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शेखावत का आरोप: सरकार का सबसे बड़ा आदमी बचा रहा है एसओजी के अफसर को - CM Ashok Gehlot

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सीएम अशोक गहलोत का नाम लिए बगैर एक ट्वीट में उनपर गंभीर आरोप लगाए (Shekhawat allegation on Gehlot Government) हैं.

Gajendra Singh Shekhwat tweets on ASP bribe case, target CM Gehlot indirectly
शेखावत का आरोप: सरकार का सबसे बड़ा आदमी बचा रहा है एसओजी के अफसर को
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Published : Jan 17, 2023, 10:28 PM IST

जोधपुर. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा है. शेखावत ने एक ट्वीट कर अजमेर में एसओजी की एएसपी के घूसकांड में गिरफ्तारी के मामले में सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है.

शेखावत ने ट्वीट में लिखा कि 'कौन है वो बड़ा अफसर? जिसका नाम प्रदेश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के सबसे बड़े घूसकांड की आरोपी एएसपी ने लिया है. बड़े अफसर का एएफआईआर में नाम नहीं होने का मतलब है कि उसकी पीठ पर किसी बहुत बड़े आदमी का हाथ है. संभवतः सरकार के सबसे बड़े आदमी का?' शेखावत ने सीएम का नाम लिए बगैर अपने बयान से अशोक गहलोत पर आरोप जड़ दिया कि उस बड़े अफसर की पीठ पर सरकार के सबसे बड़े आदमी का हाथ है. जिसकी वजह से उसका नाम एफआईआर में भी नहीं आया.

पढ़ें: पेपर लीक मामले में बोले शेखावत- सरकार के संरक्षण में पनप रहे नकल माफिया

उल्लेखनीय कि अजमेर एसओजी चौकी प्रभारी दिव्या मित्तल को एसीबी ने गिरफ्तार किया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यक्ति को नशीली दवाओं के मामले में बचाने के लिए दो करोड़ की रिश्वत मांगी. बाद में 50 लाख रुपए में सौदा तय हुआ. लेकिन एसीबी की संभावित कार्रवाई की भनक एएसपी दिव्या मित्तल और दलाल दोनों को लग गई. जिसके चलते दलाल मौके से भाग गया. लेकिन एसीबी के पास पूरे सबूत थे. क्योंकि एसीबी ने 8 जनवरी को रिश्वत मांगने का सत्यापन करवा लिया था, जिसके आधार पर दिव्या मित्तल को गिरफ्तार कर लिया गया.

Shekhawat allegation on Gehlot Government
मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का ट्वीट

पढ़ें: गहलोत के 'निकम्मा' कहने पर गजेंद्र सिंह शेखावत का पलटवार, कहा-ऐसी भाषा और भावना उनको ही मुबारक

बोली-रिश्वत का हिस्सा उपर तक जाता है: एनडीपीएस के एक मामले में हरिद्वार के दवा निर्माता कंपनी के मालिक को मदद करने के एवज में दो करोड़ की रिश्वत मांगी गई थी. लेकिन परिवादी ने राशि कम करने का कहा तो दिव्या मित्तल ने कहा कि मैंने 8 महीने से आपको परेशान नहीं किया, यह मेरे स्तर का नहीं है, यह ऊपर तक का रहता है. इसलिए पैसे तो पूरे देने होंगे. हिस्सा ऊपर तक जाता है. हालांकि बाद में यह सौदा 50 लाख में तय हो गया जिसमें 25 लाख देने थे. लेकिन दलाल को राशि देने से पहले उसे एसीबी के सक्रिय होने का पता लगने पर भाग गया. जिसके चलते ट्रैप फैल हो गया.

जोधपुर. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा है. शेखावत ने एक ट्वीट कर अजमेर में एसओजी की एएसपी के घूसकांड में गिरफ्तारी के मामले में सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है.

शेखावत ने ट्वीट में लिखा कि 'कौन है वो बड़ा अफसर? जिसका नाम प्रदेश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के सबसे बड़े घूसकांड की आरोपी एएसपी ने लिया है. बड़े अफसर का एएफआईआर में नाम नहीं होने का मतलब है कि उसकी पीठ पर किसी बहुत बड़े आदमी का हाथ है. संभवतः सरकार के सबसे बड़े आदमी का?' शेखावत ने सीएम का नाम लिए बगैर अपने बयान से अशोक गहलोत पर आरोप जड़ दिया कि उस बड़े अफसर की पीठ पर सरकार के सबसे बड़े आदमी का हाथ है. जिसकी वजह से उसका नाम एफआईआर में भी नहीं आया.

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उल्लेखनीय कि अजमेर एसओजी चौकी प्रभारी दिव्या मित्तल को एसीबी ने गिरफ्तार किया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यक्ति को नशीली दवाओं के मामले में बचाने के लिए दो करोड़ की रिश्वत मांगी. बाद में 50 लाख रुपए में सौदा तय हुआ. लेकिन एसीबी की संभावित कार्रवाई की भनक एएसपी दिव्या मित्तल और दलाल दोनों को लग गई. जिसके चलते दलाल मौके से भाग गया. लेकिन एसीबी के पास पूरे सबूत थे. क्योंकि एसीबी ने 8 जनवरी को रिश्वत मांगने का सत्यापन करवा लिया था, जिसके आधार पर दिव्या मित्तल को गिरफ्तार कर लिया गया.

Shekhawat allegation on Gehlot Government
मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का ट्वीट

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बोली-रिश्वत का हिस्सा उपर तक जाता है: एनडीपीएस के एक मामले में हरिद्वार के दवा निर्माता कंपनी के मालिक को मदद करने के एवज में दो करोड़ की रिश्वत मांगी गई थी. लेकिन परिवादी ने राशि कम करने का कहा तो दिव्या मित्तल ने कहा कि मैंने 8 महीने से आपको परेशान नहीं किया, यह मेरे स्तर का नहीं है, यह ऊपर तक का रहता है. इसलिए पैसे तो पूरे देने होंगे. हिस्सा ऊपर तक जाता है. हालांकि बाद में यह सौदा 50 लाख में तय हो गया जिसमें 25 लाख देने थे. लेकिन दलाल को राशि देने से पहले उसे एसीबी के सक्रिय होने का पता लगने पर भाग गया. जिसके चलते ट्रैप फैल हो गया.

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