जोधपुर. आईआईटी जोधपुर ने टैक्सटाइल्स फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को साफ कर दोबारा काम में लाने के लिए एक रिसर्च की है. रिसर्च में सामने आया है कि दो चरणों में इस तरह के पानी को साफ कर फिर से काम में लिया जा सकता है. इसके तहत एक तो जल प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकेगा तो दूसरा दूषित जल को साफ कर दोबारा प्रयोग में लाने से जल की बर्बादी में कमी आएगी.
अपशिष्ट यानी गंदे पानी की सफाई के पहले चरण में सैम्पल को इलेक्ट्रोकेमिकल प्रोसेस करना शामिल है जिसके बाद दूसरे चरण में कार्बन नैनोफाइबर पर विकसित जैडएनओ कैटरपिलर का प्रयोग कर रियल टाइम में फोटो कैटलिटिक डिग्रेडेशन किया जाता है. इस तकनीक के कई फायदे हैं. दोनों चरणों में पानी में मौजूद हैवी पार्किटकल, रंग व भारीपन को कम किया जाता है.
आईआईटी जोधपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अंकुर गुप्ता के साथ विशेषज्ञ डॉ. गुलशन वर्मा और प्रिंस कुमार राय और इसमें कार्ल्सहे प्रौद्योगिकी संस्थान, जर्मनी के प्रो. जान गेरिट कोरविंक और डॉ. मसुर इस्लाम भी इस शोध कार्य में शामिल हैं. डॉ अंकुर गुप्ता के अनुसार इस प्रणाली से स्टील इंडस्ट्रीज के पानी को भी उपचारित किया जा सकता है जो पूरी तरह से प्रदूषित होता है.
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दोबारा काम में ले सकते हैं पानी
टैक्सटाइल्स इंडस्ट्रीज में बड़ी मात्रा में पानी प्रयोग में लिया जाता है जो कपड़े की धुलाई के बाद अपशिष्ट होकर बाहर निकलता है. जोधपुर सहित देश के कई बडे़ शहर जहां यह काम होता है वहां इस तरह के अपशिष्ट पानी ने जमीनों को खराब कर दिया है. क्योंकि इस तरह के पानी में तरह-तरह के सिंथेटिक रंग होते हैं जो मनुष्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं. आईआईटी जोधपुर के रिसर्च के बाद इस नई तकनीक में पानी में मिली सिंथेटिक डाई बहुत कम होने पर भी नजर आती हैं जिसे अलग किया जा सकता है. इसके बाद पानी को दोबारा उपयोग में लिया जा सकता है.
रिसर्च के प्रमुख तथ्य :
- यह रिसर्च वस्त्र उद्योग के अपशिष्ट जल के इलेक्ट्रोकेमिकल और फोटो कैटलिटिक ट्रीटमेंट के तालमेल पर केंद्रित है जिसमें कार्बन नैनोफाइबर पर विकसित जैडएनओ कैटरपिलर का प्रयोग किया गया है.
- इस तकनीक से वस्त्र उद्योग के अपशिष्ट जल से बड़ी मात्रा में रंग (99 प्रतिशत), टीएसएस (75 प्रतिशत) और टीडीएस (80 प्रतिशत) हटाया गया है.
- उपचार के बाद यह पानी अन्य कार्यों में दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) तकनीक से वस्त्र उद्योग के अपशिष्ट पानी के डिग्रेडेशन की रियल टाइम निगरानी की जा सकती है.