बीकानेर में हाईकोर्ट की वर्चुअल बेंच की स्थापना की अतार्किक मांग को सदैव के लिए विराम देते हुए हाईकोर्ट के गौरव एवं प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण रखने की महती अनुकम्पा करे. अन्यथा राजस्थान की न्यायिक राजधानी जोधपुर की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए अधिवक्ता समाज आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा. एसोसिएशन की ओर से केन्द्रीय मंत्री को प्रतिवेदन भेज कर मांग की गई है कि हाईकोर्ट की प्रतिष्ठा को बनाए रखे.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन एवं राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन जोधपुर द्वारा हाल ही में बीकानेर जिले में हाईकोर्ट की एक वर्चुअल बेंच की स्थापना की खबर आने पर विरोध जताना शुरू कर दिया है. दोनों ही एसोसिएशन की ओर से बीकानेर में वर्चुअल बेंच की स्थापना के विरोध में राजस्थान हाईकोर्ट मुख्यपीठ जोधपुर व समस्त अधिनस्थ अदालतों में एक दिन के लिए न्यायिक कार्य बहिष्कार रखा है.

सोमवार को हाईकोर्ट जोधपुर व समस्त अधिनस्थ अदालतों में सभी अधिवक्तागण एक दिन के लिए फिजिकली एवं वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से न्यायिक कार्य नहीं करेंगे. लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि भंसाली व एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी ने बताया कि देश के विधि एवं कानून मंत्रालय द्वारा बीकानेर में हाईकोर्ट की वर्चुअल बैंच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री को प्रतिवेदन प्रेषित कर आग्रह किया गया है. उन्होने बताया कि राजस्थान के एकीकरण के समय यह तय किया गया था कि राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जोधपुर में रहेगी तथा जोधपुर न्यायिक राजधानी रहेगा और बीकानेर को शिक्षा विभाग दिया गया.

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वर्ष 1977 में आपातकाल के दौरान कतिपय राजनीतिक कारणों से राजस्थान के एकीकृत हाईकोर्ट को खंडित करते हुए खंडपीठ जयपुर में स्थापित की गई. इस निर्णय का जोधपुर की जनता व अधिवक्ताओं ने जबदस्त विरोध किया जो विगत 46 वर्ष से सतत जारी है. पूर्व में भी वर्ष 2009,2012 एवं 2018 में भी उदयपुर में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की अनुचित मांग उठाई गई, लेकिन प्रदेश के और खासतौर पर मारवाड़ क्षेत्र की जनता के विरोध को देखते हुए तत्कालीन राज्य सरकारों ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया. प्रतिवेदन में ये भी उल्लेखित किया गया कि राजनीतिक कारणों से बीकानेर में हाईकोर्ट की वर्चुअल बैंच स्थापित करने की मांग को बिना वजह महत्व दिया जा रहा है.

हमेशा चुनाव से पूर्व इस तरह का माहौल बनाकर प्रदेश के अधिवक्ता वर्ग में संघर्ष बढाने का कुत्सित प्रयास किया जाता रहा है. राज्य में किसी भी अन्य स्थान पर हाईकोर्ट पीठ की स्थापना न सिर्फ प्रजातांत्रिक व्यवस्था को चोट पहुंचाने वाला निर्णय होगा, बल्कि संवैधानिक व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाएगा. केन्द्रीय विधि एवं कानून मंत्री को निवेदन किया गया कि बीकानेर में हाईकोर्ट की वर्चुअल बेंच की स्थापना की अतार्किक मांग को सदैव के लिए विराम देते हुए हाईकोर्ट के गौरव एवं प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण रखने की महती अनुकम्पा करे. अन्यथा राजस्थान की न्यायिक राजधानी जोधपुर की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए अधिवक्ता समाज आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा. एसोसिएशन की ओर से केन्द्रीय मंत्री को प्रतिवेदन भेज कर मांग की गई है कि हाईकोर्ट की प्रतिष्ठा को बनाए रखे.

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