ETV Bharat / state

Rajasthan HighCourt order : हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा से अभियुक्त बरी, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति बनी मसीहा

हत्या के आरोपी को राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan HighCourt) ने बरी कर दिया. गरीब जरनेल सिंह निचली अदालत में उचित पैरवी नहीं कर सका था. जिसके कारण उसे आजीवन कारावास की सजा हो गई.

Rajasthan High Court, Jodhpur news
राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी को किया बरी
author img

By

Published : Nov 25, 2021, 8:32 PM IST

जोधपुर. गरीब जरनेलसिंह के लिए अपनी गरीबी की वजह से न्याय पाना मुश्किल था. इसीलिए उचित पैरवी नहीं होने की वजह से बीकानेर की अनुसूचित जाति जनजाति अदालत (SC/ST Court of Bikaner) ने उसे हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिये थे लेकिन अब राजस्थान कोर्ट ने उसे हत्या के आरोप से बरी करते हुए रिहा करने का आदेश जारी (acquitted of murder Bikaner) किया है.

उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति जोधपुर ने बंदी जनरेल सिंह की गरीबी को देखते हुए अधिवक्ता दिलीप सिंह को इस मामले में बंदी का न्यायमित्र नियुक्त किया. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश समीर जैन की खंडपीठ के समक्ष बंदी अपीलकर्ता जनरेल सिंह की ओर से न्यायमित्र दिलीपसिंह ने उसका पक्ष रखा. अपीलकर्ता की ओर से बताया गया कि चश्मदीद गवाह ने गला दबा के हत्या कर देने के आरोप चिकित्सकीय गवाही में साबित नहीं पाए गए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मेडिकल बोर्ड की गवाही में गला दबाने का कोई साक्ष्य नहीं आया. ऐसे में न्यायालय ने चश्मदीद गवाह की गवाही को अविश्वसनीय मानते हुए बंदी जनरेल सिंह को हत्या के आरोप में आजीवन कारावास से बरी (acquitted of life imprisonment Jodhpur) कर दिया. न्यायालय ने बीकानेर की जेल से रिहा करने का आदेश जारी किया है.

यह भी पढ़ें. Rajasthan HighCourt order रीट लेवल-1 से बीएडधारी होंगे बाहर, फैसला सुनकर धरने पर बैठे BSTC अभ्यर्थी झूम उठे

यह था मामला

जनरेल सिंह और मृतक परीराम दोनों खेत पर काम कर रहे थे. इसी दौरान परीराम का निधन हो गया. परीराम का पुत्र मनीराम ने ही गजनेर थाने में 15 अगस्त 2013 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी और पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सुपुर्द करते हुए हत्या के आरोप में जनरेल सिंह को गिरफ्तार कर लिया था. बीकानेर की अनुसूचित जाति जनजाति अदालत ने 05 सितंबर 2019 को जनरेल सिंह को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिए थे. जिसके खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में अपील पेश की गई थी.

राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति बनी मसीहा

जनरेलसिंह गरीब होने की वजह से निचली अदालत में उचित पैरवी नहीं कर सका. इसी वजह से उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. अपील करने के लिए भी उसके गरीब आड़े आ रही थी लेकिन राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति जोधपुर ने जनरेलसिंह को न्यायमित्र उपलब्ध करवाया और इस मामले में अधिवक्ता दिलीप सिंह को न्यायमित्र नियुक्त किया गया. न्यायमित्र ने भी अपनी ओर से पैरवी की और सबूतों और तथ्यों के आधार पर जनरेल सिंह को बरी करवाया.

जोधपुर. गरीब जरनेलसिंह के लिए अपनी गरीबी की वजह से न्याय पाना मुश्किल था. इसीलिए उचित पैरवी नहीं होने की वजह से बीकानेर की अनुसूचित जाति जनजाति अदालत (SC/ST Court of Bikaner) ने उसे हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिये थे लेकिन अब राजस्थान कोर्ट ने उसे हत्या के आरोप से बरी करते हुए रिहा करने का आदेश जारी (acquitted of murder Bikaner) किया है.

उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति जोधपुर ने बंदी जनरेल सिंह की गरीबी को देखते हुए अधिवक्ता दिलीप सिंह को इस मामले में बंदी का न्यायमित्र नियुक्त किया. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश समीर जैन की खंडपीठ के समक्ष बंदी अपीलकर्ता जनरेल सिंह की ओर से न्यायमित्र दिलीपसिंह ने उसका पक्ष रखा. अपीलकर्ता की ओर से बताया गया कि चश्मदीद गवाह ने गला दबा के हत्या कर देने के आरोप चिकित्सकीय गवाही में साबित नहीं पाए गए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मेडिकल बोर्ड की गवाही में गला दबाने का कोई साक्ष्य नहीं आया. ऐसे में न्यायालय ने चश्मदीद गवाह की गवाही को अविश्वसनीय मानते हुए बंदी जनरेल सिंह को हत्या के आरोप में आजीवन कारावास से बरी (acquitted of life imprisonment Jodhpur) कर दिया. न्यायालय ने बीकानेर की जेल से रिहा करने का आदेश जारी किया है.

यह भी पढ़ें. Rajasthan HighCourt order रीट लेवल-1 से बीएडधारी होंगे बाहर, फैसला सुनकर धरने पर बैठे BSTC अभ्यर्थी झूम उठे

यह था मामला

जनरेल सिंह और मृतक परीराम दोनों खेत पर काम कर रहे थे. इसी दौरान परीराम का निधन हो गया. परीराम का पुत्र मनीराम ने ही गजनेर थाने में 15 अगस्त 2013 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी और पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सुपुर्द करते हुए हत्या के आरोप में जनरेल सिंह को गिरफ्तार कर लिया था. बीकानेर की अनुसूचित जाति जनजाति अदालत ने 05 सितंबर 2019 को जनरेल सिंह को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिए थे. जिसके खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में अपील पेश की गई थी.

राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति बनी मसीहा

जनरेलसिंह गरीब होने की वजह से निचली अदालत में उचित पैरवी नहीं कर सका. इसी वजह से उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. अपील करने के लिए भी उसके गरीब आड़े आ रही थी लेकिन राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति जोधपुर ने जनरेलसिंह को न्यायमित्र उपलब्ध करवाया और इस मामले में अधिवक्ता दिलीप सिंह को न्यायमित्र नियुक्त किया गया. न्यायमित्र ने भी अपनी ओर से पैरवी की और सबूतों और तथ्यों के आधार पर जनरेल सिंह को बरी करवाया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.