ETV Bharat / state

SPECIAL : झुंझुनू के रिटायर्ड सैनिकों ने कहा- 'गलवान घाटी भारत की है और हमेशा रहेगी'

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प (India China Clash) में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए. साथ ही कई सैनिक घायल भी हुए है. इस तनाव के बाद देशवासियों का खून खौल उठा है. झुंझुनू के कुछ रिटायर्ड सैनिक हैं, जो इस घटना के बाद वापस से बॉर्डर पर जाकर दुश्मनों को धूल चटाने को तैयार बैठे हैं.

jhunjhunu latest news, झुंझुनू की ताजा खबरें, भारत चीन लेटेस्ट न्यूज़, भारत चीन युद्ध
सैनिकों की धरती झुंझुनू
author img

By

Published : Jun 20, 2020, 3:12 PM IST

झुंझुनू. जब एक बार कोई सैनिक देश सेवा के लिए खुद को न्योछावर कर देता है, तो जीवनभर के लिए उसके जहन में देश के प्रति जज्बा और जुनून आग की तरह जलता ही रहता है. झुंझुनू के पूर्व सैनिकों में भी ये आग आज भी जिंदा है और वे आज भी देश के खातिर मर मिटने को तैयार हैं. जब सरहद पर अपने साथियों की शहीदी की खबर सुनी, तो उनका खून खौल उठा और फिर से सरहद पर जाने की इच्छा जताई.

सैनिकों की धरती झुंझुनू

भारत और चीन के बीच हुए झड़प में 20 सैनिकों की शहादत से वैसे तो पूरे देश में आक्रोश है. लेकिन सैनिकों की धरती झुंझुनू से पूर्व सैनिक बॉर्डर पर जाने के लिए हुंकार भर रहे हैं. यहां पर शहादत की परंपरा रही है और इसलिए जैसे ही झड़प में 20 जवानों की शहीद होने की खबर मिली तो झुंझुनू की धरती को लगा कि हमेशा की तरह शहादत उसके हिस्से में भी आई होगी. शहीद हुए 20 जवानों में से झुंझुनू का कोई जवान शामिल नहीं था. लेकिन 2 दिन बाद ही लेह में ही एक ऑपरेशन के दौरान पैर फिसलने से झुंझुनू के जवान की शहादत की खबर आ गई. ऐसे में पूर्व सैनिक एक ही जबान से कह रहे हैं कि तन मन धन से सेना के साथ हैं.

jhunjhunu latest news, झुंझुनू की ताजा खबरें, भारत चीन लेटेस्ट न्यूज़, भारत चीन युद्ध
झुंझुनू के वीरों ने रचा है इतिहास

यह भी पढ़ें- कोरोना संकट काल में श्रमिकों का दुश्मन बना अतिक्रमण, बिना काम किए लौटना पड़ रहा

'हमेशा से धोखेबाज रहे चीनी'

भारत-चीन बॉर्डर पर अपनी सेवा का एक लंबा हिस्सा गुजार चुके रिटायर्ड कर्नल जेएस बुंदेला कहते हैं कि गलवान घाटी पर हमेशा से ही भारत का कब्जा रहा है. वे अपने अनुभव बताते हुए कहते हैं कि चीनी बहुत कमजोर होते हैं और जो भी बटालियन वहां पर जाती हैं, वह पहले से ही उनके ऊपर अगर थोड़ा सा प्रेशर बना दे, तो फिर उनकी हिम्मत नहीं होती है कि भारत की ओर आंख उठाकर भी देखें. कर्नल का कहना है कि चीनी हमेशा से धोखेबाज रहे हैं और बॉर्डर पर रहने के दौरान उन्होंने बड़े नजदीक से चीनियों का व्यवहार देखा है.

jhunjhunu latest news, झुंझुनू की ताजा खबरें, भारत चीन लेटेस्ट न्यूज़, भारत चीन युद्ध
झुंझुनू का शहीद स्मारक

आज भी सेना में जाने को तैयार कर्नल

चीन-भारत बॉर्डर पर परिस्थितियों के बारे में पूर्व सैनिक बताते हैं कि पुराने भारत-चीन युद्ध के समय परिस्थितियां अलग थी और उस समय भी चीन ने धोखे से ही वार किया था. इस बार भी पीठ पीछे छुरा घोपने का काम किया है. लेकिन अब भारत पूरी तरह से ना केवल सावधान है, बल्कि किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार भी है. कर्नल ने कहा कि न तो भारत के पास हथियारों की कमी है और न ही सैनिकों का जज्बा कम है. कर्नल ने ये भी कहा कि अगर आज भी सेना उन्हें वापस बुलाती है, तो वह सरहद पर जाने को तैयार हैं.

