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जोधपुर संभाग की 33 में से 13 हॉट सीट, यहां कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा है दांव पर

राजस्थान विधानसभा चुनाव में शनिवार को मतदान होने हैं. जोधपुर संभाग की 33 में 13 सीटें हॉट सीट बनी हुई हैं. कई जगह मंत्री, सांसद, पूर्व मंत्री और पूर्व नौकरशाह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

Rajasthan Assembly Election 2023
Rajasthan Assembly Election 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 24, 2023, 12:16 PM IST

जोधपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भोंपू प्रचार थम गया है. उम्मीदवार अब घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं. सियासत की धुरी मारवाड़ यानी जोधपुर संभाग की 33 में 13 सीटें हॉट सीट बनी हुई हैं. इनमें कई जगह पर त्रिकोणीय मुकाबला भी हो रहा है. 2018 के चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस-भाजपा दोनों को एकतरफा समर्थन नहीं दिया था. इसके चलते कांग्रेस को 16, भाजपा को 14 सीटें मिली. वहीं, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को एक सीट मिली थी. इसके अलावा दो निर्दलीय भी जीत कर आए, जिन्होंने गहलोत सरकार को समर्थन दिया था. उनकी भी प्रतिष्ठता दांव पर लगी है. सबसे रोचक मुकाबले बाडमेर जिले में हैं. यहां की कुल सात ​सीटों में से चार सीटों पर भीषण मुकाबला है. संभाग में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी कई जगह त्रिकोणीय मुकाबले बनाए हैं.

सीएम के लिए ये चुनौती: सांचौर में मंत्री सुखराम विश्नोई का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. इसका लाभ उनको मिलता दिख रहा है. उनके सामने भाजपा के जालौर-सिरोही सांसद देवजी पटेल हैं, लेकिन भाजपा के बागी ने चुनाव का रंग बदल दिया. देवजी पटेल के साथ ही भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है. इसी तरह से बाड़मेर में राज्यमंत्री गोसेवा आयोग के अध्यक्ष मेवाराम जैन के सामने भाजपा के दीपक कडवासरा हैं, लेकिन यहां भी भाजपा की बागी प्रियंका ने पार्टी को परेशान कर रखा है. वहीं, पोकरण में मंत्री सालेह मोहम्मद का महंत प्रतापपुरी से मुकाबला बेहद रोचक हो रहा है. गत बार मोहम्म्द 839 मतों से ही जीते थे. इसके अलावा सरदारपुरा से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए अपने जीत का अंतर बनाए रखना भी चुनौती है.

Rajasthan Assembly Election 2023
देखिए सीटों पर कौन हैं आमने-सामने
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पढ़ें. 2018 में टूट गया सालों पुराना मिथक! जब ज्यादा सीटों के बाद भी भाजपा नहीं बना पाई थी सरकार

मुख्यमंत्री के सलाहकार भी फंसे : गत बार सिरोही और मारवाड़ जंक्शन से कांग्रेस के बागी बनकर चुनाव जीतने वाले संयम लोढ़ा और खुशवीर सिंह को सीएम ने सलाहकार बनाया था. दोनों वापस कांग्रेस से मैदान में हैं, लेकिन कांग्रेसी इनसे खफा हैं. इसी तरह से प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के प्रमुख रहे पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य इस बार सोजत से भाजपा शोभा चौहान के सामने चुनाव लड़ रहे हैं. गत चुनाव में आर्य की पत्नी यहां से हारी थीं, जिन्हें बाद में आरपीएससी का मेंबर बना दिया गया. यही बात स्थानीय कांग्रेसियों को अखर रही है. कांग्रेस सरकार में नियुक्ति प्राप्त करने वाले मानवेंद्र सिंह जसोल के सामने सीएम के खास सुनील परिहार ने ​बागी होकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है.

