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ट्रेन से पहुंचाया जा रहा  पीने का पानी.... जोधपुर-पाली के बीच पाइपलाइन चालू नहीं होने से हो रही समस्या - पाइपलाइन

जोधपुर से हर रोज वाटर ट्रेन से पानी पाली पहुंचाया जा रहा है.जोधपुर-पाली के बीच पाइपलाइन ठीक नहीं है. जिसके कारण पानी ट्रेन से पहुंचाना पड़ रहा है. एक समय में पाली के जवाई बांध से जोधपुर शहर के पानी की आपुर्ति होती थी.

ट्रेन से पहुंचाया जा रहा रोज पीने का पानी
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Published : Jul 28, 2019, 1:37 PM IST

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जोधपुर. शहर से हर रोज वाटर ट्रेन से पीने का पानी पाली तक पहुंचाया जा रहा है. पर हमेशा से हालात ऐसे नहीं थे.40 साल तक पाली के जवांई बांध से जोधपुर शहर में पानी की आपुर्ति की जाती रही.जोधपुर शहर में रियासत काल से ही पीने के पानी की समस्या रही है. जोधपुर के राजाओं ने पानी के लिए कई नहरे बनाई. 1936 में हेमावास से जोधपुर की नहर बनवाई गयी थी.

ट्रेन से पहुंचाया जा रहा रोज पीने का पानी

इसके बाद 1952 में जवाई बांध से हेमावास होते हुए जोधपुर तक 160 किमी की नहर भी तैयार करवाई गई थी. इस नहर की खास बात यह थी कि, नहर से जोधपुर शहर के कुड़ी गांव तक पानी पहुंचने के लिए किसी भी तरह की तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता था, सिर्फ ग्रेविटी के आधार पर पानी जोधपुर पहुंचता था.

किन आज कि परिस्थिति ऐसी है कि जोधपुर से पाली तक पानी सीधे नहीं पहुंच रहा है.जोधपुर से पाली के रोहिट कस्बे के बीच पाइपलाइन दुरुस्त नहीं है. यह दूरी 40 किमी है. यदि यह पाइपलाइन सही होती तो पाली तक सीधे पानी की आपूर्ति की हो जाती .लेकिन पानी की आपुर्ति के लिए वाटर ट्रेन से फिल्टर पानी पाली भेजा जा रहा है.जिसे पाली में एक बार फिर फिल्टर कर लोगों को सप्लाई किया जा रहा है.

जोधपुर जलदाय विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता के एम एल माथुर ने ईटीवी भारत से बात-चित के दौरान बताया कि जोधपुर शहर में जवाई बांध से नहर के जरिए पानी सीधे शहर में आता था. उस पानी को तख्त सागर में पहुंचाने के लिए शहर अलग-अलग हिस्सों में 8 पंपिंग स्टेशन बनाए गए थे.

हालांकि इन पंपिंग स्टेशन का अस्तित्व खत्म हो चुका है. माथुर मानते हैं कि अगर पाली तक पानी नियमित रूप से पहुंचाना है तो रोहित और जोधपुर के बीच की लाइन को बिछा देना चाहिए. जिससे कि पीने का पानी लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा.

बता दें कि जोधपुर शहर में भी कई जगह पर पानी की कटौती करके पाली में पानी की आपुर्ति की जा रहा है. ऐसे में यदि जल्द ही बारिश नहीं हुई और जवाई बांध में पानी नहीं आया तो जोधपुर शहर में पीने के पानी की दिक्कत हो जाएगी.

1995 से जवाई नहर बंद-

जोधपुर शहर के लिए 1984 में इंदिरा गांधी नहर से राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल बनाकर जलापूर्ति शुरू की गई थी. जल आपुर्ति को धीरे धीरे बढ़ाते हुए 1995 तक जोधपुर शहर को पूरी तरह इंदिरा गांधी नहर पर निर्भर बना दिया गया . जिसके बाद जवाई नहर से पानी की आवक भी बंद कर दी गई थी. जिससे जवाई नहर 20 सालों में पूरी तरह अपना अस्तित्व खो चुका है.

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जोधपुर. शहर से हर रोज वाटर ट्रेन से पीने का पानी पाली तक पहुंचाया जा रहा है. पर हमेशा से हालात ऐसे नहीं थे.40 साल तक पाली के जवांई बांध से जोधपुर शहर में पानी की आपुर्ति की जाती रही.जोधपुर शहर में रियासत काल से ही पीने के पानी की समस्या रही है. जोधपुर के राजाओं ने पानी के लिए कई नहरे बनाई. 1936 में हेमावास से जोधपुर की नहर बनवाई गयी थी.

ट्रेन से पहुंचाया जा रहा रोज पीने का पानी

इसके बाद 1952 में जवाई बांध से हेमावास होते हुए जोधपुर तक 160 किमी की नहर भी तैयार करवाई गई थी. इस नहर की खास बात यह थी कि, नहर से जोधपुर शहर के कुड़ी गांव तक पानी पहुंचने के लिए किसी भी तरह की तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता था, सिर्फ ग्रेविटी के आधार पर पानी जोधपुर पहुंचता था.

