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SPECIAL : राजस्थान में गणगौर की मची है धूम, आज भी गणगौर मनाने की पुरानी परंपराएं निभा रहीं हैं महिलाएं

प्रदेश में इन दिनों महिलाओं के पर्व गणगौर की धूम मची हुई है. शेखावाटी की युवतियां आज भी पुरानी परंपराओं की तरह इस त्योहार को मनाती हैं. गणगौर का यह त्योहार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
महिलाओं के पर्व गणगौर की मची है धूम
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Published : Apr 14, 2021, 2:30 PM IST

झुंझुनू. भगवान शिव और मां पार्वती के अमर प्रेम और भक्ति से जुड़ा है गणगौर का त्योहार. इसके साथ ही यह त्योहार अपने जीवन साथी के सपने देखने वाली नव युवतियों की भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है. आज भी नव युक्तियां शेखावाटी में गणगौर के त्योहार पुरानी परंपराओं की तरह सज-धज कर मनाती हैं. इस त्योहार में महिलाएं और युवतियां गणगौर के गीत गाती हैं.

महिलाओं के पर्व गणगौर की मची है धूम

पढ़ेंः Special: ईसर-गौर बनाने वाले कारीगर कर रहे दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद

भारत अनेकता में एकता का प्रतीक माने जाने वाला देश है. यहां अनेकों भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं. भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां हर राज्य की अपनी एक अलग भाषा और बोली है. आज हम बात करेंगे भारत के रंगीले राजस्थान की और इसमें भी यदि शेखावाटी की बात की जाए तो यहां की हवेलियों की दीवारें भी रंगीन है और कोई ना कोई कहानी कहती नजर आती हैं. शेखावाटी की हवेलियों पर भी गणगौर के जुड़े हुए बहुत से चित्र आपको मिल जाएंगे.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
महिलाएं मांगती है अखंड सौभाग्यवती का आर्शिवाद

राजस्थान के अलावा कई राज्यों में होता है गणगौरः

यहां की परंपराएं, धर्म कथाएं, प्रथाएं, तीज त्योहार अपने आप में खास मान्यता रखती हैं. वैसे तो गणगौर राजस्थान मध्यप्रदेश और गुजरात आदि राज्यों में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला हिंदुओं का एक त्योहार है, लेकिन शेखावाटी की युवतियां आज भी पुरानी परंपराओं की तरह इस त्योहार को मनाती हैं. गणगौर का यह त्योहार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं

पढ़ेंः जोधपुरः कोरोना के चलते पीहर में ही रही गणगौर, नहीं निकली सवारी

16 से 18 दिन तक चलता है त्योहारः

गणगौर पूजन होलिका दहन के दिन से शुरू हो जाता है और लगभग 16 से 18 दिनों तक चलता है. इस पूजन और व्रत को शादीशुदा और कुवांरी महिलाएं दोनों ही रखती हैं. शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत को रखती है तो वहीं, अविवाहित लड़कियां अच्छा वर पाने की इच्छा से इस व्रत को रखते हैं.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं

सदा सुहागन का दिया था आशीर्वादः

गणगौर पूजन व्रत की मान्यता है कि इस दिन शिव जी ने माता पार्वती को सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद दिया था और मां पार्वती ने संसार की सभी औरतों को यह सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद दिया था. इस गणगौर पूजन में भगवान शिव जी के ईसर जी और मां पार्वती के गौरी रूप की पूजा की जाती है.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
कुंवारी कन्याएं करती हैं मनचाहे वर की कामना

पढ़ेंः बीकानेर में बनती है लकड़ी की गणगौर, खूबसूरती के कारण देश-दुनिया में पहचान

गणगौर व्रत और पूजा में दूब से पानी के छींटे देते हैं और गौर के गीत गाए जाते हैं. इस दिन महिलाएं गोबर और होलिका दहन की राख से पिंडिया बनाकर उन पर कुमकुम और काजल की 16 टीकियां यानी तिलक लगाती हैं साथ ही चंदन अक्षत धूप दीप नैवेद्य आदि से पूजन करके भोग लगाते हैं.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
शिव पार्वती के गीत गाकर महिलाएं करती है गणगौर की अराधना

एक और प्राचीन मान्यताएंः

गणगौर मनाने की एक प्राचीन मान्यता यह भी है कि माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने मायके आती हैं और 8 दिनों के बाद ईसर भगवान शिव उन्हें वापस लेने आते हैं और चैत्र शुक्ल की तृतीया को उनकी विदाई होती है. यही इस गणगौर के त्योहार और व्रत की मान्यता है.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
महिलाएं अपने पिहर और ससुराल की सुख-समृद्धि के लिए करती है व्रत

कई राज्यों में गणगौर विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए बेहद ही जरूरी माने जाने वाला व्रत और त्योहार है इस गणगौर के व्रत को यहां की महिलाएं अपने पिहर और ससुराल की सुख-समृद्धि के लिए बड़े ही हर्षोल्लास के साथ रखती हैं.

