भोपालगढ़ (जोधपुर). 'मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है'. हममें से हर एक ने अपने बचपन में यह कहावत जरुर सुनी होगी. हांलाकि कविता पर कभी गौर नहीं किया होगा. लेकिन राजस्थान के जोधपुर जिले के भोपालगढ़ के एक गांव ने इस कविता को ही बदल दिया है. यहां मछलियों को जल की नहीं पूरे गांव की रानी कहा जाता है.
मछलियों को लेकर गांववालों का अपनापन इतना बढ़ गया है कि अब यह आस्था का सवाल बन बैठा है. लोग मछलियों की पूजा तक करते हैं और उनको आटे से बनी गोलियों का चढ़ावा चढ़ाते हैं.
गौरतलब है कि भोपालगढ़ कस्बे के ह्रदय स्थल शिभेश्वर तालाब पर अनेक देवताओं से मंदिर हैं. यहां भगवान शिव, संत मनोहर बाबा, बाबा रामदेव, दातासा महाराज, हनुमान मंदिर और कृष्ण भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं.
मंदिर होने के कारण सुबह-शाम गांव के श्रद्धालु मन्दिर आते समय तालाब में पनप रही मछलियों के लिए अपने घर से बिस्किट, आटे की गोलियां लेकर आते हैं और मछलियों को खिलाते हैं. शाम के समय यहां का नजारा किसी पर्यटन स्थल के रूप में दिखाई देता है.
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पिछले साल तालाब में पानी की कमी होने पर गांव के ग्रामीणों ने भामाशाह के सहयोग से एक नलकूप भी खुदवाया था. इसके साथ ही टैंकर से पानी भी डालकर मछलियों का जीवन बचाया था. कस्बे के सामाजिक कार्यकर्ता सिंबूभाई प्रजापत ने अपने अथक प्रयासों से इस तालाब में मछलियों को जीवित रखने के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रकार के ग्रामीणों के सहयोग से सभी लोगों को जागरूक किया है.
आज जोधपुर जिले के साथ ही नागौर जिले से भी बड़ी संख्या में ग्रामीण तीज-त्योहार के अवसर पर भोपालगढ़ के तालाब पर मछलियों को भगवान विष्णु के रूप में पूजा करते करते हैं और उनके दाना-पानी की व्यवस्था करते हैं. भोपालगढ़ में 220 केवी का बड़ा बिजलीघर स्थित है. यहां के सभी कर्मचारी नियमित रूप से तालाब में इन मछलियों की सेवा के लिए अपनी ओर से बिस्किट लेकर आते हैं.