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ग्राउंड रिपोर्ट: गांव-गांव कोरोना ने पसारे पांव, मौत के डर से नजर आ रहा सख्त लॉकडाउन

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Published : May 13, 2021, 9:25 PM IST

Updated : Jun 2, 2021, 3:00 PM IST

राजस्थान के गांवों में भी कोरोना पांव पसार रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में ग्रामीण क्षेत्रों में मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि शहर में लॉकडाउन होने के बावजूद सड़कों पर वाहनों की भीड़ नजर आती है लेकिन गांवों में सड़कों पर इक्का-दुक्का आदमी ही नजर आ रहा है.

गांवों में सख्त लॉकडाउन, गांवों की ग्राउंड रिपोर्ट, Corona epidemic in the village, Strict lockdown in villages, Corona in the villages of Jodhpur
गांवों में कोरोना पर ग्राउंड रिपोर्ट

जोधपुर. जिले के हर ब्लॉक के गांवों में कोरोना संक्रमण फैल चुका है. बीते कुछ दिनों से जोधपुर के अस्पतालों में भी शहर से ज्यादा ग्रामीण भर्ती होने लगे हैं. मौतों का सिलसिला भी लगातार जारी है. ईटीवी भारत की टीम ने जोधपुर से 30 किलोमीटर दूर ओसियां के मथानियां और बालरवा गांव का जायजा लिया.

गांवों में कोरोना पर ग्राउंड रिपोर्ट

मथानिया की ग्राउंड रिपोर्ट

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शुरू हुआ इलाज

मथानियां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोविड के मरीजों का उपचार शुरू हो गया है. इनके लिए ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर भी पहुंच गए हैं. मथानिया के इस अस्पताल में 4 मरीजों के उपचार की सुविधा विकसित की गई है.

पढ़ें: SPECIAL : वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के लिए Co-WIN पोर्टल पर स्लॉट का 'संकट'...कुछ ही मिनटों में हो रहा 'फुल', एक अनार सौ बीमार के हालात

गांवों में पहुंचने लगे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर

मथानिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुल्तान सिंह चारण का कहना है कि पिछले दिनों हमें 4 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर मिलने के बाद हम माइल्ड मरीजों का उपचार कर पा रहे हैं. जिनका ऑक्सीजन स्तर 90 तक रहता है. इसका फायदा भी मिल रहा है. समय रहते मरीज को ऑक्सीजन और उपचार मिलने से जल्दी रिकवरी हो जाती है. इसके अलावा वे मरीजों को प्रोन पोजिशन (Prone Position) में भी रखते है. इससे ऑक्सीजन का स्तर जल्दी सुधरता है. रोजाना डेढ़ सौ से ज्यादा सेंपल लिए जाते हैं. चिंता की बात यह है कि संक्रमण दर अभी 30 फीसदी है.

बालरवा की ग्राउंड रिपोर्ट

मथानिया से 9 किलोमीटर दूर बालरवा गांव में सन्नाटा पसरा है. यहां सड़क पर इलाके के तहसीलदार अपनी टीम के साथ नजर आए. उन्होंने बताया कि गांव में 100 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं.

पढ़ें: SPECIAL : मासूमों पर CORONA की दूसरी लहर भारी...कोटा में 50 से ज्यादा बच्चे गंभीर, ब्लड क्लॉटिंग भी हो रही

मौत के आंकड़े छुपा रहे!

तहलीसदार ने बताया कि मथानिया में 2 कोरोना मरीजों की मौत हुई है. जबकि सरपंच प्रतिनिधि सांवरलाल परिहार के मुताबिक 13 लोगों की मौत हुई है. बाकी की कोई जांच ही नहीं हुई है. पूरे गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. सर्वे भी हो रहा है.

टीकाकरण के लिए इंतजार

बालरवा गांव में बीस मार्च को 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण हुआ था. उसके बाद एक बार और कैंप लगा, जिसमें भी पहली डोज ही लगी. लेकिन 2 महीने बाद भी सभी लोगों को दूसरी डोज का इंतजार है. लंबे समय से गांव में टीकाकरण नहीं हुआ है. जबकि शुरूआती दौर में इस गांव में शत-प्रतिशत लोगों को पहली डोज लगने पर जिला स्तर पर प्रथम घोषित किया गया था. 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए तो यहां टीकाकरण दूर की कौड़ी बना हुआ है.

पढ़ें: SPECIAL : कोरोना का इलाज कराने आ रहे मरीज के परिजन सड़कों पर रात बिताने को मजबूर, न खाने की है व्यवस्था न सोने का है इंतजाम

30 फीसदी मौतें ग्रामीण क्षेत्रों की

जोधपुर के तीन बड़े अस्पताल एम्स, मथुरादास माथुर और महात्मा गांधी अस्पताल में बीते एक सप्ताह से प्रतिदिन 25 से तीस रोगियों की कोरोना से मौत हो रही है. इनमें 30 फीसदी मौतें ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की है. इस आंकड़े से आसानी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांवों में हालात किस कदर भयावह होते जा रहे हैं.

