जोधपुर. हाईकोर्ट में राज्य सरकार की अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने खिलाफ याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें गुर्जर सहित अन्य जातियों पिछड़ी जातियों के आरक्षण को 1 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने के मामले में सुनवाई की गई.
दरअसल, राज्य सरकार की ओर से अति पिछड़ा वर्ग की गुर्जर सहित अन्य जातियों को 1 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी आरक्षण देने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई है. जिस पर गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर में मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट एवं न्यायाधीश पीएस भाटी की अदालत में सुनवाई शुरू की.
अदालत में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि जब सरकार ने पूरा अध्ययन करने के बाद अति पिछड़ा वर्ग को एक फीसदी आरक्षण दिया था तो सरकार द्वारा ही 5 फ़ीसदी इसी किए जाने का कोई औचित्य नहीं है. यह पूरी तरह से गलत है. कोर्ट में इस दौरान इस मसले पर जुड़े आरक्षण के तकनीकी पहलुओं पर बहस की गई. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में हाल ही में आरक्षण को लेकर एक फैसला आया है. उसे भी ध्यान में रखना है.
मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट एवं न्यायाधीश पीएस भाटी की अदालत में सरकार की ओर से महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने पक्ष रखा. करीब 20 मिनट की सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने सुनवाई ब्रेक के बाद जारी रखने का कहा. ब्रेक के बाद फिर सुनवाई हुई. अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने राज्य सरकार के निर्णय को गलत बताया. दोनों पक्षों ने इसको लेकर अपने अपने तर्क रखे, लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हुई खंडपीठ ने शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने गुर्जर सहित अन्य जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है, जिसके आधार पर प्रदेश में होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को भी सरकार ने स्थगित कर दिया है. अब नए सिरे से आरक्षण की व्यवस्था इन परीक्षाओं के पदों में लागू की जाएगी. इस बीच हाईकोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती दे दी गई देखने वाली बात यह होगी कि सरकार के फैसले को हाई कोर्ट किस दृष्टि से देखता है. अगर हाईकोर्ट सरकार के इस फैसले पर रोक लगा देता है तो एक बार फिर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं का दौर थम जाएगा.