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स्पेशल स्टोरी: लॉकडाउन में सब परेशान, लेकिन इनके लिए आ गए हैं 'अच्छे दिन' - special story

लॉकडाउन जारी होने के बाद से पूरे देश में सभी का जन-जीवन किसी न किसी तरह से प्रभावित हुआ है. लेकिन इन सबके बीच अगर किसी के लिए कुछ अच्छा हुआ है, तो वो हैं बुजुर्ग. इन दिनों बुजुर्गों को अपने घरवालों से भरपूर समय मिल रहा है. वहीं गृहिणियों के लिए भी ये दिन आरामदायक साबित हो रहे हैं.

बुजुर्गों के लिए आए अच्छे दिन,  Good days for the elderly
बुजुर्गों के लिए आए अच्छे दिन
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Published : Apr 8, 2020, 5:14 PM IST

झुंझुनू. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. जिसके कारण आम जन-जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. लेकिन इस बीच कुछ लोगों के लिए अच्छे दिन भी आ गए हैं. घर के बुजुर्गों के लिए आम दिनों पर समय काटना मुश्किल होता है. क्योंकि हर कोई व्यस्त रहता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी घर पर हैं और इनका दिन बड़ी आसानी से कट रहा है. इन दिनों बुजुर्गों के मन का वह सब कुछ हो रहा है, जिसकी परिवार के रूप में उनको चाहत होती है.

लॉकडाउन में बुजुर्गों के लिए आए अच्छे दिन

रिश्तेदारों से भी जमकर बातचीत

लॉकडाउन की वजह से उनकी दूर में ब्याही हुई बेटियों और रिश्तेदारों से भी जी भर के बात हो जाती है. क्योंकि इस समय वे लोग भी घर में बैठे हुए हैं. जिसकी वजह से मोबाइल के माध्यम से उनसे भी बातें हो रही है. जो आम दिनों में उनके व्यस्त होने की वजह से नहीं हो पाता था. हालांकि वह भी चाहते हैं कि मानव जाति के लिए जो कि संकट की घड़ी आई है, वह दूर होनी चाहिए. जिसके लिए वे भगवान से प्रार्थना भी करते हैं.

घर पर रहना भी जरूरी

बुजुर्गों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है कि कोरोना वायरस का संक्रमण उन पर जल्दी हो सकता है. साथ ही यह उनके लिए घातक भी होगा. ऐसे में उनका घरों पर रहना ज्यादा जरूरी है. जिसकी वजह से उनका मंदिर जाना और अपने पुराने मित्रों से मिलना छूट गया है. लेकिन इसकी भरपाई घर के बच्चे और बेटे-बेटियां कर रहे हैं. आम दिनों में तो बच्चे अपनी पढ़ाई, ट्यूशन और आउटडोर गेम में व्यस्त रहते हैं.

वहीं घर के लोग भी नौकरी और अन्य कामों में लगे रहते हैं और वास्तव में बुजुर्गों के लिए जो समय की जरूरत होती है, वे उनके पास नहीं होता है. जबकि बुजुर्गों को अन्य जरूरतों के अलावा घरवालों से समय की ही सबसे ज्यादा जरूरत होती है. जो लॉकडाउन की वजह से उन्हें पूरी तरह से मिल रहा है.

पढ़ें: जन औषधि परियोजना के तहत मरीजों तक दवाएं पहुंचा रहे फार्मासिस्ट

गृहणियों के लिए भी है थोड़ा आराम

वहीं यदि गृहणियों की बात की जाए तो उनके लिए भी काफी आराम की बात है. क्योंकि कपड़े धोने, घर के लोगों के लिए टिफिन तैयार करने, अलग-अलग समय में खाना और नाश्ता बनाने जैसे काम थोड़े कम हो गए हैं. घर के सारे लोग भी दिन भर घर में ही रहते हैं और कुछ ना कुछ सहायता कर देते हैं.

झुंझुनू. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. जिसके कारण आम जन-जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. लेकिन इस बीच कुछ लोगों के लिए अच्छे दिन भी आ गए हैं. घर के बुजुर्गों के लिए आम दिनों पर समय काटना मुश्किल होता है. क्योंकि हर कोई व्यस्त रहता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी घर पर हैं और इनका दिन बड़ी आसानी से कट रहा है. इन दिनों बुजुर्गों के मन का वह सब कुछ हो रहा है, जिसकी परिवार के रूप में उनको चाहत होती है.

लॉकडाउन में बुजुर्गों के लिए आए अच्छे दिन

रिश्तेदारों से भी जमकर बातचीत

लॉकडाउन की वजह से उनकी दूर में ब्याही हुई बेटियों और रिश्तेदारों से भी जी भर के बात हो जाती है. क्योंकि इस समय वे लोग भी घर में बैठे हुए हैं. जिसकी वजह से मोबाइल के माध्यम से उनसे भी बातें हो रही है. जो आम दिनों में उनके व्यस्त होने की वजह से नहीं हो पाता था. हालांकि वह भी चाहते हैं कि मानव जाति के लिए जो कि संकट की घड़ी आई है, वह दूर होनी चाहिए. जिसके लिए वे भगवान से प्रार्थना भी करते हैं.

घर पर रहना भी जरूरी

बुजुर्गों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है कि कोरोना वायरस का संक्रमण उन पर जल्दी हो सकता है. साथ ही यह उनके लिए घातक भी होगा. ऐसे में उनका घरों पर रहना ज्यादा जरूरी है. जिसकी वजह से उनका मंदिर जाना और अपने पुराने मित्रों से मिलना छूट गया है. लेकिन इसकी भरपाई घर के बच्चे और बेटे-बेटियां कर रहे हैं. आम दिनों में तो बच्चे अपनी पढ़ाई, ट्यूशन और आउटडोर गेम में व्यस्त रहते हैं.

वहीं घर के लोग भी नौकरी और अन्य कामों में लगे रहते हैं और वास्तव में बुजुर्गों के लिए जो समय की जरूरत होती है, वे उनके पास नहीं होता है. जबकि बुजुर्गों को अन्य जरूरतों के अलावा घरवालों से समय की ही सबसे ज्यादा जरूरत होती है. जो लॉकडाउन की वजह से उन्हें पूरी तरह से मिल रहा है.

पढ़ें: जन औषधि परियोजना के तहत मरीजों तक दवाएं पहुंचा रहे फार्मासिस्ट

गृहणियों के लिए भी है थोड़ा आराम

वहीं यदि गृहणियों की बात की जाए तो उनके लिए भी काफी आराम की बात है. क्योंकि कपड़े धोने, घर के लोगों के लिए टिफिन तैयार करने, अलग-अलग समय में खाना और नाश्ता बनाने जैसे काम थोड़े कम हो गए हैं. घर के सारे लोग भी दिन भर घर में ही रहते हैं और कुछ ना कुछ सहायता कर देते हैं.

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