जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश विजय बिश्नोई और न्यायाधीश अनूप कुमार ने वाणिज्यिक न्यायालय बाबत दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. उच्च न्यायालय ने प्रशासन को कहा कि वाणिज्यिक न्यायालय जोधपुर द्वितीय के वास्ते न्यायालय के हेरिटेज परिसर में स्थित वाचनालय और प्रथम मंजिल पर प्रारंभ करने के संबंध में अपनी स्थिति एक सप्ताह में बताएं.
इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी. राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन (Rajasthan High Court Advocates Association) की ओर से दायर जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि एसोसिएशन की मांग पर उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने लगभग 6 माह पूर्व 26 मई को जोधपुर में द्वितीय और बीकानेर, भीलवाड़ा और अलवर में वाणिज्यिक न्यायालय खोले जाने की अधिसूचना जारी कर दी लेकिन जोधपुर में न तो भवन उपलब्ध कराया गया है और न ही समुचित स्टाफ की व्यवस्था की गई है. यहां तक कि राज्य के मुख्य सचिव ने 14 सितंबर को यह निर्देश दिया था कि भवन उपलब्धता 15 दिन में कार्रवाई सुनिश्चित की जाए लेकिन उनकी हिदायत को नजर अंदाज कर दिया गया.
अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि भवन के अभाव में कोई काम नहीं होने से वाणिज्यिक न्यायालय द्वितीय के प्रकरण लंबित होते जा रहे हैं. उच्च न्यायालय के हेरिटेज परिसर की वाचनालय में इसे प्रारंभ किया जा सकता है या प्रथम मंजिल पर निर्मित न्यायालय में कमर्शियल कोर्ट द्वितीय को शिफ्ट किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इनके पीठासीन अधिकारी जिला जज कैडर के होने से कमर्शियल कोर्ट मुख्य हेरिटेज परिसर में ही होना चाहिए.
यह भी पढ़ें. राजस्थान हाईकोर्ट सुनवाई : रीट भर्ती में विवादित उत्तरों से जुडे़ मामले में कोर्ट ने मांगा जवाब
अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने राज्य सरकार की ओर से कहा कि न्यायालय परिसर में उन्हें अभी तक कोई समुचित जगह नहीं मिल पाई है. इस पर खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य को कहा कि वे एक सप्ताह में हेरिटेज परिसर के वाचनालय या प्रथम मंजिल पर वाणिज्यिक न्यायालय जोधपुर द्वितीय प्रारंभ करने बाबत अपनी रिपोर्ट आगामी पेशी 23 नवंबर के पूर्व तक पेश करें.
इस दौरान एसोसिएशन अध्यक्ष नाथू सिंह राठौड़ ने कहा कि उच्च न्यायालय को राज्य सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए कि राज्य सरकार राजस्थान उच्च न्यायालय के समीप ही सभी अधीनस्थ न्यायालय, अधिकरण, आयोग आदि के वास्ते शीघ्र ही अगले सौ साल का ध्यान रखते हुए जमीन उपलब्ध कराएं. जिससे सभी को सुविधा हो सके.