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SPECIAL : झुंझुनू में लहलहाने लगी काले गेहूं की फसल...रंग लाई किसानों की मेहनत - black wheat crop

सूरजगढ़ के किसान अन्य किसानों के सामने मिसाल बनकर सामने आ रहे हैं. शेखावाटी के धोरों में काले गेहूं की फसल लहलहाने लगी है. घरडू के दो किसानों ने काले गेहूं की फसल उगाई है. इस गेहूं में सामान्य गेहूं की अपेक्षा रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है.

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सूरजगढ़ के किसानों ने लगाई काले गेहूं की फसल
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Published : Feb 10, 2020, 11:31 PM IST

सूरजगढ़ (झुंझुनू ). मध्यप्रदेश के नीमच में काले गेहूं पर हुए सफल प्रयोग के बाद शेखावाटी के रेतीले धोरों में भी काले गेहूं की फसल लहलहाने लगी है. सूरजगढ़ इलाके के घरडू गांव के दो किसानों ने इस वर्ष अपने खेतों में काले गेहूं की फसल उगाई है, जो अब बड़ी होने लगी है.

लहलहाते काले गेहूं की फसल के साथ किसान

किसान धर्मवीर और लीलाधर भड़िया ने इस साल नेशनल एग्री फ़ूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट मोहाली से काले गेहूं के बीज करीब दस बीघा खेत में बोये हैं. राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिले के बाद झुंझुनू में काले गेहूं की फसल का ये दूसरा मामला है. दोनों कि सान काले गेहूं की फसल की देखभाल भी पूर्णतया ऑर्गेनिक तरीके से कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें : Special : एक मां की गुहार....बेटे को जंजीरों से आजाद करा दो 'सरकार'

प्रेरित होकर बोए काले गेहूं के बीज

किसान लीलाधर ने बताया कि वो अपने खेतों में ऑर्गेनिक खेती पिछले चार पांच सालों से करते आ रहे हैं. इस वजह से उनका सम्पर्क नेशनल एग्री फ़ूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट मोहालीसे हो गया है. लीलाधर ने बताया कि इंस्टीट्यूट की चिकित्सक डॉ मोनिका गर्ग ने दस साल तक काले गेहूंके औषधीय तत्वों पर गहन रिसर्च कर उसके सुलभ परिणाम बताये तो उससे प्रेरित होकर इस वर्ष काले गेहूंके बीज इंस्टीट्यूट से मंगवाए.

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लहलहाते काले गेहूं की फसल के साथ किसान

ऑर्गेनिक खेती किसान के लिए फायदेमंद
लीलाधर ने बताया कि रसायनिक खेती की बजाय ऑर्गेनिक खेती किसान के लिए काफी फायदेमंद होती है. ऑर्गनिक फसल स्वास्थ्य के लिए भी काफी गुणकारी होती है. लीलाधर ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती में किसान की लागत काफी कम होती है. जिससे उन्हें फसल की पैदावार में मुनाफा भी अधिक होता है.

यह भी पढ़ें- सरसों की खराब फसल लेकर विधानसभा पहुंचे भाजपा विधायक बलवीर सिंह लूथरा, गहलोत सरकार को घेरा

क्यों है काला गेहूं खास

सीड टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञों की मानी जाये तो काले गेहूं दिखने में थोड़े काले और बैंगनी होते है. इनका स्वाद साधारण गेहूं से काफी अलग और गुणकारी है.

⦁ एंथोसाइन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण इनका रंग अलग होता है. साधारण गेहूं में इसकी मात्रा 5 से 15 प्रतिशत पीपीएम तक होती है जबकि काले गेहूं में इनकी मात्रा 40 से 140 प्रतिशत तक होती है.
⦁ एंथोसाइन एक नेचुरल एंटीबायोटिक है जो हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में कारगर होता है.
⦁ काला गेहूं रोग प्रतिरोगी और कीट प्रतिरोगी प्रजाति का माना गया है.
⦁ साधारण गेहूं बाजारों में 18 से 25 रूपये किलो तक भावों में बिकते हैं. वहीं काले गेहूं में औषधीय तत्वों के कारण ये बाजारों में 150 से 200 रूपये किलो तक बेचे जाते हैं.

