ETV Bharat / state

State Food testing Lab में मिलावटी साबित हुए सैम्पल, रैफरल लैब में हो रहे पास, सरकार ने बताई ये वजह - खाद्य विश्‍लेषक की रिपोर्ट

प्रदेश में पिछले चार साल में अनसेफ पाए गए 1385 नमूनों की रैफरल लैब में जांच हुई, तो 154 ही अनसेफ पाए गए. इसे लेकर सरकार ने कारण बताए हैं.

State Food testing Lab में मिलावटी साबित हुए सैम्पल, रैफरल लैब में हो रहे पास, सरकार ने बताई ये वजह
Adultized samples proved safe in referral lab test, know shocking figures
author img

By

Published : Mar 10, 2023, 7:15 PM IST

जोधपुर. प्रदेश में मिलावट रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग अभियान चलाकर मिलावट के संदेह पर खाद्य सामग्री के नमूने लेता है. राज्य की फूड लैब में इनकी जांच होती है. चिंता की बात यह है कि प्रदेश की फूड लैब में जांच में अनसेफ घोषित ऐसे ज्यादातर नमूने रैफरल लैब में पास हो रहे हैं. यानी की उनमें मिलावट की पुष्टि नहीं हो रही है.

दरअसल, फूड सैंपल की जांच प्रदेश की फूड लैब में की जाती है. इनकी जांच रिपोर्ट सब स्टेंडर्ड, मिसब्रांड, अनसेफ श्रेणी में जारी होती है. इसके आधार पर समाग्री निर्माता या विक्रेता के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है. हालांकि खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा-46(4) के तहत खाद्य विश्‍लेषक की रिपोर्ट को सामग्री निर्माता रैफरल लैब में चुनौती देते हैं.

पढ़ें: चिकित्सा मंत्री ने मोबाइल फूड सेफ्टी लैब वैन को दिखाई हरी झंडी, उपभोक्ता 'ऑन द स्पॉट' करा सकेंगे जांच...

राज्य विधानसभा में जोधपुर की सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास द्वारा पूछे गए सवाल में सरकार की ओर से जारी आंकड़े चिंताजनक प्रतीत हैं. वर्ष 2022 में प्रदेश की फूड लैब में अनसेफ पाए गए 442 नमूनों की जांच रैफरल लेब में हुई. जिनमें से सिर्फ 48 नमूनों में ही मिलावट की पुष्टि हुई है. यानी की 394 नमूने पास हो गए. पूर्व खाद्य सुरक्षा अधिकारी मूल चंद व्यास बताते हैं कि हर सामग्री के चार नमूने लिए जाते हैं. इनमें एक नमूना रेफरल लैब में जाता है. वहां के उपकरण और स्थानीय लैब की तकनीक के फर्क के चलते भी परिणाम बदल जाते हैं. इसके अलावा लैब के विश्लेषक का नजरिया भी महत्वपूर्ण होता है. इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश में भी रैफरल लैब खुले.

चार वर्षों का लेखा-जोखा: राजस्थान में 2019 से 2022 तक मिलावट के संदेह पर खाद्य सामग्रियों के 34607 नमूने लिए गए. इनमें 5303 सब स्टेंडर्ड पाए गए. 2346 मिसब्रांड और 1385 अनसेफ पाए गए थे. अनसेफ पाए गए 1385 में से 1202 नमूनों की रैफरल लैब में जांच हुई. इसमें से महज 154 ही अनसेफ पाए गए हैं. 365 सही पाए गए. 552 को सब स्टेंडर्ड घोषित किया गया. 27 को मिसब्रांड बताया गया है. जबकि 75 की रिपोर्ट अभी भी लंबित है.

पढ़ें: बाड़मेर में जल्द बनेगी फूड लैब, जिला प्रशासन ने की जमीन चिन्हित

घटती मिलावट का असर: जांच के लिए रैफरल लैब जाने वाले अनसेफ नमूनों में मिलावट 10 फीसदी के आसपास ही साबित हो रही है, जो काफी चिंताजनक है. त्योहार के मौके पर स्वास्थ्य विभाग जितनी मशक्कत से मुहिम चलाकर नमूने लेता है, उनमें घी, मावा, तेल मसाले के नमूने ज्यादा होते हैं. जो हर घर में काम में आते हैं. राज्य में मिलावटी सबित होने पर भी रैफरल लैब में पास होने से मिलावटियों के हौसले बुलंद रहते हैं. जो विभागीय कार्रवाई को हतोत्साहित करते हैं.

पढ़ें: खाद्य पदार्थों की जांच रिपोर्ट जारी...124 में से 23 सैम्पल मिले अनसेफ

अलग-अलग पैरामीटर्स हैं वजह: फूड सेफ्टी स्टेंडर्ड एक्ट आफ इंडिया (एफएसएसएआई) के तहत सभी राज्यों के लिए अलग-अलग रैफरल लैब आवंटित की गई है. राजस्थान के नमूने पूणे, मैसूर और नवी मुंबई की लैब में जांचे जाते हैं. सरकार का मानना है कि राज्य की फूड लैब व रैफरल लैब के परिणाम में भिन्नता का मुख्य कारण जांच के पैरामीटर्स अलग-अलग होना है. इसके अलावा जांच के परिणामों की व्याख्या खाद्य विश्लेषक द्वारा अलग-अलग स्तर पर करना है. यही कारण है कि राज्य सरकार ने राज्य में रैफरल लैब खोलने का प्रस्ताव एफएसएसएआई दिल्ली को भेजा है.

