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Rajasthan HC: ट्रिब्यूनल को लेकर सरकारों के रवैए पर कोर्ट ने उठाए सवाल - राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा- देश में अप्रिय स्थिति है कि सरकार अधिकरणों की स्थापना के लिए विधान तो बनाती हैं लेकिन उनके लिए धरातल पर समुचित संसाधन और अधिकारी उपलब्ध नहीं कराती है (HC Upset over Tribunal incompetence).

Rajasthan HC
सरकारों के रवैए पर कोर्ट ने उठाए सवाल
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Published : Nov 19, 2022, 10:36 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि देश में ये अप्रिय स्थिति है कि सरकार अधिकरणों की स्थापना के लिए विधान बनाती है, लेकिन समुचित संसाधन और अधिकारी उपलब्ध नहीं कराती (HC Upset over Tribunal incompetence). जिससे इनके अभाव में अधिकांश अधिकरण कार्यरत नहीं है.

कोर्ट ने जोधपुर में राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण की स्थाई पीठ,राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग और ऋण वसूली अधिकरण की चल पीठ स्थापित करने बाबत राज्य सरकार,भारत सरकार और जोधपुर जिला कलेक्टर को तीन सप्ताह में समरूप शपथ पत्र (Identical Affidavit) पेश करने के निर्देश दिए हैं.

मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल व न्यायाधीश रेखा बोराणा की खंडपीठ में राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा दायर दो जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता अनिल भंडारी और अधिवक्ता नाथूसिंह राठौड़ ने अपना जवाब कोर्ट के सामने रखा. कहा कि 19 जुलाई 2022 को हाईकोर्ट बेंच के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण की स्थाई पीठ जोधपुर में गठित करने की सहमति प्रदान कर दी है और अभी फिलहाल आठ दिन न्यायिक कार्रवाई पुराने भवन में ही कर रही है.

भंडारी और राठौड़ ने कोर्ट को ये भी बताया कि निर्देश दिया गया है कि जल्द ही सभी मानव संसाधन और सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करें ताकि स्थाई पीठ छह महीने के भीतर सुचारू रूप से प्रारंभ हो सके. दूसरी याचिका में गत 7 सितम्बर को केंद्रीय सरकार को जोधपुर में ऋण वसूली अधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, आयकर अपीलेट ट्रिब्यूनल की सुचारू स्थापना और राष्ट्रीय हरित अधिकरण जो कि पूर्व में जोधपुर में कार्यरत थी, को पुनः स्थापित करने बाबत अपनी स्थिति बताएं.

पढ़ें-Rajasthan HC: जेल नियम पारित नहीं हुए तो सीएस, डीजीपी और एसीएस गृह पेश होकर देरी का कारण बताएं

अधिवक्ता ने कहा कि इसके वास्ते हेरिटेज भवन में उचित जगह भवन उपलब्ध कराया जाएं.खंडपीठ ने कहा कि देश के लिए यह अप्रिय स्थिति है कि सरकार अधिकरणों की स्थापना वास्ते विधान बनाती है,लेकिन समुचित संसाधन और अधिकारी उपलब्ध नहीं कराने से देश के अधिकतर अधिकरण इसके अभाव में वास्तविक रूप से कार्यरत नहीं है. उन्होंने भारत सरकार के अधिवक्ता डिप्टी सॉलिसिटर जनरल मुकेश राजपुरोहित,राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता व अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह और जिला कलक्टर जोधपुर की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील बेनीवाल को निर्देश दिए कि सरकार से आवश्यक निर्देश लेकर शपथ पत्र तीन सप्ताह में पेश करें.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि देश में ये अप्रिय स्थिति है कि सरकार अधिकरणों की स्थापना के लिए विधान बनाती है, लेकिन समुचित संसाधन और अधिकारी उपलब्ध नहीं कराती (HC Upset over Tribunal incompetence). जिससे इनके अभाव में अधिकांश अधिकरण कार्यरत नहीं है.

कोर्ट ने जोधपुर में राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण की स्थाई पीठ,राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग और ऋण वसूली अधिकरण की चल पीठ स्थापित करने बाबत राज्य सरकार,भारत सरकार और जोधपुर जिला कलेक्टर को तीन सप्ताह में समरूप शपथ पत्र (Identical Affidavit) पेश करने के निर्देश दिए हैं.

मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल व न्यायाधीश रेखा बोराणा की खंडपीठ में राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा दायर दो जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता अनिल भंडारी और अधिवक्ता नाथूसिंह राठौड़ ने अपना जवाब कोर्ट के सामने रखा. कहा कि 19 जुलाई 2022 को हाईकोर्ट बेंच के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण की स्थाई पीठ जोधपुर में गठित करने की सहमति प्रदान कर दी है और अभी फिलहाल आठ दिन न्यायिक कार्रवाई पुराने भवन में ही कर रही है.

भंडारी और राठौड़ ने कोर्ट को ये भी बताया कि निर्देश दिया गया है कि जल्द ही सभी मानव संसाधन और सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करें ताकि स्थाई पीठ छह महीने के भीतर सुचारू रूप से प्रारंभ हो सके. दूसरी याचिका में गत 7 सितम्बर को केंद्रीय सरकार को जोधपुर में ऋण वसूली अधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, आयकर अपीलेट ट्रिब्यूनल की सुचारू स्थापना और राष्ट्रीय हरित अधिकरण जो कि पूर्व में जोधपुर में कार्यरत थी, को पुनः स्थापित करने बाबत अपनी स्थिति बताएं.

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अधिवक्ता ने कहा कि इसके वास्ते हेरिटेज भवन में उचित जगह भवन उपलब्ध कराया जाएं.खंडपीठ ने कहा कि देश के लिए यह अप्रिय स्थिति है कि सरकार अधिकरणों की स्थापना वास्ते विधान बनाती है,लेकिन समुचित संसाधन और अधिकारी उपलब्ध नहीं कराने से देश के अधिकतर अधिकरण इसके अभाव में वास्तविक रूप से कार्यरत नहीं है. उन्होंने भारत सरकार के अधिवक्ता डिप्टी सॉलिसिटर जनरल मुकेश राजपुरोहित,राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता व अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह और जिला कलक्टर जोधपुर की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील बेनीवाल को निर्देश दिए कि सरकार से आवश्यक निर्देश लेकर शपथ पत्र तीन सप्ताह में पेश करें.

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