आपको बता दें कि काले गेहूं की खास बात यह है कि फसल के पैदावार के बाद किसान की आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत हो जाती है.

सूरजगढ़ (झुंझुनू ). मध्यप्रदेश के नीमच में काले गेहूं पर हुए सफल प्रयोग के बाद शेखावाटी के रेतीले धोरों में भी काले गेहूं की फसल लहलहाने लगी है. सूरजगढ़ इलाके के घरडू गांव के दो किसानों ने इस वर्ष अपने खेतों में काले गेहूं की फसल उगाई है, जो अब बड़ी होने लगी है.

लहलहाते काले गेहूं की फसल के साथ किसान

किसान धर्मवीर और लीलाधर भड़िया ने इस साल नेशनल एग्री फ़ूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट मोहाली से काले गेहूं के बीज करीब दस बीघा खेत में बोये हैं. राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिले के बाद झुंझुनू में काले गेहूं की फसल का ये दूसरा मामला है. दोनों कि सान काले गेहूं की फसल की देखभाल भी पूर्णतया ऑर्गेनिक तरीके से कर रहे हैं.

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प्रेरित होकर बोए काले गेहूं के बीज

किसान लीलाधर ने बताया कि वो अपने खेतों में ऑर्गेनिक खेती पिछले चार पांच सालों से करते आ रहे हैं. इस वजह से उनका सम्पर्क नेशनल एग्री फ़ूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट मोहालीसे हो गया है. लीलाधर ने बताया कि इंस्टीट्यूट की चिकित्सक डॉ मोनिका गर्ग ने दस साल तक काले गेहूंके औषधीय तत्वों पर गहन रिसर्च कर उसके सुलभ परिणाम बताये तो उससे प्रेरित होकर इस वर्ष काले गेहूंके बीज इंस्टीट्यूट से मंगवाए.

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लहलहाते काले गेहूं की फसल के साथ किसान

ऑर्गेनिक खेती किसान के लिए फायदेमंद
लीलाधर ने बताया कि रसायनिक खेती की बजाय ऑर्गेनिक खेती किसान के लिए काफी फायदेमंद होती है. ऑर्गनिक फसल स्वास्थ्य के लिए भी काफी गुणकारी होती है. लीलाधर ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती में किसान की लागत काफी कम होती है. जिससे उन्हें फसल की पैदावार में मुनाफा भी अधिक होता है.

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क्यों है काला गेहूं खास

सीड टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञों की मानी जाये तो काले गेहूं दिखने में थोड़े काले और बैंगनी होते है. इनका स्वाद साधारण गेहूं से काफी अलग और गुणकारी है.

⦁ एंथोसाइन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण इनका रंग अलग होता है. साधारण गेहूं में इसकी मात्रा 5 से 15 प्रतिशत पीपीएम तक होती है जबकि काले गेहूं में इनकी मात्रा 40 से 140 प्रतिशत तक होती है.
⦁ एंथोसाइन एक नेचुरल एंटीबायोटिक है जो हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में कारगर होता है.
⦁ काला गेहूं रोग प्रतिरोगी और कीट प्रतिरोगी प्रजाति का माना गया है.
⦁ साधारण गेहूं बाजारों में 18 से 25 रूपये किलो तक भावों में बिकते हैं. वहीं काले गेहूं में औषधीय तत्वों के कारण ये बाजारों में 150 से 200 रूपये किलो तक बेचे जाते हैं.

आपको बता दें कि काले गेहूं की खास बात यह है कि फसल के पैदावार के बाद किसान की आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत हो जाती है.