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इन पूर्व मंत्रियों को करनी पड़ रही जद्दोजहद : सिरोही में भाजपा के ओटाराम देवासी पूरा दमखम लगा रहे हैं, क्योंकि वे गत चुनाव हार गए थे. जालोर से जोगेश्वर गर्ग को कांग्रेस के साथ ही बागी से भी मुकाबला करना पड़ रहा है. जैतारण में भाजपा से पूर्व मंत्री रहे सुरेंद्र गोयल इस बार कांग्रेस से मैदान में हैं, उनके सामने भाजपा ने युवा अविनाश को दूसरी बार उतारा हैं. बिलाड़ा में भाजपा के अर्जुनलाल गर्ग के सामने उनकी पार्टी के बागी होकर आरएलपी से जगदीश कडेला ने परेशानी बढ़ा दी है. कांग्रेस भी मैदान में है. इसी तरह से भोपालगढ़ से कमसा मेघवाल गत बार की तरह इस बार भी त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी हैं. लोहावट से पूर्व मंत्री गजेंद्र सिंह खिंवसर भी त्रिकोणीय मुकाबले में हैं. पूर्व संसदीय सचिव भैराराम चौधरी की दिव्या मदेरणा से सीधी टक्कर भी रोचक है. शिव से अमीन खां को अपनी पार्टी के बागी फतेहखान से चुनौती मिली है. यहां छात्रनेता रविंद्र सिंह भाटी भी भाजपा के बागी होकर डटे हैं. बाली में पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ को बाहरी का ठप्पा लगने के कारण जद्दोजहद करनी पड़ रही है. भाजपा के पूर्व मंत्री पुष्पेंद्र सिंह की राह आसान बना रहा है.

जोधपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भोंपू प्रचार थम गया है. उम्मीदवार अब घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं. सियासत की धुरी मारवाड़ यानी जोधपुर संभाग की 33 में 13 सीटें हॉट सीट बनी हुई हैं. इनमें कई जगह पर त्रिकोणीय मुकाबला भी हो रहा है. 2018 के चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस-भाजपा दोनों को एकतरफा समर्थन नहीं दिया था. इसके चलते कांग्रेस को 16, भाजपा को 14 सीटें मिली. वहीं, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को एक सीट मिली थी. इसके अलावा दो निर्दलीय भी जीत कर आए, जिन्होंने गहलोत सरकार को समर्थन दिया था. उनकी भी प्रतिष्ठता दांव पर लगी है. सबसे रोचक मुकाबले बाडमेर जिले में हैं. यहां की कुल सात ​सीटों में से चार सीटों पर भीषण मुकाबला है. संभाग में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी कई जगह त्रिकोणीय मुकाबले बनाए हैं.

सीएम के लिए ये चुनौती: सांचौर में मंत्री सुखराम विश्नोई का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. इसका लाभ उनको मिलता दिख रहा है. उनके सामने भाजपा के जालौर-सिरोही सांसद देवजी पटेल हैं, लेकिन भाजपा के बागी ने चुनाव का रंग बदल दिया. देवजी पटेल के साथ ही भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है. इसी तरह से बाड़मेर में राज्यमंत्री गोसेवा आयोग के अध्यक्ष मेवाराम जैन के सामने भाजपा के दीपक कडवासरा हैं, लेकिन यहां भी भाजपा की बागी प्रियंका ने पार्टी को परेशान कर रखा है. वहीं, पोकरण में मंत्री सालेह मोहम्मद का महंत प्रतापपुरी से मुकाबला बेहद रोचक हो रहा है. गत बार मोहम्म्द 839 मतों से ही जीते थे. इसके अलावा सरदारपुरा से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए अपने जीत का अंतर बनाए रखना भी चुनौती है.

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पढ़ें. 2018 में टूट गया सालों पुराना मिथक! जब ज्यादा सीटों के बाद भी भाजपा नहीं बना पाई थी सरकार

मुख्यमंत्री के सलाहकार भी फंसे : गत बार सिरोही और मारवाड़ जंक्शन से कांग्रेस के बागी बनकर चुनाव जीतने वाले संयम लोढ़ा और खुशवीर सिंह को सीएम ने सलाहकार बनाया था. दोनों वापस कांग्रेस से मैदान में हैं, लेकिन कांग्रेसी इनसे खफा हैं. इसी तरह से प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के प्रमुख रहे पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य इस बार सोजत से भाजपा शोभा चौहान के सामने चुनाव लड़ रहे हैं. गत चुनाव में आर्य की पत्नी यहां से हारी थीं, जिन्हें बाद में आरपीएससी का मेंबर बना दिया गया. यही बात स्थानीय कांग्रेसियों को अखर रही है. कांग्रेस सरकार में नियुक्ति प्राप्त करने वाले मानवेंद्र सिंह जसोल के सामने सीएम के खास सुनील परिहार ने ​बागी होकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है.

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