jhunjhunu latest news, झुंझुनू की ताजा खबरें, भारत चीन लेटेस्ट न्यूज़, भारत चीन युद्ध
झुंझुनू के जवानों ने दी शहीदों को श्रद्धाजंलि

'भारत की रहेगी गलवान वैली'

पूर्व सैनिक का कहना है कि चीन को यह बात नहीं पच रही है कि दूसरे बड़े देश भारत के करीब आ रहे हैं, जबकि चीन से नाता तोड़ रहे हैं. वहीं भारत ने कोरोना काल में दूसरे देशों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया था, जिससे चीन अंदर ही अंदर भड़क उठा है. सैनिकों का कहना है कि गलवान वैली भारत की है और हमेशा रहेगी.

यह भी पढे़ं- सूर्यग्रहण 2020: कैसा रहेगा 21 जून को लगने वाला चूड़ामणि सूर्यग्रहण... जानिए ज्योतिषाचार्य की राय

एलएसी को लेकर क्यों है विवाद

  • चीन एलएसी से सटे कई हिस्सों को अपना बताता रहा है. इसलिए चीन इन हिस्सों को अपने क्षेत्र में शामिल करने के लिए सीमा का सहारा ले रहा है. दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा विवाद को लेकर झड़पें भी होती रहती हैं. बता दें कि एलएसी को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पश्चिमी, पूर्वी और मध्य.
  • 1950 से ही भारत और चीन के बीच अक्साई चीन सबसे विवादित सीमा क्षेत्र है. यह क्षेत्र पश्चिमी एलएसी के अंतर्गत आता है. यह क्षेत्र काराकोरम दर्रे के पश्चिमोत्तर से डेमचोक तक, 1,570 किलोमीटर में फैला है. इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर है. चीन ने 1957 में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, लेकिन भारत का दावा है कि यह क्षेत्र लद्दाख का हिस्सा है.
  • 1962 में, चीन ने तिब्बत और शिनजियांग को जोड़ने के लिए अक्साई चीन में एक सड़क का निर्माण किया था. भारत और चीन के बीच विवादित डेमचोक सेक्टर में एक गांव और सैन्य छावनी है.
  • भारत दावा करता है कि दोनों देशों के बीच सीमा दक्षिण-पूर्व तक फैली हुई है, जहां गश्त के दौरान भारतीय और चीनी सैनिकों का बराबर आमना-सामना होता रहता है.
  • पूर्वी एलएसी का हिस्सा सिक्किम से म्यांमार सीमा तक है, जो 1,325 किलोमीटर है. इस हिस्से में सबसे ज्यादा विवाद अरुणाचल प्रदेश को लेकर है, क्योंकि चीन हमेशा दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश मेरा हिस्सा है.

झुंझुनू. जब एक बार कोई सैनिक देश सेवा के लिए खुद को न्योछावर कर देता है, तो जीवनभर के लिए उसके जहन में देश के प्रति जज्बा और जुनून आग की तरह जलता ही रहता है. झुंझुनू के पूर्व सैनिकों में भी ये आग आज भी जिंदा है और वे आज भी देश के खातिर मर मिटने को तैयार हैं. जब सरहद पर अपने साथियों की शहीदी की खबर सुनी, तो उनका खून खौल उठा और फिर से सरहद पर जाने की इच्छा जताई.

सैनिकों की धरती झुंझुनू

भारत और चीन के बीच हुए झड़प में 20 सैनिकों की शहादत से वैसे तो पूरे देश में आक्रोश है. लेकिन सैनिकों की धरती झुंझुनू से पूर्व सैनिक बॉर्डर पर जाने के लिए हुंकार भर रहे हैं. यहां पर शहादत की परंपरा रही है और इसलिए जैसे ही झड़प में 20 जवानों की शहीद होने की खबर मिली तो झुंझुनू की धरती को लगा कि हमेशा की तरह शहादत उसके हिस्से में भी आई होगी. शहीद हुए 20 जवानों में से झुंझुनू का कोई जवान शामिल नहीं था. लेकिन 2 दिन बाद ही लेह में ही एक ऑपरेशन के दौरान पैर फिसलने से झुंझुनू के जवान की शहादत की खबर आ गई. ऐसे में पूर्व सैनिक एक ही जबान से कह रहे हैं कि तन मन धन से सेना के साथ हैं.

jhunjhunu latest news, झुंझुनू की ताजा खबरें, भारत चीन लेटेस्ट न्यूज़, भारत चीन युद्ध
झुंझुनू के वीरों ने रचा है इतिहास

यह भी पढ़ें- कोरोना संकट काल में श्रमिकों का दुश्मन बना अतिक्रमण, बिना काम किए लौटना पड़ रहा

