जोधपुर. केरल टूरिज्म में पंचकर्म की भी अहम भूमिका है, जिसके लिए लोग वहां जाते हैं, लेकिन अब देश का सबसे बडा अंतराष्ट्रीय स्तर का पंचकर्म सेंटर जोधपुर के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय में जल्द शुरू होगा. इस सेंटर से आयुर्वेद क्षेत्र में भी मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा. इसके लिए सेंटर का निर्माण भी उसी तर्ज पर किया गया है. बाकायदा बाहर से आने वाले लोग यहां सुपरडिलक्स कॉटेज, डिलक्स कॉटेज ले सकेंगे.
झोपड़ी के आकार के कॉटेेज बनाए गए हैं. पूरे सेंटर का निर्माण कार्य 50 फीसदी से ज्यादा हो चुका है. दिसंबर या जनवरी में सेंटर शुरू हो जाएगा. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य प्रदीप कुमार प्रजापति ने बताया कि मेडिकल टूरिज्म को ध्यान रखकर इसका निर्माण हो रहा है. राज्य सरकार ने इस सेंटर के लिए 50 करोड़ का बजट दिया है. उन्होंने बताया कि हमारे मौजूदा सेंटर पर भी लोगों की संख्या बढ़ी है. अब इस केंद्र के स्थापित होने के बाद जोधपुर में ही सारी सुविधा मिल जाएगी, लोगों को केरल नहीं जाना पड़ेगा.
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100 बेड का होगा सेंटर : विश्वविद्यालय में अभी पंचकर्म सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चल रहा है, जो प्रदेश का सबसे बडा है. नया सेंटर 100 बेड का तैयार हो रहा है. पूरे देश में इतनी क्षमता का पंचकर्म सेंटर कहीं पर नहीं है. यहां पर सुपरडिलक्स कॉटेज में ही पंचकर्म की सुविधा होगी, जबकि डिलक्स में चार-चार के ग्रुप में पंचकर्म की सुविधा होगी.
मेडिटेसन और योग सेंटर भी होगा : सामान्यत: पंचकर्म के लिए आने वालों को पांच से सात दिन रुकना पड़ता है. कुलपति ने बताया कि हमारे इस सेंटर में आने वाले लोगों के लिए मेडिटेशन और योगा सेंटर भी तैयार किया गया है. इसके अलावा यहां पर एक उद्यान भी विकसित किया जाएगा, विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी.
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क्रॉनिक डिजीज में पंचकर्म फायदेमंद : सामान्यत तौर पर पंचकर्म से सभी बीमारियों का उपचार होता है, लेकिन क्रॉनिक डिजीज जिसको लेकर लोगों को एलोपैथी से फायदा नहीं होता है. मुख्य रूप से अनिद्रा, आंखों का सूखापन, संधिवात, जोड़ों व घुटनों का दर्द, ब्रोंकाइटिस अस्थमा, चर्म रोग व लकवे के रोगियों के लिए पंचकर्म असरदार होता है.
क्या होता है पंचकर्म ? : आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का शरीर 5 तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से बना है. जब शरीर में इन 5 तत्वों के अनुपात में गड़बड़ी होती है तो दोष यानी समस्याएं पैदा होती हैं. आयुर्वेद इन तत्वों को फिर से सामान्य स्थिति में लाता है, जिसे लाने के लिए पांच कर्म किए जाते हैं. यह पांच कर्म स्नेहन, स्वेदन, वस्ति, नस्य और रक्त मोक्षण होते हैं. इनके माध्यम से रोगों का निदान होता है.