जोधपुर. प्रदेश में मिलावट रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग अभियान चलाकर मिलावट के संदेह पर खाद्य सामग्री के नमूने लेता है. राज्य की फूड लैब में इनकी जांच होती है. चिंता की बात यह है कि प्रदेश की फूड लैब में जांच में अनसेफ घोषित ऐसे ज्यादातर नमूने रैफरल लैब में पास हो रहे हैं. यानी की उनमें मिलावट की पुष्टि नहीं हो रही है.

दरअसल, फूड सैंपल की जांच प्रदेश की फूड लैब में की जाती है. इनकी जांच रिपोर्ट सब स्टेंडर्ड, मिसब्रांड, अनसेफ श्रेणी में जारी होती है. इसके आधार पर समाग्री निर्माता या विक्रेता के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है. हालांकि खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा-46(4) के तहत खाद्य विश्‍लेषक की रिपोर्ट को सामग्री निर्माता रैफरल लैब में चुनौती देते हैं.

पढ़ें: चिकित्सा मंत्री ने मोबाइल फूड सेफ्टी लैब वैन को दिखाई हरी झंडी, उपभोक्ता 'ऑन द स्पॉट' करा सकेंगे जांच...

राज्य विधानसभा में जोधपुर की सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास द्वारा पूछे गए सवाल में सरकार की ओर से जारी आंकड़े चिंताजनक प्रतीत हैं. वर्ष 2022 में प्रदेश की फूड लैब में अनसेफ पाए गए 442 नमूनों की जांच रैफरल लेब में हुई. जिनमें से सिर्फ 48 नमूनों में ही मिलावट की पुष्टि हुई है. यानी की 394 नमूने पास हो गए. पूर्व खाद्य सुरक्षा अधिकारी मूल चंद व्यास बताते हैं कि हर सामग्री के चार नमूने लिए जाते हैं. इनमें एक नमूना रेफरल लैब में जाता है. वहां के उपकरण और स्थानीय लैब की तकनीक के फर्क के चलते भी परिणाम बदल जाते हैं. इसके अलावा लैब के विश्लेषक का नजरिया भी महत्वपूर्ण होता है. इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश में भी रैफरल लैब खुले.

चार वर्षों का लेखा-जोखा: राजस्थान में 2019 से 2022 तक मिलावट के संदेह पर खाद्य सामग्रियों के 34607 नमूने लिए गए. इनमें 5303 सब स्टेंडर्ड पाए गए. 2346 मिसब्रांड और 1385 अनसेफ पाए गए थे. अनसेफ पाए गए 1385 में से 1202 नमूनों की रैफरल लैब में जांच हुई. इसमें से महज 154 ही अनसेफ पाए गए हैं. 365 सही पाए गए. 552 को सब स्टेंडर्ड घोषित किया गया. 27 को मिसब्रांड बताया गया है. जबकि 75 की रिपोर्ट अभी भी लंबित है.

पढ़ें: बाड़मेर में जल्द बनेगी फूड लैब, जिला प्रशासन ने की जमीन चिन्हित

घटती मिलावट का असर: जांच के लिए रैफरल लैब जाने वाले अनसेफ नमूनों में मिलावट 10 फीसदी के आसपास ही साबित हो रही है, जो काफी चिंताजनक है. त्योहार के मौके पर स्वास्थ्य विभाग जितनी मशक्कत से मुहिम चलाकर नमूने लेता है, उनमें घी, मावा, तेल मसाले के नमूने ज्यादा होते हैं. जो हर घर में काम में आते हैं. राज्य में मिलावटी सबित होने पर भी रैफरल लैब में पास होने से मिलावटियों के हौसले बुलंद रहते हैं. जो विभागीय कार्रवाई को हतोत्साहित करते हैं.

पढ़ें: खाद्य पदार्थों की जांच रिपोर्ट जारी...124 में से 23 सैम्पल मिले अनसेफ

अलग-अलग पैरामीटर्स हैं वजह: फूड सेफ्टी स्टेंडर्ड एक्ट आफ इंडिया (एफएसएसएआई) के तहत सभी राज्यों के लिए अलग-अलग रैफरल लैब आवंटित की गई है. राजस्थान के नमूने पूणे, मैसूर और नवी मुंबई की लैब में जांचे जाते हैं. सरकार का मानना है कि राज्य की फूड लैब व रैफरल लैब के परिणाम में भिन्नता का मुख्य कारण जांच के पैरामीटर्स अलग-अलग होना है. इसके अलावा जांच के परिणामों की व्याख्या खाद्य विश्लेषक द्वारा अलग-अलग स्तर पर करना है. यही कारण है कि राज्य सरकार ने राज्य में रैफरल लैब खोलने का प्रस्ताव एफएसएसएआई दिल्ली को भेजा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.