जोधपुर. नवजात के रूप में लव कुश आश्रम के पालने में मिली इंदु का विवाह गुरुवार को सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग और भामाशाह के सहयोग से धूमधाम से होगा. इससे पहले बुधवार को जोधपुर स्थित मंडोर के नारी निकेतन में विनायक पूजन किया गया और घृत पान की रस्में भी निभाई गईं. इसमें भामाशाह पप्पू राम डारा शामिल हुए. इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीत गाए, विनायक पूजा की और इंदु को घी पिलाया गया. गुरुवार को ओसियां से बारात आएगी और शाम को फेरे होंगे. इंदु के विवाह के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने योग्य वर के लिए विज्ञप्ति जारी कर आवेदन लिए थे.
मेरा परिवार यही लोग हैं : इंदु को लव कुश के पालना गृह में करीब 20 साल पहले कोई छोड़कर गया था. इसके बाद वह वहां पली-बढ़ी. इसके बाद अपना घर आश्रम और 2018 में वह नारी निकेतन मंडोर में शिफ्ट की गई. यहां इंदु ने ग्रेजुएशन किया. इंदु एक हाथ से दिव्यांग है. संगीत में उसने महारत हासिल की है. इंदु ने बताया कि "निकेतन के सभी लोग मेरा परिवार हैं. सब ने मुझे हमेशा प्यार दिया. नारी निकेतन की अधीक्षक ने तीन बार मेरे होने वाले पति से मुलाकात करवाई और उसके बाद मैंने हामी भारी. ओसियां निवासी मघाराम गोदारा गुरुवार को परिवार के साथ बारात लेकर आएंगे. गोदारा ने भी बीएड किया है."
बेटी के विवाह जैसी तैयारियां : सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक अनिल व्यास के अनुसार इंदु की शादी के लिए पूरा स्टाफ खुश है. सभी लोग अपनी-अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. स्टाफ के सदस्य अपनी ओर से उपहार देंगे. समाजसेवी भामाशाह पप्पू राम डारा अपनी बेटी के विवाह की तरह इसकी तैयारी कर रहे हैं. शादी समारोह के लिए मंडोर स्थित विभाग के कार्यालय के बाहर टेंट लाइट डेकोरेशन किया गया है.
पुर्नवास आवश्यक था : नारी निकेतन की अधीक्षक रेखा शेखावत ने बताया कि शुरू से ही अनाथ आश्रम में रहने वाली बालिकाओं के व्यस्क होने पर उन्हें बाहर नहीं छोड़ा जाता. जरूरी होता है कि उसका पुर्नवास किया जाए. इसके लिए इंदु से बात की गई तो उसने कहा कि वह शादी करना चाहती है. इसके बाद हमने उसके लिए वर ढूंढना शुरू किया. दो राउंड में इंटरव्यू हुए और मघाराम का चयन हुआ. इंदु ने भी उसे पसंद किया. मघाराम ने एमए किया है और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है. विभाग के संयुक्त निदेशक अनिल व्यास ने बताया कि हमें इस काम में भामाशाहों का पूरा सहयोग मिला है. सभी रस्मों और परंपरा का निर्वाह किया है.