झुंझुनू. भगवान शिव और मां पार्वती के अमर प्रेम और भक्ति से जुड़ा है गणगौर का त्योहार. इसके साथ ही यह त्योहार अपने जीवन साथी के सपने देखने वाली नव युवतियों की भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है. आज भी नव युक्तियां शेखावाटी में गणगौर के त्योहार पुरानी परंपराओं की तरह सज-धज कर मनाती हैं. इस त्योहार में महिलाएं और युवतियां गणगौर के गीत गाती हैं.

महिलाओं के पर्व गणगौर की मची है धूम

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भारत अनेकता में एकता का प्रतीक माने जाने वाला देश है. यहां अनेकों भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं. भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां हर राज्य की अपनी एक अलग भाषा और बोली है. आज हम बात करेंगे भारत के रंगीले राजस्थान की और इसमें भी यदि शेखावाटी की बात की जाए तो यहां की हवेलियों की दीवारें भी रंगीन है और कोई ना कोई कहानी कहती नजर आती हैं. शेखावाटी की हवेलियों पर भी गणगौर के जुड़े हुए बहुत से चित्र आपको मिल जाएंगे.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
महिलाएं मांगती है अखंड सौभाग्यवती का आर्शिवाद

राजस्थान के अलावा कई राज्यों में होता है गणगौरः

यहां की परंपराएं, धर्म कथाएं, प्रथाएं, तीज त्योहार अपने आप में खास मान्यता रखती हैं. वैसे तो गणगौर राजस्थान मध्यप्रदेश और गुजरात आदि राज्यों में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला हिंदुओं का एक त्योहार है, लेकिन शेखावाटी की युवतियां आज भी पुरानी परंपराओं की तरह इस त्योहार को मनाती हैं. गणगौर का यह त्योहार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है.

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महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं

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16 से 18 दिन तक चलता है त्योहारः

गणगौर पूजन होलिका दहन के दिन से शुरू हो जाता है और लगभग 16 से 18 दिनों तक चलता है. इस पूजन और व्रत को शादीशुदा और कुवांरी महिलाएं दोनों ही रखती हैं. शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत को रखती है तो वहीं, अविवाहित लड़कियां अच्छा वर पाने की इच्छा से इस व्रत को रखते हैं.

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महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं

सदा सुहागन का दिया था आशीर्वादः

गणगौर पूजन व्रत की मान्यता है कि इस दिन शिव जी ने माता पार्वती को सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद दिया था और मां पार्वती ने संसार की सभी औरतों को यह सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद दिया था. इस गणगौर पूजन में भगवान शिव जी के ईसर जी और मां पार्वती के गौरी रूप की पूजा की जाती है.

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कुंवारी कन्याएं करती हैं मनचाहे वर की कामना

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गणगौर व्रत और पूजा में दूब से पानी के छींटे देते हैं और गौर के गीत गाए जाते हैं. इस दिन महिलाएं गोबर और होलिका दहन की राख से पिंडिया बनाकर उन पर कुमकुम और काजल की 16 टीकियां यानी तिलक लगाती हैं साथ ही चंदन अक्षत धूप दीप नैवेद्य आदि से पूजन करके भोग लगाते हैं.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
शिव पार्वती के गीत गाकर महिलाएं करती है गणगौर की अराधना

एक और प्राचीन मान्यताएंः

गणगौर मनाने की एक प्राचीन मान्यता यह भी है कि माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने मायके आती हैं और 8 दिनों के बाद ईसर भगवान शिव उन्हें वापस लेने आते हैं और चैत्र शुक्ल की तृतीया को उनकी विदाई होती है. यही इस गणगौर के त्योहार और व्रत की मान्यता है.

राजस्थान में गणगौर पर्व, Gangaur festival in Rajasthan
महिलाएं अपने पिहर और ससुराल की सुख-समृद्धि के लिए करती है व्रत

कई राज्यों में गणगौर विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए बेहद ही जरूरी माने जाने वाला व्रत और त्योहार है इस गणगौर के व्रत को यहां की महिलाएं अपने पिहर और ससुराल की सुख-समृद्धि के लिए बड़े ही हर्षोल्लास के साथ रखती हैं.

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