जोधपुर. सरकारी कार्मिकों के लिए राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. जोधपुर में सरकारी कर्मचारियों व मेडिकल स्टोर संचालकों की सांठगांठ से दवाइयां नहीं देकर लाखों रुपए का भुगतान कराया गया. वहीं, मामले के प्रकाश में आने के बाद आरजीएचएस के संयुक्त निदेशक ने बासनी थाने में मामला दर्ज करवाया है, हालांकि दर्ज रिपोर्ट में राशि को लेकर कोई खुलासा नहीं किया गया है. यह बताया गया कि लंबे समय से कैंसर के उपचार के नाम पर दवाइयां उठाने का फर्जीवाड़ा चल रहा था. ऐसे में 44 कार्ड धारकों, झंवर मेडिकल स्टोर और उमेश परिहार के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया गया है.
ऐसे खुला मामला - थानाधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि आरजीएचएस के संयुक्त निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह किलक ने टीपीए कंपनी के मार्फत आरजीएचएस कार्ड धारक मोहन कंवर के ट्रांजेक्शन की आडिट करवाई थी. जिसमें सामने आया कि मोहन कंवर को कैंसर है. मेडिपल्स अस्पताल के डॉक्टर विनय व्यास के प्रिस्क्रिप्शन पर हर माह कैंसर की दवाइयां उठ रही हैं. टीपीए की टीम ने मोहन कंवर के घर जाकर पता किया तो सामने आया कि पेंशनर मोहन कंवर की उम्र 87 साल है. एमडीएम के जांच में सामने आया कि वो मानसिक बीमारी से ग्रसित है.
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पड़ताल में सामने आए 44 नाम - परिजनों ने बताया कि वो चल फिर नहीं सकते हैं. ऐसे में उनके दादा ने अपने आरजीएचएस कार्ड को एमजीएच के सामने स्थित झंवर मेडिकल स्टोर को अपना कार्ड दे दिया था. उमेश परिहार से बातचीत होती थी और वो हर माह दादा से ओटीपी लेते थे. हम कभी भी वहां नहीं गए. वहीं, डॉ. विनय व्यास ने बताया कि उन्होंने कभी प्रिस्केप्शन लिखा ही नहीं है. उसके बाद टीम ने झंवर मेडिकल स्टोर से उठने वाली दवाइयों के कार्ड धारकों की पड़ताल शुरू की, जिसमें 44 नाम सामने आए.
एम्स के डॉक्टरों की भी फर्जी पर्चियां - टीपीए ने लगातार छानबीन की तो पता चला कि कैंसर की दवाइयां एम्स की पर्ची पर भी उठी थी. साथ ही सामने आया कि कई कार्ड धारकों ने अपने कार्ड झंवर मेडिकल स्टोर पर रख दिए थे. जांच में एम्स के डॉ. गोपाल कृष्ण बोहरा, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. आकांक्षा गर्ग, डॉ. प्रमोद कुमार और डॉ. नवीन के नाम से पर्चियां मिली हैं. वहीं, जब सभी डॉक्टरों से इस मामले में सवाल किया गया तो उन्होंने पर्ची लिखने से साफ इनकार कर दिया और बताया कि उनके फर्जी हस्ताक्षर कर प्रिस्क्रिपशन तैयार किए गए हैं.
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कांस्टेबल के बेटे ने ली 40 फीसदी राशि - जांच में यह भी सामने आया कि कर्मचारी वहां अपना कार्ड रखते थे. मथुरादास माथुर अस्पताल के एएओ बंशीधर ने टीपीए को बताया कि उसका एम्स से उपचार चलता है. उसका कार्ड व एसएसओ आईडी झंवर मेडिकल पर दिया हुआ था. वहां से ही पर्ची बनती थी. इसी तरह से एक आरपीटीसी के हेड कांस्टेबल बख्तावर सिंह जो ब्रेन हमरेज से पीड़ित है. उसके बेटे अजीत सिंह ने भी झंवर मेडिकल स्टोर पर कार्ड दे दिया था. हर माह दवाइयों के अतिरिक्त सामान व बिल की 40 फीसदी राशि वो लेता था. इधर, 60 फीसदी स्टोर संचालक रखता था. ऐसे में आरजीएचएस ने अजीत सिंह का बयान भी लिया है.