जोधपुर. जिले में नवरात्र स्थापना के साथ ही शहर में जगह-जगह गरबा पंडाल सजने लगे हैं और यहां मां दुर्गा की मूर्तियां भी स्थापित हो रही है. शहर में जगह-जगह मूर्तियां व्यक्ति भी नजर आती हैं, लेकिन ज्यादातर मूर्तियां मिट्टी कि नहीं होकर प्लास्टर ऑफ पेरिस की है. जबकि शहर के सबसे पुराने दुर्गा मंदिर जहां बंगाली समाज की ओर से दुर्गाबाड़ी का संचालन किया जाता है. यहां आज भी मिट्टी की मूर्ति ही बनाई जाती है.
वहीं, कोलकाता से आने वाले इसके विशेष कारीगर मिट्टी की मूर्ति पर पानी के रंगों का उपयोग करते हैं जिससे कि जिस पानी में मूर्ति को प्रवाहित किया जाए तो वह खराब नहीं हो साथ ही मछलियों का जीवन संकट में नहीं आए. वहीं, बंगाली समाज शहर में कई जगह पर मां काली की मूर्तियां स्थापित करता है. जो पूरी तरह इको फ्रेंडली होती है. यह क्रम लंबे समय से चला आ रहा है. दुर्गाबाड़ी के भगवान दास ने बताया कि मिट्टी की मूर्ति पर्यावरण का संरक्षण करती है. इसलिए हम इनका उपयोग करते हैं.
कोलकाता से आए कारीगर शंकर ने बताया कि वाटर कलर में कोई केमिकल नहीं होता है. हमारी बनाई गई मूर्ति पानी में जल्दी ही घुल जाती है और उसको नुकसान भी नहीं होता है. करीब 70 वर्ष पुरानी दुर्गाबाड़ी में भी मां काली की मूर्ति स्थापित की जाएगी, यहां बंगाली समाज इनकी पूजा करेगा. मूर्ति विसर्जन से पहले बंगाली समाज अपनी परंपरा के अनुसार यहां सिंदूर खेला करता है जिसमें बंगाली महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं.