जोधपुर. आईआईटी जोधपुर और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ हुए एमओयू के तहत डीआरडीओ-इंडस्ट्री-एकेडेमिया उत्कृष्टता का केंद्र (डीआईए-सीओई, आईआईटी जोधपुर) में स्थापित किया जाएगा. गांधीनगर में रक्षा मंत्री राजनाथ राजनाथ सिंह की मौजूदगी में गुरुवार को आईआईटी जोधपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर शांतनु चौधरी और डीआरडीओ गांधीनगर के सचिव ने एमओयू पर हस्ताक्षर (MoU between IIT Jodhpur and DRDO) किए.
डीआरडीओ के साथ आईआईटी जोधपुर के सहमति करार के बारे में आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो शांतनु चौधरी ने बताया कि इस करार से आईआईटी जोधपुर और उद्योग जगत के बीच मजबूत संबंध बनेगा. जिसके तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रौद्योगिकी का विकास किया जाएगा. यह केवल वर्तमान भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भावी प्रौद्योगिकियों के विकास में सहायक होगा जो आधुनिक युद्धक्षेत्र की व्यावहारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रेरित होगा. डीआरडीओ के अनुदान से स्थापित होने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस निर्धारित कार्य क्षेत्रों पर अनुसंधान करेगा. डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं के सहयोग और फिर उद्योग जगत और अन्य शैक्षिक अनुसंधान संस्थानों के साथ मिल कर आईआईटी जोधपुर के फैकल्टी और विद्यार्थी शोध करेंगे.
पढ़ें: आईआईटी जोधपुर ने स्पाइन इंजरी, ब्रेन स्टॉक से लकवे के शिकार मरीजों को थेरेपी देने के लिए बनाया रोबोट
आईआईटी जोधपुर विभिन्न रणनीति और युद्ध कौशल से सीधे जुड़े कई डोमेन में विशेषज्ञता रखता है. इनमें डेजर्ट ऑपरेशंस के लिए टेक्नोलॉजीज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मोबिलिटी और स्वदेशी और स्पेशल टेक्नोलॉजी के विकास में उपयोगी रोबोटिक्स जो वारगेमिंग, सूचना युद्ध और फ्युचरिस्टिक ओमनी मोबिलिटी सिस्टम जो जमीन हवा और पानी जैसे विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में कार्य सक्षम हैं.
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में मुख्य रूप इन कार्यक्षेत्रों में लक्षित अनुसंधान किए जाएंगे
- डेजर्ट वेलफेयर टेक्नोलॉजीज
- फ्यूचरिस्टिक ओमनी मोबिलिटी सिस्टम्स
- इन्फॉर्मेशन और वारगेमिंग टेक्नोलॉजी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस