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नगर परिषद नागौर की सभापति के निलंबन आदेश पर रोक, विशेष अपील में सभापति बोथरा को राहत - नगर परिषद नागौर की सभापति मीतू बोथरा

नगर परिषद नागौर की सभापति मीतू बोथरा के निलंबन आदेश पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. उनके निलंबन का आदेश गत 16 मई को दिया गया था.

HC stays suspension of chairman
सभापति के निलंबन आदेश पर रोक
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 13, 2023, 9:07 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस विजय विश्नोई व जस्टिस योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ ने नगर परिषद नागौर की सभापति मीतू बोथरा के निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए राहत दी है. नगर परिषद नागौर की सभापति मीतू बोथरा की ओर से एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील पेश की गई.

अपीलकर्ता सभापति बोथरा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य व उनके सहयोगी चयन बोथरा ने अपील में पैरवी करते हुए बताया कि सभापति बोथरा को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए 16 मई, 2023 को निलंबित कर दिया था. जिसके खिलाफ हाईकोर्ट एकलपीठ में याचिका दायर की गई, लेकिन निलंबन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया.

पढ़ें: डॉक्टर का निलंबन आदेश और हेड क्वॉटर बदलने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

अपील में कहा कि किसी भी पट्टे में केवल हस्ताक्षर तक ही सीमित है. जबकि जांच होने पर संबंधित क्लर्क व अधिकारी के साथ ही आयुक्त जवाबदार होते हैं. इस मामले में आयुक्त से ही स्पष्टीकरण मांगा था और उन्होंने ही पत्र व्यवहार किया. सभापति का इस प्रकरण में अहम रोल नहीं था. उसके बावजूद सरकार ने उन्हें निलंबन करने का आदेश जारी किया गया, वो उचित नहीं है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार की ओर से 16 मई, 2023 को जारी आदेश के क्रियान्वयन व प्रभाव पर रोक लगा दी है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस विजय विश्नोई व जस्टिस योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ ने नगर परिषद नागौर की सभापति मीतू बोथरा के निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए राहत दी है. नगर परिषद नागौर की सभापति मीतू बोथरा की ओर से एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील पेश की गई.

अपीलकर्ता सभापति बोथरा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य व उनके सहयोगी चयन बोथरा ने अपील में पैरवी करते हुए बताया कि सभापति बोथरा को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए 16 मई, 2023 को निलंबित कर दिया था. जिसके खिलाफ हाईकोर्ट एकलपीठ में याचिका दायर की गई, लेकिन निलंबन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया.

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अपील में कहा कि किसी भी पट्टे में केवल हस्ताक्षर तक ही सीमित है. जबकि जांच होने पर संबंधित क्लर्क व अधिकारी के साथ ही आयुक्त जवाबदार होते हैं. इस मामले में आयुक्त से ही स्पष्टीकरण मांगा था और उन्होंने ही पत्र व्यवहार किया. सभापति का इस प्रकरण में अहम रोल नहीं था. उसके बावजूद सरकार ने उन्हें निलंबन करने का आदेश जारी किया गया, वो उचित नहीं है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार की ओर से 16 मई, 2023 को जारी आदेश के क्रियान्वयन व प्रभाव पर रोक लगा दी है.

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