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Rajasthan High Court: कांस्टेबल के वकील को थप्पड़ मारने के मामले में कोर्ट ने सुनाया ये फैसला... - वकील को थप्पड़ मारने वाले कांस्टेबल पर जुर्माना

एक पुलिस कांस्टेबल के कोर्ट की अवमानना मामले में गवाह के रूप में पेश होते हुए बचाव पक्ष के वकील को थप्पड़ मारने के मामले में हाईकोर्ट ने 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया (Court decision on constable who slapped advocate) है. मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कोर्ट की महिमा महत्वपूर्ण है. इस मामले में कांस्टेबल ने बिना शर्त माफी भी मांग ली थी.

Court decision on constable who slapped advocate
कांस्टेबल के वकील को थप्पड़ मारने के मामले में कोर्ट ने सुनाया ये फैसला...
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Published : Oct 31, 2022, 8:47 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक पुलिस कांस्टेबल पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता को थप्पड़ मारने का दोषी पाए जाने के बाद 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया (Court decision on constable who slapped advocate) है. वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई व न्यायाधीश फरजंद अली की खंडपीठ ने एडीजे गंगापुर भीलवाड़ा की ओर से पेश अवमानना के मामले में गवाह के रूप में गवाही देते समय बचाव पक्ष के अधिवक्ता को थप्पड़ मारने के लिए पुलिस कांस्टेबल को अवमानना का दोषी मानते हुए जुर्माना लगाया है.

अवमानना मामले के फैसले में हाईकोर्ट ने कीमती समय को देखते हुए यह जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी-अवमाननाकर्ता निचली अदालत में अनियंत्रित व्यवहार का दोषी है और इस न्यायालय ने तत्काल अवमानना ​​याचिका से निपटने के दौरान अपना कीमती समय समर्पित किया है. हम प्रतिवादी-अवमाननाकर्ता को 25 हजार रुपए की राशि जमा करने का निर्देश देना उचित समझते हैं. कोर्ट ने फैसले से एक महीने की अवधि के भीतर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, भीलवाड़ा के पास 25 हजार रुपए जमा कराने का आदेश दिया है.

पढ़ें: कुशलगढ़ विधायक द्वारा हेड कांस्टेबल को थप्पड़ मारने के मामले में CID CB करेगी जांच, दोनों तरफ से प्रकरण दर्ज

कोर्ट ने कहा कि न्याय प्रशासन में बाधा डालने, अदालत को बदनाम करने या न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के किसी भी प्रयास से पूरी सख्ती से निपटा जाना चाहिए. 'न्यायालय की महिमा बहुत महत्वपूर्ण है और न्याय के उचित प्रशासन और आम जनता में विश्वास की भावना पैदा करने के उद्देश्य से सर्वोपरि है.' इस पर और जोर दिया गया. हालांकि, अवमाननाकर्ता की ओर से बिना शर्त माफी मांगे जाने पर, अदालत ने इसे प्रामाणिक मानते हुए स्वीकार कर लिया. 'प्रतिवादी-अवमानना ​​करने वाला एक युवा व्यक्ति है जिसके दो नाबालिग बच्चे हैं और अपने परिवार की पृष्ठभूमि को देखते हुए, मामले में एक उदार दृष्टिकोण लिया जाता है.'

पढ़ें: महिला को चिकित्सक ने जड़ा चांटा, मामला दर्ज...सीसीटीवी फुटेज में कैद हुई घटना

अदालत की अवमानना याचिका जिला न्यायाधीश द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी. इसमें कहा गया था कि अवमाननाकर्ता ने गवाह के रूप में गवाही देते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता को थप्पड़ मारा था. इस व्यवहार के कारण न्यायिक कार्य बाधित हुआ. अदालत की अवमानना ​​याचिका के अलावा, कांस्टेबल के खिलाफ जिला न्यायाधीश की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 228 के तहत मामला दर्ज किया गया था. कांस्टेबल ने कहा कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत में प्रवेश करने से पहले उस पर दबाव डाला था और जिरह के दौरान लगातार उसके पैर मार रहे थे. कोर्ट ने अवमानना याचिका का निस्तारण कर दिया और कहा कि अधीनस्थ अदालत में धारा 228 के तहत मामला जारी रहेगा.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक पुलिस कांस्टेबल पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता को थप्पड़ मारने का दोषी पाए जाने के बाद 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया (Court decision on constable who slapped advocate) है. वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई व न्यायाधीश फरजंद अली की खंडपीठ ने एडीजे गंगापुर भीलवाड़ा की ओर से पेश अवमानना के मामले में गवाह के रूप में गवाही देते समय बचाव पक्ष के अधिवक्ता को थप्पड़ मारने के लिए पुलिस कांस्टेबल को अवमानना का दोषी मानते हुए जुर्माना लगाया है.

अवमानना मामले के फैसले में हाईकोर्ट ने कीमती समय को देखते हुए यह जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी-अवमाननाकर्ता निचली अदालत में अनियंत्रित व्यवहार का दोषी है और इस न्यायालय ने तत्काल अवमानना ​​याचिका से निपटने के दौरान अपना कीमती समय समर्पित किया है. हम प्रतिवादी-अवमाननाकर्ता को 25 हजार रुपए की राशि जमा करने का निर्देश देना उचित समझते हैं. कोर्ट ने फैसले से एक महीने की अवधि के भीतर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, भीलवाड़ा के पास 25 हजार रुपए जमा कराने का आदेश दिया है.

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कोर्ट ने कहा कि न्याय प्रशासन में बाधा डालने, अदालत को बदनाम करने या न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के किसी भी प्रयास से पूरी सख्ती से निपटा जाना चाहिए. 'न्यायालय की महिमा बहुत महत्वपूर्ण है और न्याय के उचित प्रशासन और आम जनता में विश्वास की भावना पैदा करने के उद्देश्य से सर्वोपरि है.' इस पर और जोर दिया गया. हालांकि, अवमाननाकर्ता की ओर से बिना शर्त माफी मांगे जाने पर, अदालत ने इसे प्रामाणिक मानते हुए स्वीकार कर लिया. 'प्रतिवादी-अवमानना ​​करने वाला एक युवा व्यक्ति है जिसके दो नाबालिग बच्चे हैं और अपने परिवार की पृष्ठभूमि को देखते हुए, मामले में एक उदार दृष्टिकोण लिया जाता है.'

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अदालत की अवमानना याचिका जिला न्यायाधीश द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी. इसमें कहा गया था कि अवमाननाकर्ता ने गवाह के रूप में गवाही देते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता को थप्पड़ मारा था. इस व्यवहार के कारण न्यायिक कार्य बाधित हुआ. अदालत की अवमानना ​​याचिका के अलावा, कांस्टेबल के खिलाफ जिला न्यायाधीश की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 228 के तहत मामला दर्ज किया गया था. कांस्टेबल ने कहा कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत में प्रवेश करने से पहले उस पर दबाव डाला था और जिरह के दौरान लगातार उसके पैर मार रहे थे. कोर्ट ने अवमानना याचिका का निस्तारण कर दिया और कहा कि अधीनस्थ अदालत में धारा 228 के तहत मामला जारी रहेगा.

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