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MDM Hospital : ऑर्बिटल एथेरेक्टॉमी से हृदय की धमनियों में जमा कैल्शियम हटाया, 84 साल की वृद्धा को दी राहत - ETV Bharat Rajasthan news

जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में एक वृद्धा का ऑर्बिटल एथेरेक्टॉमी से रोगी का सफल उपचार (orbital atherectomy at MDM Hospital) किया गया. इस नई तकनीक का उपयोग हृदय की धमनियों में जमा कैल्शियम को काटने के लिए होता है.

orbital atherectomy at MDM Hospital
orbital atherectomy at MDM Hospital
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Published : Feb 15, 2023, 10:30 PM IST

जोधपुर. एमडीएम में ऑर्बिटल एथेरेक्टॅामी के हृदय रोग विभाग में बुधवार को हृदय की धमनियों में जमा कैल्शियम को काटने की नवीनतम तकनीक 'ऑर्बिटल एथेरेक्टॅामी' से रोगी का सफल उपचार किया गया. दावा किया जा रहा है कि इस तकनीक से पहली बार प्रदेश में किसी सरकारी अस्पताल में किसी का उपचार हुआ है.

कार्डियोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रोहित माथुर ने बताया कि इस तकनीक में कैथेटर के साथ एक महीन कटर धमनी में मौजूद ब्लॉक तक जाता है. जिसे डॉक्टर कैथ टेबल से नियंत्रित करते हैं. कटर धीरे धीरे धमनी में जमा कैल्शियम को काटता और उसे एकत्र भी करता है. पूरा ब्लॉक हटने के बाद वहां पर स्टंट लगा दिया जाता है. हृदय की धमनियों में जमा कैलशियम हमेशा से ही हृदय रोग विशेषज्ञों के लिए एक चुनौती रहा है.

पढ़ें. राजस्थान: SMS अस्पताल में पहला स्किन डोनेशन, जयपुर की अनिता गोयल के परिजनों ने की स्किन डोनेट

अब तक मथुरादास अस्पताल में इसे काटने के लिए विभिन्न प्रकार के बैलूनों तथा रोटाब्लेशन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. लेकिन कुछ मामलों में इनमें से किसी भी तकनीक का उपयोग नहीं किया जा सकता है. 84 वर्षीय वृद्धा की एंजियोग्राफी में उनके हृदय की धमनियों में 85 फीसदी कैल्शियम ब्लॉकेज था. इस स्थिति में पुरानी तकनीक काम नहीं आती. उन्हें बायपास करवानी पड़ती. ऐसे में इस तकनीक का सहारा लिया गया. इसमें विभाग के डॉ पवन शारडा एवं डॉ अनिल बारूपाल का सहयोग रहा.

कॉन्फ्रेंस में देखी तकनीक : डॉक्टर रोहित माथुर ने बताया कि हाल ही में जयपुर में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ था, जिसमे इस तकनीक का प्रदर्शन हुआ. 11 फरवरी को डॉक्टर समीन शर्मा ने निजी अस्पताल में भारत का पहला केस हैंडल किया था. डॉ माथुर ने बताया कि वे खुद उस कॉन्फ्रेंस में थे. वहां से तकनीक देखकर वृद्धा के उपचार के लिए इसका उपयोग करना तय किया. अब तक देश में करीब 15 लोगों का इस तकनीक से उपचार हुआ है.

लाखों का उपचार हुआ निशुल्क : हृदय रोग उपचार में यह तकनीक पूरी तरह से निशुल्क नहीं है. अभी इस प्रोसीजर को लेकर किसी सरकारी योजना में प्रावधान नहीं किया गया है. लेकिन डॉक्टरों के प्रयास और रूचि को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ दिलीप कछवाहा और एमडीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने मरीज का उपचार पूरी तरह से निशुल्क करवाया. इस ट्रीटमेंट के लिए प्रोसीजर कॉस्ट तीन लाख से ज्यादा है. निजी अस्पताल इससे कहीं ज्यादा वसूलते हैं.

जोधपुर. एमडीएम में ऑर्बिटल एथेरेक्टॅामी के हृदय रोग विभाग में बुधवार को हृदय की धमनियों में जमा कैल्शियम को काटने की नवीनतम तकनीक 'ऑर्बिटल एथेरेक्टॅामी' से रोगी का सफल उपचार किया गया. दावा किया जा रहा है कि इस तकनीक से पहली बार प्रदेश में किसी सरकारी अस्पताल में किसी का उपचार हुआ है.

कार्डियोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रोहित माथुर ने बताया कि इस तकनीक में कैथेटर के साथ एक महीन कटर धमनी में मौजूद ब्लॉक तक जाता है. जिसे डॉक्टर कैथ टेबल से नियंत्रित करते हैं. कटर धीरे धीरे धमनी में जमा कैल्शियम को काटता और उसे एकत्र भी करता है. पूरा ब्लॉक हटने के बाद वहां पर स्टंट लगा दिया जाता है. हृदय की धमनियों में जमा कैलशियम हमेशा से ही हृदय रोग विशेषज्ञों के लिए एक चुनौती रहा है.

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अब तक मथुरादास अस्पताल में इसे काटने के लिए विभिन्न प्रकार के बैलूनों तथा रोटाब्लेशन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. लेकिन कुछ मामलों में इनमें से किसी भी तकनीक का उपयोग नहीं किया जा सकता है. 84 वर्षीय वृद्धा की एंजियोग्राफी में उनके हृदय की धमनियों में 85 फीसदी कैल्शियम ब्लॉकेज था. इस स्थिति में पुरानी तकनीक काम नहीं आती. उन्हें बायपास करवानी पड़ती. ऐसे में इस तकनीक का सहारा लिया गया. इसमें विभाग के डॉ पवन शारडा एवं डॉ अनिल बारूपाल का सहयोग रहा.

कॉन्फ्रेंस में देखी तकनीक : डॉक्टर रोहित माथुर ने बताया कि हाल ही में जयपुर में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ था, जिसमे इस तकनीक का प्रदर्शन हुआ. 11 फरवरी को डॉक्टर समीन शर्मा ने निजी अस्पताल में भारत का पहला केस हैंडल किया था. डॉ माथुर ने बताया कि वे खुद उस कॉन्फ्रेंस में थे. वहां से तकनीक देखकर वृद्धा के उपचार के लिए इसका उपयोग करना तय किया. अब तक देश में करीब 15 लोगों का इस तकनीक से उपचार हुआ है.

लाखों का उपचार हुआ निशुल्क : हृदय रोग उपचार में यह तकनीक पूरी तरह से निशुल्क नहीं है. अभी इस प्रोसीजर को लेकर किसी सरकारी योजना में प्रावधान नहीं किया गया है. लेकिन डॉक्टरों के प्रयास और रूचि को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ दिलीप कछवाहा और एमडीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने मरीज का उपचार पूरी तरह से निशुल्क करवाया. इस ट्रीटमेंट के लिए प्रोसीजर कॉस्ट तीन लाख से ज्यादा है. निजी अस्पताल इससे कहीं ज्यादा वसूलते हैं.

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