जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने का दावा करते हैं, लेकिन उनके गृह जिले के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ही लोगों को परेशानी में डाल रहे हैं. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं का आलम ये है कि डॉक्टर मरीज की हालत देखे बगैर सिर्फ कागज देखकर सीधे रेफर कर रहे हैं. ऐसा ही मामला शहर के नजदीक केरु गांव के अस्पताल में मंगलवार सुबह सामने आया है. यहां प्रसव पीड़ा के साथ अस्पताल पहुंची गर्भवती को देखने के बजाय डॉक्टर ने उसके उपचार के कागज देखे और उसके आधार पर जोधपुर रेफर कर दिया. लाचार परिजन गर्भवती को लेकर रवाना होते, उससे पहले ही एंबुलेंस के पास जमीन पर ही प्रसव हो गया. इसके बाद गर्भवती को अस्पताल में भर्ती किया गया. इसको लेकर केरु के लोगों में रोष व्याप्त है.
केरु के रहने वाले गोपाराम देवासी ने बताया कि उसकी पत्नी पूरा देवी को परिजन मंगलवार सुबह साढे़ छह बजे केरु अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां डॉक्टर व चिकित्सकीय स्टाफ ने मरीज को देखे बगैर ही कागज देखकर कहा कि इसको खून की कमी है, इसलिए यहां डिलीवरी नहीं होगी. जोधपुर लेकर जाओ. कोई कागज भी नहीं दिए. पूरा देवी प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी, फिर भी डॉक्टर व स्टाफ ने बाहर आकर नहीं देखा. गोपाराम ने बताया कि मरीज को बिना देखे ही कह दिया कि जोधपुर लेकर चले जाओ. बाहर आए तो एंबुलेंस के पास ही डिलवरी हो गई.
उसके बाद जब परिजन चिल्लाए तो स्टाफ बाहर आया और पूरादेवी को अंदर लेकर गए और भर्ती किया. फिलहाल जच्चा व बच्चा स्वस्थ्य हैं. यह तो गनीमत रही कि जमीन पर खुले में गर्भवती के साथ आई महिलाओं के सहयोग से हुए प्रसव के दौरान किसी तरह की अनहोनी नहीं हुई, अन्यथा चिकित्साकर्मियों की लापरवाही एक प्रसूता व नवजात के जीवन को खतरे में डाल देती. इसको लेकर सीएमएचओ डॉ जितेंद्र पुरोहित का कहना था कि वे बीसीएमओ से इस मामले को लेकर पूरी रिपोर्ट मंगवाएंगे और दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे.