ETV Bharat / state

यहां वन्यजीवों का अपने बच्चे की तरह पालन-पोषण कर रहे हैं बिश्नोई समाज के लोग - jodhpur news

जोधपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर जाजीवाल गांव हैं. यहां के लोग वन्यजीवों को परिवार के सदस्य की तरह बीते कई सालों से सेवा करते चले आ रहे हैं. इतना ही नहीं इनको देखने के लिए देश-विदेश से भी लोग इस गांव में आते हैं.

वन्यजीवों का अपने बच्चे की तरह पालन-पोषण कर रहे हैं बिश्नोई समाज के लोग
author img

By

Published : Jun 12, 2019, 8:20 PM IST

जोधपुर. वन्यजीवों की रक्षा और पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए देश और दुनिया में विख्यात बिश्नोई समाज आज भी हिरणों को अपने परिवार के बच्चों की तरह पाल रहे हैं. साथ ही परिवार के लोग वन्यजीवों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं.

बच्चे की तरह पालन-पोषण कर रहे हैं बिश्नोई समाज के लोग

बिश्नोई समाज के लोगों का कहना है कि अन्य समाज के लोगों को भी वन्यजीवों की रक्षा और पेड़ पौधों के संरक्षण को लेकर काम करना चाहिए. जाजीवाल गांव में रहने वाले लोग हिरण के बच्चों को अपने परिवार के बच्चों की तरह पाल रहे हैं. वे उन्हें अपने घर आंगन में ही रखते हैं. साथ ही उन्हें बोतल से दूध पिलाते हैं.

समाज के घर परिवार में रहने वाले हिरन और मोर बिना किसी खौफ के वहां रह रहे हैं. वे लोग अपनी मस्ती में मस्त हैं. जाजीवाल गांव में स्थित भगवान जंभेश्वर मंदिर में बिश्नोई समाज के लोगों द्वारा वन्यजीवों के लिए अस्पताल भी बनाया गया है. यहां पर वह घायल वन्यजीवों का इलाज कर उनकी सेवा करते हैं. कहीं न कहीं देखा जाए तो इंसानों का वन्यजीवों के प्रति यह प्रेम एक सराहनीय पहल है.

जोधपुर. वन्यजीवों की रक्षा और पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए देश और दुनिया में विख्यात बिश्नोई समाज आज भी हिरणों को अपने परिवार के बच्चों की तरह पाल रहे हैं. साथ ही परिवार के लोग वन्यजीवों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं.

बच्चे की तरह पालन-पोषण कर रहे हैं बिश्नोई समाज के लोग

बिश्नोई समाज के लोगों का कहना है कि अन्य समाज के लोगों को भी वन्यजीवों की रक्षा और पेड़ पौधों के संरक्षण को लेकर काम करना चाहिए. जाजीवाल गांव में रहने वाले लोग हिरण के बच्चों को अपने परिवार के बच्चों की तरह पाल रहे हैं. वे उन्हें अपने घर आंगन में ही रखते हैं. साथ ही उन्हें बोतल से दूध पिलाते हैं.

समाज के घर परिवार में रहने वाले हिरन और मोर बिना किसी खौफ के वहां रह रहे हैं. वे लोग अपनी मस्ती में मस्त हैं. जाजीवाल गांव में स्थित भगवान जंभेश्वर मंदिर में बिश्नोई समाज के लोगों द्वारा वन्यजीवों के लिए अस्पताल भी बनाया गया है. यहां पर वह घायल वन्यजीवों का इलाज कर उनकी सेवा करते हैं. कहीं न कहीं देखा जाए तो इंसानों का वन्यजीवों के प्रति यह प्रेम एक सराहनीय पहल है.

Intro:जोधपुर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव जाजीवाल जहां के लोगों द्वारा वन्यजीवों को अपने परिवार का सदस्य मानकर उनकी कई वर्षों से सेवा की जा रही है ।इस वन्यजीव प्रेम को देखने के लिए देश-विदेश से भी लोग उस गांव में आते हैं वन्यजीवों की सेवा करने वाला बिश्नोई समाज जिनके हर घर परिवार में वन्य जीव पारिवारिक सदस्य की तरह विचरण करते हैं।


Body:वन्यजीवों की रक्षा और पेड़ पौधों के संरक्षण के लिए देश और दुनिया में विख्यात बिश्नोई समाज आज भी हिरणों को अपने परिवार के बच्चों की तरह पाल रहे हैं। साथ ही परिवार के लोग वन्यजीवों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं ।वहीं बिश्नोई समाज के कुछ लोगों का कहना है कि अन्य समाज के लोगों को भी वन्यजीवों की रक्षा और पेड़ पौधों के संरक्षण को लेकर काम करना चाहिए जाजीवाल गांव में रहने वाले लोग हिरण के बच्चों को अपने परिवार के बच्चों की तरह पाल रहे हैं। वे उन्हें अपने घर आंगन में ही रखते हैं साथ ही उन्हें बोतल से दूध पिलाते हैं बिश्नोई समाज के घर परिवार में रहने वाले हिरन और मोर बिना किसी खौफ के वहां रह रहे हैं और वे लोग अपनी मस्ती में मस्त हैं। जाजीवाल गांव में स्थित भगवान जंभेश्वर मंदिर में बिश्नोई समाज के लोगों द्वारा घायल बन्नी जी को के लिए अस्पताल भी बनाया गया है जहां पर वह घायल बंद जीवो का इलाज कर उनकी सेवा करते हैं कहीं ना कहीं देखा जाए तो इंसानों का वन्य जीवो के प्रति यहां प्रेम सराहनीय पहल है।


Conclusion:बाईट-- भक्तिदास वन्यजीव प्रेमी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.