जोधपुर. रिअल स्टेट कंपनी नेक्सा एवरग्रीन के खिलाफ धोखाधड़ी मामले में सामने आया है कि जोधपुर में भी लोगों से बड़ी संख्या में ठगी हुई है. हालांकि अभी गिनती के ही मामले अलग-अलग थानों में दर्ज हुए हैं, लेकिन सर्वाधिक मामले करवड़ थाना क्षेत्र में सामने आ रहे हैं. करवड़ क्षेत्र के रामपुरा भाटियान सहित कई गांव में दर्जनों लोगों ने एक साथ लाखों रुपए इस कंपनी में लगाए. 23 जनवरी के बाद में कंपनी की तरफ से भुगतान आना बंद हो गया, जिसके बाद से सभी की नींद उड़ी हुई है.
आरोप है कि इनके एजेंट अब वहां से भाग चुके हैं. 14 माह में ही लगभग दोगुनी राशि के लालच में अपनी जीवन भर की पूंजी गंवाने वाले लोग सोमवार को पुलिस कमिश्नर कार्यालय पहुंचे और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ज्ञापन सौंपा. वहीं पुलिस की पड़ताल में भी यह आने आया है कि अकेले करवड़ थाने क्षेत्र में ही लोगों के 50 से 80 करोड़ की ठगी हुई है. इनमे पूर्व सैनिक, पुलिसकर्मी और अन्य सरकारी कर्मचारी हैं.
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लोगों ने बताया कि क्षेत्र के निवासी पूर्व सैनिक ने सभी लोगों को इस स्कीम के बारे में बताया था. उनका था कि प्रधानमंत्री के विजन से अहमदाबाद से 80 किमी दूर धोलेरा में यह सिटी तैयार हो रही है. लोगों की दी हुई राशि जमीनों में इन्वेस्ट की जाएगी. इसका जो लाभ आएगा, उसके अनुरूप 50000 देने वालों को हर सप्ताह 1300 रुपए और एक लाख देने वालों को 2900 हर सप्ताह मिलेंगे. यह क्रम 14 महीने तक चलेगा. लोगों ने बताया कि विश्वास में लेने के लिए मेघसिंह और उसके साथियों ने वह जगह दिखाई जहां ग्रीन स्मार्ट सिटी का काम चल रहा था.
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विश्वास जमाने को दी रजिस्ट्री, वापस ले ली: करवर थाने के सब इंस्पेक्टर रामलाल ने बताया कि क्षेत्र में 50 से 80 करोड़ की ठगी होने की जानकारी अब तक सामने आई है. कुछ लोगों ने स्थानीय एजेंट मेघसिंह, शक्ति सिंह और सुरेंद्र सिंह के खिलाफ मामले दर्ज करवाए हैं. धोलेरा में बन रही ग्रीन स्मार्ट सिटी में निवेश के लिए कई लोगों के नाम वहां की जमीन की रजिस्ट्री भी करवा कर दी गई. जो कुछ समय बाद एजेंटों ने वापस ले ली. पुलिस ने बताया कि इस कंपनी के एजेंट रूप में ज्यादातर सेवानिवृत्त सैनिक ही काम कर रहे थे, जिन्होंने लोगों को फंसाया. इसकी शुरुआत शेखावाटी के सीकर, झुंझुनू और नागौर से हुई. अब धीरे-धीरे जोधपुर में भी मामले सामने आने लगे हैं.
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जोड़ने पर भी कमीशन मिलता: धोखेबाजी का शिकार हुए लोगों ने बताया कि एजेंट मेघ सिंह, सुरेंद्र सिंह लोगों को जोड़ते थे. साथ में अगर कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को जुड़वाता था, तो उसे हर सप्ताह 200 रुपए का अतिरिक्त लाभ मिलता था. इस लालच में सभी लोगों ने एक-दूसरे को इस कंपनी से जोड़ा. कई दिनों तक राशि आई, लेकिन फिर जनवरी के अंतिम सप्ताह के बाद रुपए आना बंद हो गए. मेघ सिंह क्षेत्र से गायब हो गया, जिसके बाद लोग पुलिस के पास पहुंचे.