Intro:सूरजगढ़ (झुंझुनू )
घरडू गांव का किसान अन्य किसानो के लिए बन रहा है प्रेरणा
एमपी की तर्ज पर शेखावाटी के धोरो में लहलहाई काली गेंहू
घरडू के धर्मवीर व लीलाधर ने उगाई काले गेंहू की फसल
पूर्णतया ऑर्गेनिक तरीके से गेंहू की जा रही है देखभाल
हार्ट अटैक,कैंसर,एनीमिया,शुगर सहित अन्य गंभीर
बीमारियों से बचाव में कारगर होती है काला गेंहू Body:एंकर :- काले गेंहू के मध्यप्रदेश के नीमच में हुए सफल प्रयोग के बाद शेखावाटी के रेतीले धोरों में भी काले गेंहू की फसल की लहलहाने लगी है। झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ इलाके के घरडू गांव के दो किसानो ने इस वर्ष अपने खेतो में काले गेंहू की फसल उगाई है जो अब बड़ी होने लगी है। घरडू गांव के किसान अन्य किसानो के सामने मिशाल बनकर सामने आ रहे है।

वीओ :- आपको बता दे के की सूरजगढ़ के घरडू गांव के किसान धर्मवीर व लीलाधर भड़िया ने इस वर्ष नेशनल एग्री फ़ूड बायो टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट मोहाली से काले गेंहू के बीज करीब दस बीघा खेत में बोये है। राजस्थान में चितोड़गढ़ जिले के बाद झुंझुनू में काले गेंहू की फसल का ये दूसरा मामला है। लीलाधर व धर्मवीर भड़िया काले गेंहू की फसल की देखभाल भी पूर्णतया ऑर्गेनिक तरीके से कर रहे है।

वीओ :- किसान लीलाधर ने बताया की की वो अपने खेतो में ऑर्गेनिक खेती पिछले चार पांच वर्षो से करते आ रहे है। इस वजह से उनका सम्पर्क नेशनल एग्री फ़ूड बायो टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट मोहाली से हो गया है। लीलाधर ने बताया की इंस्टीट्यूट की चिकित्सक डा मोनिका गर्ग ने दस वर्ष तक काले गेंहू के औषधीय तत्वों पर गहन रिसर्च कर उसके सुलभ परिणाम बताये तो हमने उससे प्रेरित होकर इस वर्ष काले गेंहू के बीज इंस्टीट्यूट से मंगवाए।

वीओ :- किसान लीलाधर ने बताया की रसायनिक खेती की बजाय ऑर्गेनिक खेती किसान के लिए काफी फायदेमंद होती है। ऑर्गनिक फसल स्वास्थ्य के लिए भी काफी गुणकारी होती है। लीलाधर ने बताया की ऑर्गेनिक खेती में किसान की लागत काफी कम होती है जिससे उन्हें फसल की पैदावार में मुनाफा भी अधिक होता है।

वीओ :- सीड टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञों की मानी जाये तो काले गेंहू दिखने में थोड़े काले व बैंगनी होते है इनका स्वाद साधारण गेंहू से काफी अलग व गुणकारी है। एंथ्रोसाइनीन पिंगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण ये काले व बैंगनी होते है। साधारण गेंहू में इसकी मात्रा 5 से 15 प्रतिशत पीपीएम तक होती है जबकि काले गेंहू में इनकी मात्रा 40 से 140 प्रतिशत तक होती है। आपको बता दे की एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटीबायोटिक है जो हार्टअटैक,कैंसर, शुगर,मानसिक तनाव घुटनो का दर्द,एनीमिया जैसे रोगो में कारगर होता है। कला गेंहू रोग प्रतिरोगी व कीट प्रतिरोगी प्रजाति का माना गया है।

वीओ :- साधारण गेंहू बाजारों में 18 से 25 रूपये किलो तक भावो में बिकते है वही काले गेंहू में ओषधीय तत्वों के कारण ये बाजारों में 150 से 200 रूपये किलो तक में बेचे जाते है। काले गेंहू की फसल के पैदावार के बाद किसान की आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत हो जाएगी।

बाईट :- लीलाधर भड़िया ,किसान,घरडू सूरजगढ़। Conclusion:
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