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यहां किसान अपना रहे उन्नत कृषि तकनीक, खेती में अब अपनाने लगे हैं ये 'खास' पद्धति - लूणी उन्नत कृषि तकनीक

जोधपुर के लूणी में बूंद-बूंद सिंचाई का उपयोग किया जा रहा है. जिसमें पानी की बचत होती है और पौधे को भरपूर मात्रा में पानी मिलता है.

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बूंद-बूंद सिंचाई संयंत्र पद्धति
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Published : Jun 24, 2020, 7:55 PM IST

लूणी (जोधपुर). खेती में जल बचत के लिए बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति सर्वोत्तम उपाय है. पिछले कुछ वर्षों से आधुनिक खेती में उन्नत कृषि तकनीकी को अपनाया जा रहा है. आज की आधुनिक युग में बूंद-बूंद सिंचाई का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें पानी की बचत होती है. साथ ही पौधे को भरपूर मात्रा में पानी मिलता है.

किसान आपना रहे है उन्नत कृषि तकनीक

जैसे उन्नत बीज, बीजोपचार, भूमि उपचार, पौध संरक्षण के उपाय, जैविक खेती, फव्वारा सिंचाई, बागवानी खेती, फूलों की खेती, विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती, उन्नत तरीके के जल हौज, खेत तलाई, सामुदायिक फार्म पॉन्ड, वर्मी कंपोस्ट इकाई, प्याज भंडारण, सौर ऊर्जा संयंत्र, आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग इत्यादि नवीनीकरण संसाधनों को खेती में अपनाया जा रहा है.

पढ़ेंः जोधपुरः कोरोना के 40 नए पॉजिटिव केस आए सामने, कुल 38 मौतें

किसानों ने बताया कि हर साल अलग-अलग तरह का बीज का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें कृष्णा 420 सबसे महत्वपूर्ण बीज है. इस बीज से भरपूर मात्रा में पैदावार ली जा सकती है. हर वर्ष अलग-अलग मिर्ची के बीज का उपयोग किया जा रहा है. वहीं, इस बार मिर्ची की बीज बोने में किसान जुट गए हैं.

किसान गोपाराम ने बताया कि पहले 5 हेक्टेयर में मिर्ची की पैदावार की जाती थी. अब पानी की बचत होने से 10 हेक्टेयर में मिर्ची, टमाटर और अन्य सब्जियों की पैदावार की जाती है. बूंद-बूंद सिंचाई से हमारी आय दोगुनी हो गई है. कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से सलाह लेकर सब्जियों की पैदावार की जाती है. वहीं, समय-समय पर खाद बीज का उपयोग भी कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से ली जाती है.

पढ़ेंः जोधपुरः विवाद के बाद पार्किंग संचालक के खिलाफ महिला कांस्टेबल ने करवाया मामला दर्ज

वैज्ञानिक भोपाल सिंह ने बताया कि हम किसानों से रूबरू हो रहे हैं, साथ ही समय-समय पर किसानों की बोई हुई सब्जियों की देखभाल कर रहे हैं. किसानों को समय समय पर खाद बीज भी उपलब्ध करवा रहे हैं. किसानों की पैदावार के लिए कृष्णा 420 मिर्ची का बीज बहुत ही उत्तम है. जिससे किसान भरपूर मात्रा में पैदावार लेते हैं. वहीं, अधिक तापमान में भी पौधा हरा भरा रहता है, जिससे किसानों को मंडियों में अच्छे भावों में बेचकर अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं.

लूणी (जोधपुर). खेती में जल बचत के लिए बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति सर्वोत्तम उपाय है. पिछले कुछ वर्षों से आधुनिक खेती में उन्नत कृषि तकनीकी को अपनाया जा रहा है. आज की आधुनिक युग में बूंद-बूंद सिंचाई का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें पानी की बचत होती है. साथ ही पौधे को भरपूर मात्रा में पानी मिलता है.

किसान आपना रहे है उन्नत कृषि तकनीक

जैसे उन्नत बीज, बीजोपचार, भूमि उपचार, पौध संरक्षण के उपाय, जैविक खेती, फव्वारा सिंचाई, बागवानी खेती, फूलों की खेती, विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती, उन्नत तरीके के जल हौज, खेत तलाई, सामुदायिक फार्म पॉन्ड, वर्मी कंपोस्ट इकाई, प्याज भंडारण, सौर ऊर्जा संयंत्र, आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग इत्यादि नवीनीकरण संसाधनों को खेती में अपनाया जा रहा है.

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किसानों ने बताया कि हर साल अलग-अलग तरह का बीज का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें कृष्णा 420 सबसे महत्वपूर्ण बीज है. इस बीज से भरपूर मात्रा में पैदावार ली जा सकती है. हर वर्ष अलग-अलग मिर्ची के बीज का उपयोग किया जा रहा है. वहीं, इस बार मिर्ची की बीज बोने में किसान जुट गए हैं.

किसान गोपाराम ने बताया कि पहले 5 हेक्टेयर में मिर्ची की पैदावार की जाती थी. अब पानी की बचत होने से 10 हेक्टेयर में मिर्ची, टमाटर और अन्य सब्जियों की पैदावार की जाती है. बूंद-बूंद सिंचाई से हमारी आय दोगुनी हो गई है. कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से सलाह लेकर सब्जियों की पैदावार की जाती है. वहीं, समय-समय पर खाद बीज का उपयोग भी कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से ली जाती है.

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वैज्ञानिक भोपाल सिंह ने बताया कि हम किसानों से रूबरू हो रहे हैं, साथ ही समय-समय पर किसानों की बोई हुई सब्जियों की देखभाल कर रहे हैं. किसानों को समय समय पर खाद बीज भी उपलब्ध करवा रहे हैं. किसानों की पैदावार के लिए कृष्णा 420 मिर्ची का बीज बहुत ही उत्तम है. जिससे किसान भरपूर मात्रा में पैदावार लेते हैं. वहीं, अधिक तापमान में भी पौधा हरा भरा रहता है, जिससे किसानों को मंडियों में अच्छे भावों में बेचकर अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं.

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