जोधपुर. कांग्रेस नेता सुपारस भंडारी को अपने से जूनियर नेता की अध्यक्षता में सदस्य बनाया जाना रास नहीं आया है. उन्होंने इसको लेकर सीएम गहलोत के नाम एक पत्र लिखा है. इस पत्र में सुपारस भंडारी ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनको राजनीतिक रूप से स्थापित करने के लिए कई प्रस्ताव दिए. इसको लेकर उन्होंने आभार भी जताई. साथ ही जिला बीस सूत्री कार्यक्रम समिति का सदस्य बनाने पर भंडारी ने उन्हें नीचा दिखाने का आरोप भी लगाया.
उन्होंने पत्र में लिखा कि इस नियुक्ति से मुझे बहुत आघात पहुंचा है. मैं आज भी यही मानता हूं कि ये किसी नादान की करतूत है, मुझे नीचा दिखाने की. आप तो हमेशा मेरा दर्जा बढ़ाने में थे. उन्होंने दावा किया इस कार्यकाल में उन्होंने (सीएम अशोक गहलोत) भंडारी को एक कमेटी का चेयरमन बनाने का ऑफर दिया, जिसे उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने आगे लिखा कि इस ऑफर के बाद आप कुछ नहीं दे पाए उसका मुझे कोई रंज नहीं है, लेकिन इस कमेटी के सदस्य के रूप में मेरा नाम को हटाने का आदेश दें.
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उन्होंने लिखा कि आपको आंकलन करना चाहिए आपके इर्द गिर्द कैसे लोग हैं? ऐसे लोगों के मंसूबों को नेस्तानाबूत करने के लिए यह संदेश, खुद वायरल कर रहा हूं, ताकि लोगों को पता लगे कि आपने मेरे लिए क्या नहीं किया है. अन्यथा मेरे प्रति तो हमदर्दी बढ़ेगी और आपके प्रति लोग मेरा उदाहरण देकर प्रश्न चिन्ह लगाएंगे, जो आज भी लगाते हैं.
सलीम की सरदारी में बनाया सदस्य : हाल ही में सरकार ने जिला बीस सूत्री कार्यक्रम समिति का उपाध्यक्ष शहर जिला कांग्रेस उत्तर के अध्यक्ष सलीम खान को बनाया है. सलीम खान सुपारस भंडारी से जूनियर हैं. हालांकि भंडारी लंबे समय तक सरकारी सेवा में रहे, उसके बाद वे राजनीति में आए. वो एक बार विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं, ऐसे में उनको सलीम खान की सरपरस्ती में सदस्य बनाया जाना रास नहीं आया. भंडारी ने यह पीड़ा पत्र लिखकर बयां की. उनके अनुसार नियुक्त किए गए सदस्यों में उनका नाम 12वें नंबर पर है. उनका दावा है कि बनाए गए सदस्यों में एक नाम जसराज भारती का भी है, जिनकी दो साल पहले मृत्यु हो चुकी है.
सांसद का ऑफर भी ठुकराया : अपने पत्र में सुपारस भंडारी ने यह बताने का प्रयास किया कि उनके गहलोत से कितने करीबी और कैसे रिश्ते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में दावा किया है कि 2004 में सीएम ने पाली से सांसद का चुनाव लड़ने के लिए भंडारी का नाम फाइनल किया था, लेकिन उन्होंने मना किया था. इसके बाद 2010 में जोधपुर से मेयर के सीधे चुनाव में उनके कहने पर सीएम ने रामेश्वर दाधीच को उम्मीदवार बनाने की पैरवी की. इसके बाद भंडारी को मेला प्राधिकरण का चेयरमैन बनाकर मंत्री पद देने के लिए स्वीकृति किया. साथ ही 2013 में विधानसभा का टिकट दिया. उन्होंने पत्र में लिखा कि मैं पचीस-तीस साल बाद जोधपुर लौटा, फिर भी चुनाव लड़ा. देश में मोदी लहर की वजह से हार गया. आपने मुझे देने में कोई कमी नहीं रखी.