जोधपुर. संजीवनी क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी गबन मामले में आरोपों से घिरे केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए बिना कोर्ट अनुमति के आरोप पत्र पेश करने पर रोक लगा दी है. साथ ही पूर्व के आदेश अनुसार बिना अनुमति के गिरफ्तार भी नहीं करेगी.
जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने जांच एजेंसी एसओजी को स्वतंत्रता दी है कि वो गवाहों एवं संदिग्धों को बुला सकती है, लेकिन केंद्रीय मंत्री सांसद हैं. ऐसे में उनकी कई व्यावसायिक प्रतिबद्धताएं हो सकती हैं. ऐसे में उनको बुलाना हो, तो उस तारीख से 20 दिन पूर्व नोटिस जारी किया जाए. ऐसे में कोर्ट ने केन्द्रीय मंत्री को बुलाने की भी स्वतंत्रता दे दी है. लेकिन उसके लिए नोटिस आवश्यक होगा.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई 8 जनवरी को होगी, तब तक याचिकाकर्ता केंद्रीय मंत्री शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र बिना कोर्ट अनुमति के पेश नहीं करे. कोर्ट ने एसओजी को भी स्वतंत्रता दी है कि इसके अलावा कोई प्रतिबंध नहीं है, जांच जारी रहेगी. एसओजी जांच करने के लिए स्वतंत्र है और वो गवाहों के साथ संदिग्धों के मौखिक व दस्तावेजी साक्ष्य एकत्र कर सकता है.
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एसओजी गवाहों के साथ संदिग्धों को भी पूछताछ के लिए उपस्थित होने का नोटिस दे सकती है. केन्द्रीय मंत्री शेखावत की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीआर बाजवा उनके सहयोगी आदित्य विक्रम सिंह, प्रियंका बोराणा और सरकार की ओर से एसओजी के एडिशनल एसपी मनोज चौधरी, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरेन पी रावल, अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने पैरवी की.