जोधपुर. देश में नई शिक्षा नीति का परिणाम है कि आज जोधपुर आईआईटी और जोधपुर एम्स मिलकर दो डिग्री देने के पाठ्यक्रम चला रहे हैं. ऐसा करने वाला जोधपुर आईआईटी पहला शिक्षण संस्थान है. यहां क्रेडिट स्कोर ट्रांसफर करने की व्यवस्था लागू की गई है.
नई शिक्षा नीति एनईपी-2020 को जारी किए हुए 29 जुलाई को तीन साल हो जाएंगे. इस दौरान केंद्र के शिक्षण संस्थानों में इस नीति के आधार पर काम पर हुआ है. जोधपुर आईआईटी में इन तीन सालों में नई शिक्षा नीति के आधार पर कई नए कोर्स लागू किए गए हैं. आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो शांतनु चौधरी के अनुसार नई नीति के अनुसार छात्र की सुविधा के अनुरूप कोर्स डिजाइन किए गए हैं. हमारी पहली आईआईटी है जहां एमबीए भी हो रहा है. अगर कोई छात्र बेसिक कोर्स के बाद स्ट्रीम बदलना चाहता है, तो उसके लिए बहुत विकल्प विकसित किए हैं.
पढ़ें: एक साथ दो डिग्री, अटेंडेंस-परीक्षा-प्रैक्टिकल के लिए बनेगा नया कैलेंडेर
प्रो चौधरी ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत ही एम्स के साथ चल रहे मेडटेक प्रोग्राम के तहत छह यूनिट स्टार्टअप शुरू हुए हैं. एनईपी के तहत ही आईआईटी में लिबरल आर्ट स्कूल भी खोला गया है. इंजीनियरिंग के साथ-साथ छात्र इसमें भी डिग्री कर सकते हैं. इसके तहत कंप्यूटर सोशल साइंस प्रोग्राम शुरू किया है. एनईपी के तीन साल के मौके पर आईआईटी में एक वर्कशॉप भी हुआ. जिसमें कई संस्थान शामिल हुए.
पढ़ें: VMOU में ड्यूल डिग्री कोर्स जुलाई से होंगे शुरू, ये है तरीका और नियम-शर्तें
कैजुअल स्टूडेंटस के लिए खोला रास्ताः हमने कैजुअल स्टूडेंट्स के लिए भी रास्ता खोला है. अगर कोई एमबीएम इंजीनियंरिंग में हैं और उसे यहां आकर कुछ समय किसी कोर्स में पढ़ना है, तो वे यहां एप्लाई कर सकते हैं. एक निश्चित प्रक्रिया के बाद उनको प्रवेश दिया जाता है. वे ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों तरीके से पढ़ सकते हैं. ऐसे स्टूडेंट के लिए क्रेडिट स्केर डिजाइन किए गए हैं, जो उनके मूल डिग्री में शामिल किए जा सकते हैं.
पढ़ें: विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ड्यूल डिग्री प्रोग्राम को यूजीसी की स्वीकृति
माइनर और मेजर डिग्री प्रोग्रामः निदेशक का कहना है कि हमने अपने स्टूडेंट्स को कई तरह के ऑप्शन दिए हैं. वे एक साथ ड्यूल डिग्री कर सकते हैं. अगर कोई कंप्यूटर साइंस में मेजर डिग्री प्रोग्राम में है, तो वह माइनर डिग्री के लिए बायोसाइंस, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग ले सकता है. इस तरह के कोर्स छात्रों के लिए काफी फायदेमंद भी हैं. इसके अलावा किसी प्रोग्राम का बेसिक होने के बाद भी विषय बदलने का विकल्प खुला है. उनके बेसिक के क्रेडिट नए प्रोगाम में ट्रांसफर होते हैं.
फोकस समस्याएं ढूंढकर निदान करने पर प्रो शांतनु ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ हम अपने स्टूडेंट्स को स्थानीय समस्याओं को ढूंढ कर उनका समाधान करने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं. इस काम के लिए उनको क्रेडिट स्कोर मिलता है, जो उनके परिणाम में शामिल होता है. इससे छात्र सामाजिक भागीदारी में शामिल होने की भावना से परिचित होते हैं. समस्याओं को ढूंढ कर उनका समाधान करने से उनमें अपने अध्ययन की महत्ता का भान होता है.