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जोधपुर एम्स : पसलियां काट कर छाती से निकाली कैंसर की चार किलो की गांठ

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 30, 2023, 9:12 AM IST

जोधपुर एम्स के डॉक्टरों ने एक बार फिर बड़ा कमाल किया है. पसलियां काट कर छाती से कैंसर की चार किलो की गांठ निकाली है. यहां जानिए पूरा मामला...

Jodhpur AIIMS
जोधपुर एम्स

जोधपुर. एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में डॉक्टरों ने 36 वर्षीय युवक की छाती से चार किलो की कैंसर की गांठ निकालकर जान बचाई है. युवक को शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. विभागाध्यक्ष डॉ. जीवनराम विश्नोई ने बताया कि जोधपुर निवासी मरीज तीन महीने पहले छाती में दर्द और खांसी व सांस की शिकायत लेकर ओपीडी में आया. सीटी स्कैन जांच में सामने आया कि छाती में कैंसर की गांठ लगभग दो तिहाई फैली हुई थी. इससे उसे दर्द हो रहा था. सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी तो वो हमारे पास आया था.

उसकी स्थिति नाजुक थी. पहले कीमोथैरेपी देने के प्लान बनाया, लेकिन मरीज की स्थिति को देखते हुए सर्जरी प्लान की गई, क्योंकि गांठ छाती के दायीं तरफ पूरी व बायीं छाती के भी ऊपरी मध्य भाग तक और छाती से बाहर निकल चमड़ी के नीचे तक पहुंच चुकी थी. इसके कारण मरीज का दायां फेफड़ा पूरी तरह से पिचक गया था और हार्ट व खून की बड़ी नसों से चिपका हुआ था. बायां फेफड़ा भी आधा पिचक गया था. इससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगा था.

पढ़ें : राजस्थान : AIIMS में जन्मे 9 दिन के बच्चे की MDM में हुई कार्डियक सर्जरी

ऑपेरशन जटिल था, मरीज को प्रति मिनट चार लीटर ऑक्सीजन की जरूरत थी : डॉ. विश्नोई के अनुसार मरीज की छाती की बायोप्सी में कैंसर की पुष्टि के बाद कीमोथैरेपी देने का विचार किया, लेकिन मरीज की हालत नाजुक थी, क्योंकि गांठ के फैलाव से मरीज को 4 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की जरूरत होने लगी थी. इस स्थिति में ऑपरेशन ही एकमात्र उपाय था.

पसलियां और नसें काटनी पड़ी : ऑपरेशन के दौरान छाती की आठ पसलियों व मेनब्रियम स्टरनम को काटना पड़ा. हार्ट, खून की बड़ी नसें जो दिमाग व हाथ तक जाती हैं. उनसे बारीकी से डिसेक्शन किया गया. हार्ट की झिल्ली को निकालकर, छाती के ऊपर की मसल्स को भी निकाला. इसके बाद करीब 4 किलो वजनी कैंसर की गांठ सफलतापूर्वक निकाली गई.

मरीज 9 दिन बाद डिस्चार्ज : ऑपरेशन के बाद छाती से निकली पसलियों की जगह टाइटेनियम प्लेट, प्रोलीन मेश (जाली) लगाकर जोड़ा, साथ ही ऊपर पीठ व छाती की तरफ से मसल्स फ्लैप को लगाकर डिफेक्ट को कवर किया. करीब 10 घंटे चले ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ है. 9 दिन के बाद शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया.

इस टीम ने किया ऑपरेशन : ऑपरेशन में डॉ. विश्नोई के साथ में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. धर्माराम पूनिया, डॉ. निवेदिता शर्मा, सीनियर रेजिडेंट डॉ. निखिल तिवारी, डॉ. आशीष, डॉ. निर्मल शामिल थे. एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप भाटिया, डॉ. प्रियंका सेठी, सीनियर रेजिडेंट्स डॉ. श्रेया, नर्सिंग अधिकारी कपिल व प्रेम ने सहयोग दिया।इस उपलब्धि पर एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. माधबनंद कर व अस्पताल अधीक्षक डॉ. दीपक झा टीम को बधाई दी.

जोधपुर. एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में डॉक्टरों ने 36 वर्षीय युवक की छाती से चार किलो की कैंसर की गांठ निकालकर जान बचाई है. युवक को शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. विभागाध्यक्ष डॉ. जीवनराम विश्नोई ने बताया कि जोधपुर निवासी मरीज तीन महीने पहले छाती में दर्द और खांसी व सांस की शिकायत लेकर ओपीडी में आया. सीटी स्कैन जांच में सामने आया कि छाती में कैंसर की गांठ लगभग दो तिहाई फैली हुई थी. इससे उसे दर्द हो रहा था. सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी तो वो हमारे पास आया था.

उसकी स्थिति नाजुक थी. पहले कीमोथैरेपी देने के प्लान बनाया, लेकिन मरीज की स्थिति को देखते हुए सर्जरी प्लान की गई, क्योंकि गांठ छाती के दायीं तरफ पूरी व बायीं छाती के भी ऊपरी मध्य भाग तक और छाती से बाहर निकल चमड़ी के नीचे तक पहुंच चुकी थी. इसके कारण मरीज का दायां फेफड़ा पूरी तरह से पिचक गया था और हार्ट व खून की बड़ी नसों से चिपका हुआ था. बायां फेफड़ा भी आधा पिचक गया था. इससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगा था.

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ऑपेरशन जटिल था, मरीज को प्रति मिनट चार लीटर ऑक्सीजन की जरूरत थी : डॉ. विश्नोई के अनुसार मरीज की छाती की बायोप्सी में कैंसर की पुष्टि के बाद कीमोथैरेपी देने का विचार किया, लेकिन मरीज की हालत नाजुक थी, क्योंकि गांठ के फैलाव से मरीज को 4 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की जरूरत होने लगी थी. इस स्थिति में ऑपरेशन ही एकमात्र उपाय था.

पसलियां और नसें काटनी पड़ी : ऑपरेशन के दौरान छाती की आठ पसलियों व मेनब्रियम स्टरनम को काटना पड़ा. हार्ट, खून की बड़ी नसें जो दिमाग व हाथ तक जाती हैं. उनसे बारीकी से डिसेक्शन किया गया. हार्ट की झिल्ली को निकालकर, छाती के ऊपर की मसल्स को भी निकाला. इसके बाद करीब 4 किलो वजनी कैंसर की गांठ सफलतापूर्वक निकाली गई.

मरीज 9 दिन बाद डिस्चार्ज : ऑपरेशन के बाद छाती से निकली पसलियों की जगह टाइटेनियम प्लेट, प्रोलीन मेश (जाली) लगाकर जोड़ा, साथ ही ऊपर पीठ व छाती की तरफ से मसल्स फ्लैप को लगाकर डिफेक्ट को कवर किया. करीब 10 घंटे चले ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ है. 9 दिन के बाद शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया.

इस टीम ने किया ऑपरेशन : ऑपरेशन में डॉ. विश्नोई के साथ में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. धर्माराम पूनिया, डॉ. निवेदिता शर्मा, सीनियर रेजिडेंट डॉ. निखिल तिवारी, डॉ. आशीष, डॉ. निर्मल शामिल थे. एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप भाटिया, डॉ. प्रियंका सेठी, सीनियर रेजिडेंट्स डॉ. श्रेया, नर्सिंग अधिकारी कपिल व प्रेम ने सहयोग दिया।इस उपलब्धि पर एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. माधबनंद कर व अस्पताल अधीक्षक डॉ. दीपक झा टीम को बधाई दी.

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