किन आज कि परिस्थिति ऐसी है कि जोधपुर से पाली तक पानी सीधे नहीं पहुंच रहा है.जोधपुर से पाली के रोहिट कस्बे के बीच पाइपलाइन दुरुस्त नहीं है. यह दूरी 40 किमी है. यदि यह पाइपलाइन सही होती तो पाली तक सीधे पानी की आपूर्ति की हो जाती .लेकिन पानी की आपुर्ति के लिए वाटर ट्रेन से फिल्टर पानी पाली भेजा जा रहा है.जिसे पाली में एक बार फिर फिल्टर कर लोगों को सप्लाई किया जा रहा है.

जोधपुर जलदाय विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता के एम एल माथुर ने ईटीवी भारत से बात-चित के दौरान बताया कि जोधपुर शहर में जवाई बांध से नहर के जरिए पानी सीधे शहर में आता था. उस पानी को तख्त सागर में पहुंचाने के लिए शहर अलग-अलग हिस्सों में 8 पंपिंग स्टेशन बनाए गए थे.

हालांकि इन पंपिंग स्टेशन का अस्तित्व खत्म हो चुका है. माथुर मानते हैं कि अगर पाली तक पानी नियमित रूप से पहुंचाना है तो रोहित और जोधपुर के बीच की लाइन को बिछा देना चाहिए. जिससे कि पीने का पानी लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा.

बता दें कि जोधपुर शहर में भी कई जगह पर पानी की कटौती करके पाली में पानी की आपुर्ति की जा रहा है. ऐसे में यदि जल्द ही बारिश नहीं हुई और जवाई बांध में पानी नहीं आया तो जोधपुर शहर में पीने के पानी की दिक्कत हो जाएगी.

1995 से जवाई नहर बंद-

जोधपुर शहर के लिए 1984 में इंदिरा गांधी नहर से राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल बनाकर जलापूर्ति शुरू की गई थी. जल आपुर्ति को धीरे धीरे बढ़ाते हुए 1995 तक जोधपुर शहर को पूरी तरह इंदिरा गांधी नहर पर निर्भर बना दिया गया . जिसके बाद जवाई नहर से पानी की आवक भी बंद कर दी गई थी. जिससे जवाई नहर 20 सालों में पूरी तरह अपना अस्तित्व खो चुका है.

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Body:जोधपुर शहर रियासत काल से ही पीने के पानी के संकट से जूझता रहा है जोधपुर के राजाओं ने यहां की जनता को पानी पिलाने के लिए कई तरह के प्रयास किए कई नहरे बनाई इनमें से एक प्रयास था 1936 में हेमावास से जोधपुर की नहर, तो इसके बाद 1952 में जवाई बांध से हेमावास होते हुए जोधपुर तक 160 किमी की नहर भी तैयार करवाई गई खास बात यह थी कि जोधपुर शहर के कुड़ी गांव तक पानी पहुंचने तक किसी भी तरह की तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता था सिर्फ ग्रेविटी के आधार पर पानी जोधपुर पहुंचता था लेकिन आज हालात उल्टे हैं पाली को पानी देने के लिए जोधपुर से ट्रेन चलानी पड़ रही है इसकी वजह यह है कि जोधपुर से पाली के रोहिट कस्बे जिसकी दूरी 40 किमी है के बीच पाइपलाइन दुरुस्त नहीं है अगले पाइपलाइन सही होती तो सीधे ही आपूर्ति की जा सकती थी , लेकिन अब वाटर ट्रेन से फिल्टर पानी भेजा जा रहा है जिसे पाली में एक बार फिर फिल्टर कर लोगों को सप्लाई किया जा रहा है जोधपुर जलदाय विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता के एम एल माथुर जो कि जवाई बांध से आने वाले पानी को लिफ्ट कर तख्त सागर तक पहुंचाने के दौर के साक्षी रहे है उनका कहना है कि जोधपुर शहर में जवाई बांध से नहर के मार्फत जो पानी आता था उसे तख्त सागर में पहुंचाने के लिए शहर अलग-अलग हिस्सों पर 8 पंपिंग स्टेशन बनाए गए थे क्योंकि तख्त सागर ऊंचाई पर था हालांकि इन पंपिंग स्टेशन का अस्तित्व खत्म हो चुका है माथुर मानते हैं कि अगर पाली तक पानी नियमित रूप से पहुंचाना है तो रोहित और जोधपुर के बीच की लाइन को बिछा देना चाहिए जिससे कि क्वालिटी वाटर लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा।
ज्ञात रहे कि जोधपुर शहर में भी कई जगह पर पानी की कटौती कर ही अभी पाली पानी पहुंचाया जा रहा है ऐसे में अगर जल्द मानसून में मेहरबानी नहीं दिखाई और जवाई बांध में पानी नहीं आया तो जोधपुर शहर के लिए भी पानी की दिक्कत हो जाएगी।

1995 से नहर बंद
जोधपुर शहर के लिए 1984 में इंदिरा गांधी नहर से राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल बनाकर जलापूर्ति शुरू की गई थी जिसमें धीरे-धीरे पानी की आवक बढ़ाते हुए 1995 तक पूरी तरह जोधपुर इंदिरा गांधी नहर पर निर्भर हो गया और उसके बाद जवाई नहर से पानी की आवक भी बंद कर दी गई थी।

bite : केएमएल माथुर, पूर्व मुख्य अभियंता जलदाय विभाग


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