जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ जोधपुर ने सास की मौत के बाद उसकी विधवा पुत्रवधू को तीन महीने में पीएचईडी विभाग में अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और न्यायाधीश राजेंद्र प्रकाश सोनी ने अपने फैसले में कहा कि तीन माह में अपीलार्थी दुर्गादेवी मईड़ा को नियुक्ति प्रदान की जाए. किसी राजकीय कर्मचारी की मत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति मामले में मृतक कर्मचारी के आश्रित व अनुकंपा नियुक्ति नियम 1996 के अनुसार विधवा पुत्रवधू को योग्य नहीं मानने के बाद इस मामले में हाईकोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण है. इसमें हाईकोर्ट ने अपने आदेश में विधवा पुत्रवधू दुर्गा देवी को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के योग्य माना है. दुर्गा देवी को परिवार की आवश्यक सदस्य के रूप में स्वीकार कर मृतका सास गवरी देवी के स्थान पर तीन माह में नियुक्ति देने को कहा है. अपीलार्थी दुर्गा देवी की ओर से अधिवक्ता रामदेव पोटलिया ने अपील पेश की.
यह है मामला : अधिवक्ता पोटलिया ने बताया कि बांसवाड़ा निवासी गवरी देवी पीएचईडी में चतुर्थ श्रेणी पद पर कार्यरत थी. उसके दो पुत्र शंकर व बसन्त की मृत्यु गवरी देवी से पहले साल 2006 व 2007 में हो गई थी. गवरी देवी की पुत्री शादी होने पर अपने पति के साथ ससुराल में रहकर जीवन यापन कर रही थी. गवरी देवी की नौकरी के दौरान साल 2013 में मत्यु हो गई थी. वहीं, साल 2013 व 2014 में पीएचईडी विभाग के सक्षम अधिकारियों ने दुर्गा देवी मईड़ा के आवेदन को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि विधवा पुत्रवधू मृतक कर्मचारी के आश्रित की श्रेणी में नहीं होने से अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं है.
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इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में भी प्रार्थना पत्र दिया गया था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने पर 2018 में राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ में याचिका पेश की गई, जिसे खारिज कर दिया गया. अधिवक्ता पोटलिया ने बताया कि मृतका सास की दूसरी विधवा पुत्रवधू व विवाहित पुत्री ने दुर्गा देवी मईड़ा को मृतका के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए अपनी सहमति दी थी. उसके बावजूद उसे नौकरी नहीं दी गई तो हाईकोर्ट खंडपीठ में अपील पेश की गई. हाईकोर्ट खंडपीठ ने महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए विधवा पुत्रवधू को अनुकंपा नियुक्ति के लिए हकदार मानते हुए तीन माह में नौकरी देने को कहा है.