चिंता की बात यह है कि सरकारी अस्पतालों की मौतें तो सामने आ रही है लेकिन निजी अस्पतालों में होने वाली मौतों की कोई गिनती नहीं है. इसके अलावा बिना उपचार के दम तोड़ने वालों की संख्या कहीं अधिक होती जा रही है.

जोधपुर. जिले के हर ब्लॉक के गांवों में कोरोना संक्रमण फैल चुका है. बीते कुछ दिनों से जोधपुर के अस्पतालों में भी शहर से ज्यादा ग्रामीण भर्ती होने लगे हैं. मौतों का सिलसिला भी लगातार जारी है. ईटीवी भारत की टीम ने जोधपुर से 30 किलोमीटर दूर ओसियां के मथानियां और बालरवा गांव का जायजा लिया.

गांवों में कोरोना पर ग्राउंड रिपोर्ट

मथानिया की ग्राउंड रिपोर्ट

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शुरू हुआ इलाज

मथानियां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोविड के मरीजों का उपचार शुरू हो गया है. इनके लिए ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर भी पहुंच गए हैं. मथानिया के इस अस्पताल में 4 मरीजों के उपचार की सुविधा विकसित की गई है.

पढ़ें: SPECIAL : वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के लिए Co-WIN पोर्टल पर स्लॉट का 'संकट'...कुछ ही मिनटों में हो रहा 'फुल', एक अनार सौ बीमार के हालात

गांवों में पहुंचने लगे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर

मथानिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुल्तान सिंह चारण का कहना है कि पिछले दिनों हमें 4 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर मिलने के बाद हम माइल्ड मरीजों का उपचार कर पा रहे हैं. जिनका ऑक्सीजन स्तर 90 तक रहता है. इसका फायदा भी मिल रहा है. समय रहते मरीज को ऑक्सीजन और उपचार मिलने से जल्दी रिकवरी हो जाती है. इसके अलावा वे मरीजों को प्रोन पोजिशन (Prone Position) में भी रखते है. इससे ऑक्सीजन का स्तर जल्दी सुधरता है. रोजाना डेढ़ सौ से ज्यादा सेंपल लिए जाते हैं. चिंता की बात यह है कि संक्रमण दर अभी 30 फीसदी है.

बालरवा की ग्राउंड रिपोर्ट

मथानिया से 9 किलोमीटर दूर बालरवा गांव में सन्नाटा पसरा है. यहां सड़क पर इलाके के तहसीलदार अपनी टीम के साथ नजर आए. उन्होंने बताया कि गांव में 100 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं.

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मौत के आंकड़े छुपा रहे!

तहलीसदार ने बताया कि मथानिया में 2 कोरोना मरीजों की मौत हुई है. जबकि सरपंच प्रतिनिधि सांवरलाल परिहार के मुताबिक 13 लोगों की मौत हुई है. बाकी की कोई जांच ही नहीं हुई है. पूरे गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. सर्वे भी हो रहा है.

टीकाकरण के लिए इंतजार

बालरवा गांव में बीस मार्च को 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण हुआ था. उसके बाद एक बार और कैंप लगा, जिसमें भी पहली डोज ही लगी. लेकिन 2 महीने बाद भी सभी लोगों को दूसरी डोज का इंतजार है. लंबे समय से गांव में टीकाकरण नहीं हुआ है. जबकि शुरूआती दौर में इस गांव में शत-प्रतिशत लोगों को पहली डोज लगने पर जिला स्तर पर प्रथम घोषित किया गया था. 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए तो यहां टीकाकरण दूर की कौड़ी बना हुआ है.

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30 फीसदी मौतें ग्रामीण क्षेत्रों की

जोधपुर के तीन बड़े अस्पताल एम्स, मथुरादास माथुर और महात्मा गांधी अस्पताल में बीते एक सप्ताह से प्रतिदिन 25 से तीस रोगियों की कोरोना से मौत हो रही है. इनमें 30 फीसदी मौतें ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की है. इस आंकड़े से आसानी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांवों में हालात किस कदर भयावह होते जा रहे हैं.

चिंता की बात यह है कि सरकारी अस्पतालों की मौतें तो सामने आ रही है लेकिन निजी अस्पतालों में होने वाली मौतों की कोई गिनती नहीं है. इसके अलावा बिना उपचार के दम तोड़ने वालों की संख्या कहीं अधिक होती जा रही है.

Last Updated : Jun 2, 2021, 3:00 PM IST
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