झुंझुनू. जिले में शिक्षा नगरी पिलानी के नजदीक लिखवा गांव ने कोरोना जैसी महामारी पर कैसे जीत पा सकते हैं, इसकी एक नजीर पेश की है. वैसे तो कोरोना से बचाव के लिए आपस में 2 गज की दूरी होना चाहिए, ना कि लोगों के मन में दूरी. आपसी सहयोग व हिम्मत की मिसाल पेश करते हुए लिखवा गांव ने कोरोना महामारी के खिलाफ एक उदाहरण बन कर सामने आया है.
विप्र फाउंडेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश व्यास लिखवा ने बताया कि 13 मई को कोरोना जांच में लिखवा में 39 में से 25 लोग कोरोना पाजिटिव मिले. फिर 18 मई को की गई जांच में फिर से 6 लोग पॉजिटिव आए. एक बार तो गांव में भयावह स्थिति बन गई थी. उनका कहना है कि इस दौरान गांव में न तो प्रशासन आया और न ही चिकित्सा विभाग की कोई टीम आई. एक डॉक्टर तक गांव में नहीं आया, लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया. किसी ने कोई सुध नहीं ली.
आपसी सहयोग व भाईचारे से जीती जंग
प्रशासन की बेरुखी के बाद गांव के युवाओं ने आपस में फोन से संपर्क कर एक दूसरे का हौसला बढ़ाया. रोगियों की हिम्मत को नहीं गिरने दिया, जिसके परिणाम स्वरूप अभी तक लिखवा गांव में एक भी कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल भी नहीं गया. आपसी सहयोग से ही गांव को कई बार सैनिटाइज किया गया. युवाओं की टीम बनाकर मास्क व सैनिटाइजर हर एक व्यक्ति तक पहुंचाए गए. जरूरतमंद को भोजन सामग्री भी वितरित की गई.
उन्होंने बताया कि सरकारी सहायता के नाम पर कुछ नहीं मिला, फिर भी आपसी सहयोग के बल पर आज लिखवा के सभी मरीज पूर्णता स्वस्थ हो चुके हैं. जिन सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी थी, वह गांव से नदारद रहे. हिम्मत, हौसले व आपसी सहयोग व उचित आहार व औषधि के प्रयोग के चलते आज लिखवा पूर्णत स्वस्थ और सजग है.
व्यास ने बताया कि कोरोना को सिर्फ हिम्मत व आपसी सहयोग से ही हराया जा सकता है. इसी की बदौलत लिखवा के लगभग 40 कोरोना मरीज न तो अस्पताल गए और ना ही किसी डॉक्टर के पास गए और पूर्णता स्वस्थ हो गए. लिखवा गांव के नागरिकों से अन्य लोगों को भी प्रेरणा लेकर कोरोना को हराना होगा.