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जोधपुर : राजस्थान के इकलौते श्याम वराह मंदिर में 5 दिवसीय महोत्सव का समापन - श्याम वराह मंदिर

जोधपुर जिले के प्राचीन श्याम वराह मंदिर में पांच दिवसीय महापर्व मंगलवार को सम्पन्न हो गया है. मंदिर में दर्शने करने के लिए हजारों महिलाएं पहुंची और मन्नत मांगी. भगवान विष्णु के अवतार के रूप में कृष्ण मानकर पूजा की जाती है.

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Published : Nov 13, 2019, 4:14 AM IST

जोधपुर. जिले के प्राचीन श्याम वराह मंदिर में पांच दिवसीय महापर्व मंगलवार को सम्पन्न हो गया है. पांच दिनों तक मंदिर में लगे मेले में जोधपुर महानगर समेत आस-पास के गांवों की हजारों महिलाओं ने दर्शन किया और मन्नत मांगी.

जोधपुर के प्राचीन श्याम वराह मंदिर में पांच दिवसीय महापर्व मंगलवार को सम्पन्न हो गया है

पुराने शहर के सिटी पुलिस मोहल्ले में स्थित राजस्थान के एकमात्र श्याम वराह मंदिर में देव प्रबोधिनी एकादशी को शुरू हुआ भीष्म पंचक मेला मंगलवार को महाआरती के साथ सम्पन्न हो गया. पांच दिनों से उपवास कर रही महिलाओं ने मंदिर में नारियल और चने की दाल का प्रसाद चढ़ाया. महिलाओं ने दीये और अगरबत्ती जला कर मन्नत मांगी. वहीं आस-पास के गांवों की हजारों महिलाओं ने इस मंदिर में दर्शन किया.

यह भी पढ़ें- बीकानेर में भीषण सड़क हादसा, करणी माता के दर्शन कर लौट रहे 7 श्रद्धालुओं की मौत

धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के बारह अवतार ने पृथ्वी को समुद्रतल से उठा कर अंतरिक्ष में पुनर्स्थापित किया था. इसलिए कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान के शयन से जागने के बाद पूर्णिमा तक महिलाएं व्रत रख कर उनकी विशेष पूजा-अर्चना करती हैं. जोधपुर के इस श्याम वराह मंदिर की एक विशेषता यह है कि इसमें भगवान को श्याम वर्ण में दिखाया गया है, जो पूरे भारत में कहीं पर भी नहीं है. इसे भगवान विष्णु के अवतार के रूप में कृष्ण मानकर पूजा करते हैं.

जोधपुर. जिले के प्राचीन श्याम वराह मंदिर में पांच दिवसीय महापर्व मंगलवार को सम्पन्न हो गया है. पांच दिनों तक मंदिर में लगे मेले में जोधपुर महानगर समेत आस-पास के गांवों की हजारों महिलाओं ने दर्शन किया और मन्नत मांगी.

जोधपुर के प्राचीन श्याम वराह मंदिर में पांच दिवसीय महापर्व मंगलवार को सम्पन्न हो गया है

पुराने शहर के सिटी पुलिस मोहल्ले में स्थित राजस्थान के एकमात्र श्याम वराह मंदिर में देव प्रबोधिनी एकादशी को शुरू हुआ भीष्म पंचक मेला मंगलवार को महाआरती के साथ सम्पन्न हो गया. पांच दिनों से उपवास कर रही महिलाओं ने मंदिर में नारियल और चने की दाल का प्रसाद चढ़ाया. महिलाओं ने दीये और अगरबत्ती जला कर मन्नत मांगी. वहीं आस-पास के गांवों की हजारों महिलाओं ने इस मंदिर में दर्शन किया.

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धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के बारह अवतार ने पृथ्वी को समुद्रतल से उठा कर अंतरिक्ष में पुनर्स्थापित किया था. इसलिए कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान के शयन से जागने के बाद पूर्णिमा तक महिलाएं व्रत रख कर उनकी विशेष पूजा-अर्चना करती हैं. जोधपुर के इस श्याम वराह मंदिर की एक विशेषता यह है कि इसमें भगवान को श्याम वर्ण में दिखाया गया है, जो पूरे भारत में कहीं पर भी नहीं है. इसे भगवान विष्णु के अवतार के रूप में कृष्ण मानकर पूजा करते हैं.

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Body:राजस्थान के इकलौते श्याम वराह मंदिर में 5 दिवसीय महोत्सव सम्पन्न
- जोधपुर के प्राचीन श्याम वराह मंदिर में पांच दिवसीय महापर्व मंगलवार को सम्पन्न हुआ। पांच दिनों तक मंदिर में चले मेले में जोधपुर महानगर समेत आस-पास के गांवों की हजारों महिलाओं ने दर्शन किए और मनौती मांगी। पुराने शहर के सिटी पुलिस मोहल्ले में स्थित राजस्थान के एकमात्र श्याम वाराह मंदिर में देव प्रबोधिनी एकादशी को शुरू हुआ भीष्म पंचक मेला आज महाआरती के साथ सम्पन्न हुआ। पांच दिनों से उपवास कर रही महिलाओं ने मंदिर में नारियल और चने की दाल का प्रसाद चढ़ाया। महिलाओं ने दीये व अगरबत्ती जला कर मनौती मांगी। आस-पास के गांवों की हजारों महिलाओं ने पांच दिनों में जोधपुर आकर इस मंदिर मे दर्शन किए। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के वाराह अवतार ने पृथ्वी को समुद्रतल से उठा कर अंतरिक्ष में पुनर्स्थापित किया था। इसलिए कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान के शयन से जागने के बाद पूर्णिमा तक महिलाएं व्रत रख कर उनकी विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। जोधपुर के इस श्याम वराह मंदिर की एक विशेषता यह है कि इसमें वह भगवान को श्याम वर्ण में दिखाया गया है जो पूरे भारत में कहीं पर भी नहीं है एवं इसे भगवान विष्णु के अवतार के रूप में कृष्ण मानकर पूजा जाता है।
बाइट- पंडित खींवराज शर्मा, वाराह मंदिर के पुजारी, जोधपुर





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