'हमेशा से धोखेबाज रहे चीनी'

भारत-चीन बॉर्डर पर अपनी सेवा का एक लंबा हिस्सा गुजार चुके रिटायर्ड कर्नल जेएस बुंदेला कहते हैं कि गलवान घाटी पर हमेशा से ही भारत का कब्जा रहा है. वे अपने अनुभव बताते हुए कहते हैं कि चीनी बहुत कमजोर होते हैं और जो भी बटालियन वहां पर जाती हैं, वह पहले से ही उनके ऊपर अगर थोड़ा सा प्रेशर बना दे, तो फिर उनकी हिम्मत नहीं होती है कि भारत की ओर आंख उठाकर भी देखें. कर्नल का कहना है कि चीनी हमेशा से धोखेबाज रहे हैं और बॉर्डर पर रहने के दौरान उन्होंने बड़े नजदीक से चीनियों का व्यवहार देखा है.

jhunjhunu latest news, झुंझुनू की ताजा खबरें, भारत चीन लेटेस्ट न्यूज़, भारत चीन युद्ध
झुंझुनू का शहीद स्मारक

आज भी सेना में जाने को तैयार कर्नल

चीन-भारत बॉर्डर पर परिस्थितियों के बारे में पूर्व सैनिक बताते हैं कि पुराने भारत-चीन युद्ध के समय परिस्थितियां अलग थी और उस समय भी चीन ने धोखे से ही वार किया था. इस बार भी पीठ पीछे छुरा घोपने का काम किया है. लेकिन अब भारत पूरी तरह से ना केवल सावधान है, बल्कि किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार भी है. कर्नल ने कहा कि न तो भारत के पास हथियारों की कमी है और न ही सैनिकों का जज्बा कम है. कर्नल ने ये भी कहा कि अगर आज भी सेना उन्हें वापस बुलाती है, तो वह सरहद पर जाने को तैयार हैं.

jhunjhunu latest news, झुंझुनू की ताजा खबरें, भारत चीन लेटेस्ट न्यूज़, भारत चीन युद्ध
झुंझुनू के जवानों ने दी शहीदों को श्रद्धाजंलि

'भारत की रहेगी गलवान वैली'

पूर्व सैनिक का कहना है कि चीन को यह बात नहीं पच रही है कि दूसरे बड़े देश भारत के करीब आ रहे हैं, जबकि चीन से नाता तोड़ रहे हैं. वहीं भारत ने कोरोना काल में दूसरे देशों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया था, जिससे चीन अंदर ही अंदर भड़क उठा है. सैनिकों का कहना है कि गलवान वैली भारत की है और हमेशा रहेगी.

यह भी पढे़ं- सूर्यग्रहण 2020: कैसा रहेगा 21 जून को लगने वाला चूड़ामणि सूर्यग्रहण... जानिए ज्योतिषाचार्य की राय

एलएसी को लेकर क्यों है विवाद

  • चीन एलएसी से सटे कई हिस्सों को अपना बताता रहा है. इसलिए चीन इन हिस्सों को अपने क्षेत्र में शामिल करने के लिए सीमा का सहारा ले रहा है. दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा विवाद को लेकर झड़पें भी होती रहती हैं. बता दें कि एलएसी को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पश्चिमी, पूर्वी और मध्य.
  • 1950 से ही भारत और चीन के बीच अक्साई चीन सबसे विवादित सीमा क्षेत्र है. यह क्षेत्र पश्चिमी एलएसी के अंतर्गत आता है. यह क्षेत्र काराकोरम दर्रे के पश्चिमोत्तर से डेमचोक तक, 1,570 किलोमीटर में फैला है. इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर है. चीन ने 1957 में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, लेकिन भारत का दावा है कि यह क्षेत्र लद्दाख का हिस्सा है.
  • 1962 में, चीन ने तिब्बत और शिनजियांग को जोड़ने के लिए अक्साई चीन में एक सड़क का निर्माण किया था. भारत और चीन के बीच विवादित डेमचोक सेक्टर में एक गांव और सैन्य छावनी है.
  • भारत दावा करता है कि दोनों देशों के बीच सीमा दक्षिण-पूर्व तक फैली हुई है, जहां गश्त के दौरान भारतीय और चीनी सैनिकों का बराबर आमना-सामना होता रहता है.
  • पूर्वी एलएसी का हिस्सा सिक्किम से म्यांमार सीमा तक है, जो 1,325 किलोमीटर है. इस हिस्से में सबसे ज्यादा विवाद अरुणाचल प्रदेश को लेकर है, क्योंकि चीन हमेशा दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश मेरा हिस्सा है.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.