जोधपुर. सिर पर विधानसभा चुनाव है और ऊपर से सियासी अखाड़े में एजेंसियों की एंट्री ने केंद्र और राज्य सरकार को आमने-सामने ला दिया है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि 10 अक्टूबर को एक ओर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला मामले में एसओजी की ओर से नोटिस जारी किया तो ठीक 3 दिन बाद यानी 13 अक्टूबर को सीएम के करीबी कांग्रेस नेता के घर पर ईडी की छापेमारी हो गई. ऐसे में अब इस कार्रवाई को केंद्र के जवाब के रूप देखा जा रहा है, जिसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार भी एकदम से गर्म हो गया है.
सीएम गहलोत पर लगाया गंभीर आरोप : वहीं, केंद्रीय मंत्री ने उन्हें नोटिस भेजने की कार्रवाई को लेकर सीएम गहलोत पर हमला बोला और इसे सियासी प्रतिशोध करार दिया. शेखावत ने कहा कि जोधपुर में मेरे घर पर एक नोटिस भेजा गया है, जिसमें मेरे बैंक खातों, वित्तीय लेन-देन का विवरण मांगा गया है. उन्होने कहा कि ये पहली बार है कि उन्हें नोटिस भेजा गया है. इससे पहले उन्हें न तो किसी जांच के लिए बुलाया गया था और न ही उन्हें कोई नोटिस दिया गया था. आगे उन्होंने कहा कि उनके साथ ये सियासी प्रतिशोध के तहत किया जा रहा है और अगर उनकी कोई छोटी सी भी गलती होती तो सीएम मौका नहीं चूकते.
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दरअसल, प्रदेश में पिछले कई दिनों से केंद्रीय जांच एजेंसी प्रर्वतन निदेशालय (ED) सक्रिय है. आए दिन पेपर लीक, हर घर नल से जल योजना सहित अन्य मामलों को लेकर कार्रवाई हो रही है. ईडी के निशाने पर कई ऐसे लोग भी हैं, जो सीएम गहलोत के करीबी हैं. ऐसे में अब ईडी के जवाब में राज्य की जांच एजेंसी एसओजी भी सक्रिय हो गई है. एसओजी ने लंबे समय से शांत चल रहे संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले मामले में बीते 10 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को नोटिस जारी कर दिया.
वहीं, एसओजी की कार्रवाई सरकार का ईडी को जवाबी हमले से जोड़ कर देखा जा रहा है. हालांकि शेखावत इस मामले में हाईकोर्ट से गिरफ्तारी की रोक की राहत पा चुके हैं, लेकिन अब 30 अक्टूबर को मामले की जोधपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. उससे पहले ही एसओजी ने नोटिस देकर शेखावत से बैंक खातों की जानकारी और ट्रांजेक्शन डिटेल मांग ली है. ऐसा माना जा रहा है कि एसओजी इस बार सुनवाई पर कोर्ट में कुछ तथ्य रखकर शेखावत को मिली राहत को छीनना चाहती है.
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एसओजी सूत्रों की मानें तो हाल ही में शेखावत को उनके घर पर नोटिस तामिल करवाया गया था. माना जा रहा है कि इस प्रकरण में राजस्थान हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक की राहत ले चुके केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को एसओजी एक बार फिर घेरने के प्रयास में है. शेखावत कह चुके है कि इससे पहले कभी उनको कोई नोटिस इस मामले में नहीं दिया गया था. उनका सियासी करियर समाप्त करने के लिए सीएम गहलोत साजिश रच रहे हैं. इस मामले में शेखावत के अलावा सोसायटी संचालक मंडल में शामिल विनोद कंवर, ऊषा कंवर, खेम कंवर, डूंगर सिंह, नारायण सिंह, चामुंड सिंह और जनक सिंह को भी नोटिस दिया है. इस नोटिस में सभी से उनके बैंक खाते व लेन-देन की जानकारी मांगी गई है.
संजीवनी से शुरू हुई सियासी अदावत : संजीवनी मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल मार्च में सीधे शेखावत पर हमला कर उन्हें और उनके परिवार के लोगों को आरोपी बताया था. उसके बाद से वे लगातार हमले करते आ रहे हैं. सीएम गहलोत अपने आरोप लगाने की वजह एसओजी की जांच रिपोर्ट बताते रहे हैं. जिसे कोर्ट में पेश तो किया गया, लेकिन एसओजी उससे शेखावत के खिलाफ कोई आदेश नहीं ले सकी. ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट में सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी सही ढंग से पक्ष रख नहीं पाए. इसके चलते शेखावत को गिरफ्तारी से रोक की राहत मिल गई. उसके बाद शेखावत ने भी गहलोत पर दिल्ली की अदालत में मानहानि का मामला दर्ज किया, जिसकी सुनवाई भी आगामी 16 अक्टूबर को होनी है.
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शेखावत को पहली बार नोटिस : संजीवनी मामले में एसओजी ने 2019 में मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें शेखावत का नाम नहीं था. वहीं, एफआईआर के आधार संजीवनी के कर्ताधर्ता विक्रम सिंह व अन्य की गिरफ्तारियां हुई थी. उसके बाद लगातार कार्रवाई होती रही. इस साल मार्च में शेखावत के करीबी डाकलिया परिवार के लोगों को भी एसओजी ने पकड़ा था. हालांकि, उसके बाद लग रहा था कि अब शेखावत पर भी एसओजी हाथ डालेगी.
एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर सीएम ने बयान भी दिए. एसओजी ने जब कोर्ट में रिपोर्ट पेश की तो वहां हुई गफलत के चलते एसओजी को कोई फायदा नहीं हुआ. अभिषेक मनु सिंघवी सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए, लेकिन शेखावत को गिरफ्तारी पर रोक की राहत मिल गई. अब गिरफ्तारी पर रोक के मामले की सुनवाई से पहले एसओजी ने नोटिस देकर मामले को फिर से गर्म कर दिया है.