जोधपुर. भारतीय वायुसेना ने इस साल 15 अगस्त को फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी. रवींद्र राव (Flight Lieutenant D Ravindra Rao) को वीरता पदक से सम्मानित किया था. दरअसल, 6 नवंबर, 2021 को यूपी के आगरा स्थित एयरफोर्स स्टेशन के अंदर लैंड करते समय जगुआर फाइटर प्लेन क्रैश हुआ था. पायलट बुरी तरह फंसा हुआ था. उसकी जान बचाने का श्रेय राव को देते हुए उन्हें पदक प्रदान किया गया था. इसके बाद राजस्थान के बाड़मेर के कुम्पलिया (Kumplia of Rajasthan Barmer) के रहने वाले व भारतीय वायुसेना में सार्जेंट के पद से सेवानिवृत हुए घनश्याम सिंह ने इस फैसले पर सवाल खड़े कर दिए थे.
उन्होंने दावा किया था कि जिस साहसिक कार्य के लिए राव को पदक दिया गया, वो उन्होंने किया ही नहीं था. वे तो उस दिन प्लेन में धमाके के डर से दूर भाग गए थे. उल्टा उस दिन तो अपनी जान पर खेल कर उन्होंने पायलट की जान बचाई थी. अब एक आरटीआई से घनश्याम सिंह के इस दावे पर मुहर लग गई है. मामले में खुलासा हुआ है कि आगरा स्थित एयरफोर्स स्टेशन से इस मामले में ऑफिसर इन कमांड ने वायु सेना मेडल के वीरता पदक के लिए तत्कालीन सार्जेंट घनश्याम सिंह का नाम ही आगे भेजा था. लेकिन इसे बाद में दरकिनार करते हुए फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी. रवींद्र राव को ये अवार्ड दे दिया गया. हालांकि, अभी तक यह खुलासा नहीं हो सका है कि राव को यह अवार्ड किसकी अनुशंसा पर दिया गया.
वहीं, आरटीआई के जवाब में वायु सेना ने उन्हें 6 नवंबर, 2021 को जगुआर विमान के दुर्घटना से संबंधित ज्यादातर सूचना संवेदनशील बताते हुए देने से इनकार कर दिया. बताया गया कि ऐसी जानकारी देश की संप्रभुता व अखंडता को खतरा पैदा कर सकती है. देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय हित को देखते हुए यह जानकारी देना संभव नहीं है. साथ ही आरटीआई में यह खुलासा हुआ कि जगुआर क्रैश के दौरान दिखाई बहादुरी को लेकर वायु सेना स्टेशन आगरा के एयर ऑफिसर कमांडिंग ने एक्स सार्जेंट घनश्याम सिंह के नाम को वीरता पदक के लिए प्रशस्ति पत्र के साथ फॉरवर्ड किया गया था. आरटीआई के जवाब में इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि भी भेजी गई है.