ETV Bharat / state

तपोस्थली चिड़ावा को साधु संतों ने बनाया शिवनगरी

हर शहर की एक अपनी पहचान होती है और झुंझुनू जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित चिड़ावा कस्बे की पहचान उसके प्रसिद्ध पेड़े और सावन मास में शिव की आराधना से है.

author img

By

Published : Jul 29, 2019, 8:50 PM IST

chirawa shiv temple

झुंझनू. जिले से करीब 30 किलोमीटर स्थित चिड़ावा एक ऐसा शहर है जिसको शिवनगरी के नाम से भी पुकारा जाता है. चिड़ावा के पेड़े पूरे देश में विख्यात हैं लेकिन चिड़ावा हमेशा ही शिव भक्ती और आस्था का अटूट मिसाल भी माना जाता रहा है. चिड़ावा प्राचीनकाल से ही साधुसंतो की तपोस्थली रही है. पौराणिक मान्यता के अनुसार चिड़ावा के नगर देव पंडित गणेशनारायण बावलिया बाबा ने चिड़ावा को शिवनगरी के नाम से पुकारा. जिसके बाद से ही चिड़ावा को शिव नगरी के नाम से जाना जाने लगा.

चिड़ावा को साधुसंतो ने बनाया शिवनगरी

सावन मास में शिवमय हो जाता है चिड़ावा
सावन मास में शिवनगरी चिड़ावा में अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. वैसे तो देशभर में सावन मास के दौरान भगवान शिव की आराधना की जाती है लेकिन चिड़ावा के प्राचीन शिव मंदिर और उनसे जुड़ी भक्तों की आस्था चिड़ावा को अलग पहचान देता है. आखिर चिड़ावा को शिव नगरी क्यों कहा गया! बता दें कि चिड़ावा हमेशा से ही साधुसंतो के लिए तप और ध्यान लगाने के लिए पहली पसंद रही है.

यह भी पढ़ें: नहीं देखा होगा ऐसा दिलकश नजारा, ड्रोन की नजर से देखें धर्मनगरी में कांवड़ मेले की अद्भुत तस्वीर

यहां के प्राचीन शिव मंदिर की मान्यता और चमत्कार दूरदराज के भक्तों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. तपस्या करने आए साधुओं ने ही शिव मंदिरो की स्थापना की. जिसकी अपनी अलग मान्यता और आस्था है और सावन मास में तो चिड़ावा पूर्णतया शिव भक्ती में रंग जाता है. मनोकांमनाएं लेकर पहुंचे लोगों को यहां संतुष्टि मिलती है.

झुंझनू. जिले से करीब 30 किलोमीटर स्थित चिड़ावा एक ऐसा शहर है जिसको शिवनगरी के नाम से भी पुकारा जाता है. चिड़ावा के पेड़े पूरे देश में विख्यात हैं लेकिन चिड़ावा हमेशा ही शिव भक्ती और आस्था का अटूट मिसाल भी माना जाता रहा है. चिड़ावा प्राचीनकाल से ही साधुसंतो की तपोस्थली रही है. पौराणिक मान्यता के अनुसार चिड़ावा के नगर देव पंडित गणेशनारायण बावलिया बाबा ने चिड़ावा को शिवनगरी के नाम से पुकारा. जिसके बाद से ही चिड़ावा को शिव नगरी के नाम से जाना जाने लगा.

चिड़ावा को साधुसंतो ने बनाया शिवनगरी

सावन मास में शिवमय हो जाता है चिड़ावा
सावन मास में शिवनगरी चिड़ावा में अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. वैसे तो देशभर में सावन मास के दौरान भगवान शिव की आराधना की जाती है लेकिन चिड़ावा के प्राचीन शिव मंदिर और उनसे जुड़ी भक्तों की आस्था चिड़ावा को अलग पहचान देता है. आखिर चिड़ावा को शिव नगरी क्यों कहा गया! बता दें कि चिड़ावा हमेशा से ही साधुसंतो के लिए तप और ध्यान लगाने के लिए पहली पसंद रही है.

यह भी पढ़ें: नहीं देखा होगा ऐसा दिलकश नजारा, ड्रोन की नजर से देखें धर्मनगरी में कांवड़ मेले की अद्भुत तस्वीर

यहां के प्राचीन शिव मंदिर की मान्यता और चमत्कार दूरदराज के भक्तों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. तपस्या करने आए साधुओं ने ही शिव मंदिरो की स्थापना की. जिसकी अपनी अलग मान्यता और आस्था है और सावन मास में तो चिड़ावा पूर्णतया शिव भक्ती में रंग जाता है. मनोकांमनाएं लेकर पहुंचे लोगों को यहां संतुष्टि मिलती है.

Intro: हर शहर की एक अपनी पहचान होती है और झुंझुनू जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित चिड़ावा कस्बे की पहचान उसके प्रसिद्ध पेड़े और सावन मास में शिव की आराधना से है। Body:झुंझनूं। जिले से करीब 30 किलोमीटर स्थित चिडावा। एक ऐसा शहर जिसको शिवनगरी के नाम से भी पुकारा जाता है। चिड़ावा के पेड़े पूरे देश में विख्यात हैं लेकिन चिडावा हमेशा ही शिव भक्ती और आस्था का अटूट मिसाल भी माना जाता रहा है। चिडावा प्राचीनकाल से ही साधुसंतो की तपोस्थली रही है। पुराणिक मान्यता के अनुसार चिडावा के नगर देव पंडित गणेशनारायण बावलिया बाबा ने चिडावा को शिवनगरी के नाम से पुकारा। जिसके बाद से ही चिडावा को शिव नगरी के नाम से जाना जाने लगा।

सावन मास में शिवमय हो जाता है चिडावा
सावन मास में शिवनगरी चिडावा में अधभूत नजारा देखने को मिलता है। वैसे तो देशभर में सावन मास के दौरान भगवान शिव की आराधना की जाती है लेकिन चिडावा के प्राचीन शिव मंदिर और उनसे जुडी भक्तो की आस्था चिडावा को अलग पहचान देता है। अब आप को बता दे है कि आखिर चिडावा को शिव नगरी क्यो कहा गया। चिडावा हमेशा ही साधुसंतो के लिए तप और ध्यान लगाने के लिए पहली पसंद रही है। यहां के प्राचीन शिव मंदिर की मान्यता और चमत्कार दूरदराज के भक्तो को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। तपस्या करने आए साधुओ ने ही शिव मंदिरो की स्थापना की जिसकी अपनी अलग मान्यता और आस्था है। और सावन के मास में तो चिडावा पूर्णतया शिव भक्ती में रंग जाता है। चिडावा के शिव मंदिरों में पूरे सावन मास में शिव के जयकारो से गूंजायमान रहते है। चिडावा चौरासियां मंदिर में शिव का प्राचीन मंदिर और उनकी महिमा किसी से छिपी नही है। लोग यहां काफी संख्या में दर्शनो के लिए आते है और मनोकांमनाये मांगते जो पूरी भी होती है।

बाइट मनोहरलाल जांगिड, प्राचीन कथाओ के जानकार
बाइट प्रभुशरण तिवाडी, कथा वाचक

Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.