जोधपुर. प्रदेश की राजनीति में उफान लाने वाले संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के संचालकों के खिलाफ एसओजी में दर्ज परिवाद पर कई गिरफ्तारियां हो गईं. लेकिन करीब पांच माह पहले एसओजी के मार्फत ही जोधपुर संभाग के थानों में निवेशकों द्वारा सोसायटी संचालकों के खिलाफ दर्ज मामलों में अभी कार्रवाई सिफर है. संबंधित थानाधिकारी तो इन प्रकरणों को लेकर बोलने को भी तैयार नहीं हैं. पुलिस के बड़े अधिकारी गहन जांच का हवाला दे रहे हैं.
जबकि मार्च में जब संजीवनी संचालकों के खिलाफ मामले दर्ज होने लगे, तो लग रहा था कि सरकार इस मामले में बड़ी कार्रवाई करने के मूड में है. उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद इस मामले को लेकर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर हमलावार थे. हाईकोर्ट से शेखावत को राहत मिल गई. उसके बाद से यह मामले पूरी तरह से ठंडे बस्ते में जाते दिख रहे हैं. पांच माह में पुलिस इन मामलों में जांच के नाम पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई है.
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आईजी बोले-एसपी कर रहे हैं सुपरविजनः जोधपुर के संभाग के बाड़मेर, जालौर व पाली जिले में 300 से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे. जोधपुर पुलिस रेंज के आईजी जयनारायण शेर से जब इसको लेकर पूछा गया, तो उनका कहना था संबंधित पुलिस अधीक्षक के सुपरविजन में जांच चल रही है. रिकार्ड तलब किया जा रहा है. थानाधिकारियों को गहन जांच के निर्देश दिए गए हैं. क्या जांच के आधार पर कोई कार्रवाई होगी इस पर शेर ने कहा कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर कार्रवाई होगी. अलग- अलग थानों में दर्ज मामलें के आधार पर आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है. लेकिन गिरफ्तारियां कब होगी, इस पर शेर सटीक जवाब नहीं दे पाए.
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कमिश्नरेट में भी ठंडे बस्ते मेंः जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के थानों में करीब 140 मामले दर्ज हुए हैं. हाल ही में एक बार फिर मामले दर्ज होना शुरू हो चुके हैं. बीते चार दिन में 9 केस दर्ज हुए हैं, लेकिन पुराने मामलों में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. सभी मामले उन परिवादियों के नाम से दर्ज हुए हैं जिन्होंने एसओजी में परिवाद दिया था. कई जगह पर तो उनसे भी पुलिस ने संपर्क नहीं किया है. बीते दिनों में मामले दर्ज करने वाले थानाधिकारी भी बदल चुके हैं. पुलिस सूत्रों का कहना था कि सिर्फ मामले दर्ज करने का कहा था. कार्रवाई के लिए कोई निर्देश नहीं थे.
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950 करोड़ का है घोटलाः संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसाइटी ने राजस्थान और गुजरात में अपनी शाखाएं खोल कर लोगों से मोटे ब्याज के लालच में निवेश करवाया था. 1 लाख 46 हजार निवेशकों के 953 करोड़ रुपए का भुगतान करने का समय आया, तो सोसाइटी इससे पीछे हट गई थी. लोगों को भुगतान के लिए इंतजार करवाया जाने लगा. इसके बाद अचानक कार्यालय बंद हो गए. इसके बाद एसओजी ने 2019 में मामला दर्ज कर जांच शुरू की. जिसमें कई वित्तीय अनियमितताएं पाई गई. सोसाइटी की मुखिया विक्रमसिंह इंदरोई सहित कई की गिरफ्तारियां हुई.