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झुंझुनू में वामपंथी संगठन किसान सभा ने केन्द्र और राज्य सरकार को कोसा

वैसे तो किसान की बात हर राजनीतिक दल करते हैं. लेकिन, ये बात किसी से छिपी नहीं है कि किसान सिर्फ वोट बैंक का जरिया बनकर रह गए हैं. आज भी किसानों के हालात जस के तस हैं. विशेषकर शेखावाटी में किसानी फसल में घाटा झेलने पर मजबूर हैं.

झुंझुनू, speakers lashed out at government
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Published : Nov 15, 2019, 7:15 PM IST

झुंझुनू. वामपंथी दल माकपा के किसान संगठन भारतीय किसान सभा की झुंझुनू में बैठक हुई. इस दौरान किसानों के साथ अन्याय को लेकर केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों को आड़े-हाथ लिया गया.

किसानों की समस्याओं को लेकर वक्ताओं ने सरकार को घेरा

बता दें कि शिक्षक भवन में हुई इस बैठक में किसानों की आर्थिक समस्याओं को लेकर चर्चा की गई. इसके बाद वक्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों की समस्या सरकार की पैदा की हुई है. इसे लेकर राजस्थान सरकार के खिलाफ प्रस्ताव भी पास किया गया.

इसमें वक्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकारी नीतियों की वजह से किसान, कृषि करने के लिए हिचकिचा रहे हैं. क्योंकि किसानों को अनाज बेचने में परेशानी होती है. न तो किसानों को फसल के अच्छे दाम मिलते हैं और न ही उनकी फसल में अच्छी उपज होती है.

पढ़ें : प्रदेश के सबसे बड़े बांध प्रोजेक्ट का हुआ शिलान्यास, 13 जिलों की बुझाई जाएगी प्यास

इस वजह से किसानों ने छोड़ दिया खेती करना-

किसानों का कहना है कि बीज खरीदते में अधिक पैसे खर्च होते हैं. लेकिन, फसल बेचने के समय दाम कम लगाए जाते हैं. जितना फसल की उपज के लिए खर्चा होता है, वह भी किसानों को नहीं मिल पाता है. यही नहीं सरकार की ओर से क्रय-विक्रय में किसानों के लिए आए खाद और बीज भी उन्हें पूरा नहीं दिया जाता है. इन्हीं परेशानियों के चलते किसान खेती करने से कतराते जा रहे हैं.

झुंझुनू. वामपंथी दल माकपा के किसान संगठन भारतीय किसान सभा की झुंझुनू में बैठक हुई. इस दौरान किसानों के साथ अन्याय को लेकर केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों को आड़े-हाथ लिया गया.

किसानों की समस्याओं को लेकर वक्ताओं ने सरकार को घेरा

बता दें कि शिक्षक भवन में हुई इस बैठक में किसानों की आर्थिक समस्याओं को लेकर चर्चा की गई. इसके बाद वक्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों की समस्या सरकार की पैदा की हुई है. इसे लेकर राजस्थान सरकार के खिलाफ प्रस्ताव भी पास किया गया.

इसमें वक्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकारी नीतियों की वजह से किसान, कृषि करने के लिए हिचकिचा रहे हैं. क्योंकि किसानों को अनाज बेचने में परेशानी होती है. न तो किसानों को फसल के अच्छे दाम मिलते हैं और न ही उनकी फसल में अच्छी उपज होती है.

पढ़ें : प्रदेश के सबसे बड़े बांध प्रोजेक्ट का हुआ शिलान्यास, 13 जिलों की बुझाई जाएगी प्यास

इस वजह से किसानों ने छोड़ दिया खेती करना-

किसानों का कहना है कि बीज खरीदते में अधिक पैसे खर्च होते हैं. लेकिन, फसल बेचने के समय दाम कम लगाए जाते हैं. जितना फसल की उपज के लिए खर्चा होता है, वह भी किसानों को नहीं मिल पाता है. यही नहीं सरकार की ओर से क्रय-विक्रय में किसानों के लिए आए खाद और बीज भी उन्हें पूरा नहीं दिया जाता है. इन्हीं परेशानियों के चलते किसान खेती करने से कतराते जा रहे हैं.

Intro:किसान की बात हर राजनीतिक दल करते हैं और जो सरकार में नहीं होते हैं वे दूसरे को कोसते रहते हैं आज भी किसानों के हालात जस के तस हैं। विशेषकर शेखावाटी में किसानी अब घाटे का सौदा साबित कर रहा है।


Body:झुंझुनू। वामपंथी दल माकपा के किसान संगठन भारतीय किसान सभा की झुंझुनू में हुई बैठक पर किसानों के साथ अन्याय को लेकर केंद्र व राज्य दोनों ही सरकारों को कोसा गया। यहां शिक्षक भवन में हुई बैठक में किसानों की आर्थिक समस्याओं को लेकर चर्चा की गई इसके बाद वक्ताओं ने आरोप लगाया कि किसानों की समस्या सरकारों की खुद की पैदा की हुई है। इसे लेकर राजस्थान सरकार के खिलाफ प्रस्ताव भी पास किया गया इसमें वक्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकारी नीतियों की वजह से किसान कृषि करने के लिए हिचकीचा रहे हैं क्योंकि किसानों को अनाज बेचने में परेशानी होती है ना तो किसानों को फसल के अच्छे दाम मिलते हैं ना उनकी फसल में अच्छी उपज होती है।

इसलिए किसानों ने छोड़ दिया खेती करना

किसानों का कहना है कि जब खेती करने के लिए बीज खरीदते हैं तो पैसे अधिक लिए जाते हैं और जब किसानों की फसल बेचने का टाइम आता है तो दाम कम लगाए जाते हैं। जितना फसल की उपज के लिए खर्चा होता है वह भी किसानों को नहीं मिल पाता है जब सरकार की ओर से क्रय विक्रय मैं किसानों के लिए जो खाद और बीज आता है वह भी किसानों को पूरा नहीं दिया जाता है इन परेशानियों के चलते किसान खेती करने के लिए इच्छुक नहीं है।

बाइट पेमाराम, पूर्व विधायक धोद


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