जयपुर: पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में बने 9 जिलों और तीन संभाग को भजनलाल सरकार ने खत्म कर दिया है. अब इस मामले में सियासी बयानबाजी लगातार जोर पकड़ रही है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर सीएम भजनलाल शर्मा और भाजपा सरकार पर निशाना साधा, तो भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने उनके इस बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि पूर्व सरकार ने आनन-फानन में जिलों की रेवड़ियां बांट दी.
उन्होंने कहा कि नए जिले बनने चाहिए. यह सही बात है. लेकिन जिन सेवानिवृत्त अधिकारी रामलुभाया की रिपोर्ट पर नए जिले बने. उन्हें खुद को नहीं पता था कि इतने जिले बनने वाले हैं. सरकार बचाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आनन-फानन में जिलों की रेवड़ियां बांट दी. उन्होंने कहा, नए जिलों के गठन में जनसंख्या के अनुपात का भी ध्यान नहीं रखा गया. किसी जिले की आबादी तो 23-24 लाख है और किसी की जनसंख्या साढ़े तीन लाख. किसी जिले में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं और कई जिलों में महज एक-एक विधानसभा क्षेत्र.
विधायकों को राजी करने के लिए बनाई कमेटी: मदन राठौड़ ने कहा कि अशोक गहलोत खुद संकट में थे. उनकी सरकार में आपसी खींचतान बहुत ज्यादा थी. सब जानते हैं कि सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ होटल में बैठे रहे. दूसरी तरफ अशोक गहलोत ने भी अपने समर्थक विधायकों को लेकर होटल में कैंप किया. वो सरकार अल्पमत में थी और विधायकों को तुष्ट करना जरूरी था. इसी को ध्यान में रखकर तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने सेवानिवृत्त अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में समिति का गठन कर दिया.
रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट रख दी साइड में: मदन राठौड़ ने कहा कि उस समिति ने प्रदेश की भौगोलिक, सांस्कृतिक स्थिति और जनसंख्या को आधार बनाकर रिपोर्ट दी कि नए जिले बनाएं जाएं. यह सही है. नए जिले बनाने से विकास को गति मिलती है. लेकिन रामलुभाया को खुद को पता नहीं था कि इतने जिले घोषित होंगे. उन्होंने जो रिपोर्ट दी. वो रिपोर्ट तो इन्होंने एक तरफ रख दी. जो विधायक उनका साथ दे रहे थे. जिनके आधार पर कांग्रेस की तत्कालीन सरकार टिकी हुई थी. उन विधायकों को संतुष्ट करने के लिए उन्होंने आनन-फानन में जिले बना दिए.
इतने जिले बने कि खुद रामलुभाया आश्चर्य में थे: उन्होंने कहा, जब नए जिलों की घोषणा की गई तो खुद रामलुभाया महाराष्ट्र में थे. इतनी संख्या में जिले घोषित किए जाने पर उन्होंने भी आश्चर्य जताया था. इसका मतलब है कि समिति बनाना तो एक नाटक था. उन्हें खुद को और सरकार को बचाना था. जैसे उन्होंने दूदू जिला बनाया. क्योंकि दूदू से निर्दलीय विधायक का सहयोग उन्हें चाहिए था. कई जिले ऐसे हैं. जिनमें एक-एक विधानसभा क्षेत्र है.
समान अनुपात रखते तो समीक्षा नहीं होती: उन्होंने कहा, व्यवस्थित रूप से करते और समान जनसंख्या के आधार पर यदि जिले बनाए जाते तो जिलों की समीक्षा करने की जरूरत ही नहीं थी. चुनावी आचार संहिता लगने वाली थी. इससे ठीक पहले उन्होंने 50 जिलों की रेवड़ियां बांट दी. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. अब वो हमारी सरकार पर छींटाकशी कर रहे हैं.
अनुभवी अधिकारी ने हर बिंदु पर की समीक्षा: मदन राठौड़ बोले, हमारी सरकार ने एक अनुभवी सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी को लगाया था. जिन्होंने इसकी समीक्षा की. एक-एक बिंदु पर समीक्षा कर यह फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा जालोर में सांचौर को जिला बना दिया. जो एक विधानसभा का जिला है. उसमें कोई जुड़ना ही नहीं चाहता. समीक्षा करते और ठीक ढंग से बनाते या संसाधन देकर व्यवस्थाएं देखते तो अच्छा होता. उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया. उन्होंने कहा, हमने तो संसाधन विकसित किए ही हैं. लेकिन उन्होंने समानुपात नहीं रखा.
न कार्यालय दिए और न ही संसाधन: राठौड़ ने कहा, एक जिले की आबादी तो 22-23 लाख और एक जिले की आबादी साढ़े तीन लाख. यह क्या है. यह तो अशोक गहलोत को सोचना चाहिए था कि समानुपात तो करते कम से कम. निश्चित रूप से नए जिले बनने चाहिए. जिससे जनता को विकेंद्रीकरण का लाभ तो मिले. लेकिन समान अनुपात रखना चाहिए. जो उन्होंने नहीं रखा. किसी जिले में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं और किसी जिले में एक विधानसभा क्षेत्र. यह क्या है. उन्होंने न तो कार्यालय की व्यवस्था की. न ही और कोई संसाधन दिए. अधिकारी उनके पास नहीं थे. बस ऐसे ही जिलों की घोषणा कर दी और एक दिन बाद ही आचार संहिता लग गई. उनके पास करने के किए क्या था.
उनकी सरकार आती तो वे भी जिले कम करते: मदन राठौड़ ने कहा, उन्होंने सोच किया था कि वह तो रेवड़ियां बांट दें और वापस सरकार आ जाएगी. अगर सरकार आ जाती, तो वो भी यही करने वाले थे. वो कोई जिले यथावत रखने वाले नहीं थे. उन्होंने केवल वोट के लालच से सरकार बनाने के लिए और जनता को प्रभावित करने के लिए यह किया. हालांकि, जनता यह भांप चुकी थी. जनता समझ चुकी थी कि यह केवल खुश करने के लिए रेवड़ियां बांटी है. वो भी अगर सरकार में आते तो जिले कम करते.