जोधपुर. कारगिल युद्ध से ठीक पहले कश्मीर के बोबन वस्तर में भारतीय सेना की तरफ से पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ झड़प करने वाले कर्नल संग्राम सिंह भाटी की प्रतिमा का मंगलवार को लोकार्पण किया (Col Sangram Singh Bhati statue in Jodhpur) गया. 16 मार्च, 1999 को हुई मुठभेड़ में मेजर संग्राम सिंह भाटी ने चार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था. इसके लिए उन्हें शौर्य चक्र से भी सम्मानित किया था.
साल 2018 में बीमारी के चलते उनका निधन हो गया था. जोधपुर के ओसियां के टापू निवासी संग्राम सिंह भाटी की मां सुगन कंवर और पत्नी पूजा सिंह के हाथों उनकी मूर्ति का अनावरण किया गया. इस मौके वह भावुक हो गईं. उन्होंने कहा कि मेरे बेटे ने जो किया, उस पर मुझे गर्व है. मां की बच्चों को शिक्षा देने में अहम भूमिका होती है. इस मौके पर राज्य सैनिक कल्याण समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल ने कहा कि कर्नल संग्राम सिंह भाटी ने हमेशा अपनी बहादुरी का परिचय दिया था.
जब वे मेजर थे, तब उन्होंने आतंकवादियों को मार गिराया था. वे 10 पैरा से थे. उसके सीओ भी रहे थे. इस मौके पर जोधपुर टेन पैरा की टुकड़ी उनके सम्मान में मौजूद रही. साथ ही 12 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर, राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत व नगर निगम महापौर दक्षिण वनिता सेठ सहित अन्य लोग मौजूद रहे.
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जेहादी बन कर किया आतंकियों का सफाया: कर्नल भाटी को रेगिस्तान का मुस्तफा भी कहा जाता था. उनके कई बहादुरी के किस्से हैं. 2003 में वे 4 दिन तक एक जिहादी बहरूपिया बनकर लश्कर के कैंप में शामिल हुए थे. 4 दिन बाद उन्होंने अपने साथी अफसर के साथ खास ऑपरेशन को अंजाम दिया और लश्कर के आतंकियों का खात्मा किया था. उनके दादा स्वर्गीय सूबेदार खेत सिंह ने दूसरे विश्व युद्ध में जोधपुर सरदार इन्फेंट्री की ओर से भाग लिया था. उनके पिता स्वर्गीय कर्नल श्याम सिंह ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में विशेष भूमिका निभाई थी.